स्वास्थ्य

Urinary Tract Infections (यूरिन इंफैक्शन) को जड़ से खत्म करने के लिए अपनाये कारगर घरेलू नुस्खे

यूरिन इंफैक्शन (Urinary Tract Infections) यानी पेशाब करते समय जलन या दर्द होना। यह समस्या स्त्री या पुरूष दोनों को कभी भी हो सकती है। कई बार तो यह समस्या कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है लेकिन बहुत सी बार डॉक्टरों के पास जाने तक की नौबत आ जाती है। हम लोग अक्सर यूरिन इंफैक्शन को अनदेखा कर देते है जो बाद में कई समस्याओं का कारण बनता है। ऐसे आपको चाहिए कि जब भी यूरिन करते समय जलन या दर्द हो तो तुरंत इलाज शुरू कर दें, ताकि बाद में किसी प्रकार की कोई बड़ी बीमारी होने का खतरा टल जाए।

मूत्र संबंधित संक्रमण, जिसे हिंदी में “मूत्र संक्रमण” यूरिन इंफैक्शन (Urinary Tract Infections) कहा जाता है, एक आम स्वास्थ्य समस्या है जो मूत्रमार्ग को प्रभावित करती है। इसे आमतौर पर “यूरिन इन्फेक्शन” भी कहा जाता है। यह समस्या आमतौर पर बैक्टीरिया के कारण होती है जो मूत्रमार्ग के एकांत स्थानों पर पहुंचकर अनुक्रमण करते हैं।

यूरिन इंफैक्शन (Urinary Tract Infections) के कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:Open Urine India

  1. मूत्रमार्ग में जलन या दर्द
  2. अक्सर पेशाब का इच्छाशक्ति बढ़ना
  3. अव्यापक पेशाब की आवृत्ति
  4. पेशाब की रंग, गंध, या स्वाद में बदलाव
  5. पेट के निचले हिस्से में दर्द या तकलीफ

यदि किसी को यूरिन इंफैक्शन (Urinary Tract Infections) के लक्षण हों, तो उन्हें तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। चिकित्सक द्वारा निर्धारित की जाने वाली दवाइयों का सेवन करने से और सही प्रकार से हुआ इलाज करने से इस समस्या का समाधान संभव है।

साथ ही, व्यक्ति को अधिक पानी पीना चाहिए ताकि उनका मूत्रमार्ग स्वच्छ रहे और बैक्टीरिया नष्ट हो सके। साथ ही, हाथों को सही तरीके से धोना, स्वच्छ वस्त्र पहनना और साफ-सफाई का ध्यान रखना भी महत्वपूर्ण है।

इस यूरिन इंफैक्शन (Urinary Tract Infections) समस्या को नजरअंदाज करना नहीं चाहिए, और यदि ये समस्या होती है, तो तुरंत चिकित्सक से मिलकर उचित उपचार कराना चाहिए।

यूरिन में जलन के कारण:-

मूत्र मार्ग में संक्रमण या ब्लैडर में सूजन ,किडनी में पथरी होना,शरीर में पानी की कमी,लीवर प्रॉब्लम होना,रीढ़ की हड्डी में चोट लगना,शुगर की बीमारी होना,तेज मिर्च मसालों का अतिसेवन,दूषित पानी पीना,चाय, कॉफी, अम्ल पदार्थ,शराब का अतिसेवन,लंबी बीमारी की वजह से,यूरिन में जलन के लक्षण,यूरिन से स्मैल आना,ब्लैडर में दर्द रहना,बार-बार यूरिन आना,यूरिन का रंग पीला हो जाना,बूंद-बूंद पेशाब आना,पेट और मूत्र मार्ग में जलन ,*मूत्र रोग के कई लक्षण हैं जैसे तीव्र गंध वाला पेशाब होना, पेशाब का रंग बदल जाना, मूत्र त्यागने में जलन और दर्द का अनुभव होना, कमज़ोरी महसूस होना, पेट में पीड़ा और शरीर में बुखार की हरारत बने रहना है। इसके अलावा हर समय मूत्र त्यागने की इच्छा बनी रहती है। मूत्र पथ में जलन बनी रहती है। मूत्राषय में सूजन आ जाती है।

यह रोग पुरुषों की तुलना में स्त्रियों में ज़्यादा पाया जाता है। गर्भवती स्त्रियां और सेक्स-सक्रिय औरतों में मूत्राषय प्रदाह रोग अधिक पाया जाता है।

आमतौर पर यह बीमारी एंटीबायोटिक्स दवाई लेने से ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ ऐसे घरेलू उपाय भी है जिन्हें अपनाकर आप इस बीमारी से आसानी से राहत पा सकते हैं और इनका नुकसान भी नहीं होता है

मूत्र विकार का सबसे बड़ा कारण बैक्टीरिया, कवक है। इनके कारण मूत्र पथ के अन्य अंगों जैसे किडनी, यूरेटर और प्रोस्टेट ग्रंथि और योनि में भी इसका संक्रमण का असर देखने को मिलता है।

आयुर्वेदिक घरेलू उपचार :

पहला प्रयोगः केले की जड़ के 20 से 50 मि.ली. रस को 30 से 50 मि.ली. “गौझरण” के साथ 100 मि.ली.पानी मिलाकर सेवन करने से तथा जड़ पीसकर उसका पेडू पर लेप करने से पेशाब खुलकर आता है।

दूसरा प्रयोगः आधा से 2 ग्राम शुद्ध “शिलाजीत “, कपूर और 5 ग्राम मिश्री मिलाकर लेने से अथवा पाव तोला (3 ग्राम) कलमी शोरा उतनी ही मिश्री के साथ लेने से लाभ होता है।
तीसरा प्रयोगः एक भाग चावल को चौदह भाग पानी में पकाकर उन चावलों का मांड पीने से मूत्ररोग में लाभ होता है। कमर तक गर्म पानी में बैठने से भी मूत्र की रूकावट दूर होती है।

चौथा प्रयोगः उबाले हुए दूध में मिश्री तथा थोड़ा घी डालकर पीने से जलन के साथ आती पेशाब की रूकावट दूर होती है। यह प्रयोग बुखार में न करें।
पाँचवाँ प्रयोगः 50-60 ग्राम करेले के पत्तों के रस चुटकी भर हींग मिलाकर देने से पेशाब बहुतायत से होता है और पेशाब की रूकावट की तकलीफ दूर होती है अथवा 100 ग्राम बकरी का कच्चा दूध 1 लीटर पानी और शक्कर मिलाकर पियें।

छठा प्रयोगः मूत्ररोग सम्बन्धी रोगों में शहद व “ त्रिफला” लेने से अत्यंत लाभ होता है। यह प्रयोग बुखार में न करें।

विशेष : पुनर्नवा टेबलेट या सिरप या का सेवन मूत्ररोग में लाभकारी होता है।
चंद्र प्रभा वटी और चंदनाशव

यूरिन इंफैक्शन (Urinary Tract Infections)  अन्य घरेलू उपचार:

1. खीरा ककड़ी:-मूत्र रोग में खीरा ककड़ी का रस बहुत फ़ायदेमंद है। अगर रोगी को 200 मिली ककड़ी के रस में एक बडा चम्मच नींबू का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर हर तीन घंटे के अंतर पर दिया जाए तो रोगी को बहुत आराम मिलता है।

2. तरल पदार्थ:-पानी और अन्य तरल पदार्थों का प्रचुर मात्रा में सेवन 15 – 15 मिनट के अंतर पर कराने से रोगी को बहुत आराम मिलता है।

3. मूली के पत्तों का रस:-मूत्र विकार में रोगी को मूली के पत्तों का 100 मिली रस दिन में 3 बार सेवन कराएं। यह एक रामबाण औषधि की तरह काम करता है।

4. नींबू:-नींबू स्वाद में थोड़ा खट्टा तथा थोड़ा क्षारीय होने के साथ साथ एक गुणकारी औषधि है। नींबू का रस मूत्राषय में उपस्थित जीवाणुओं को नष्ट कर देता है तथा मूत्र में रक्त आने की स्थिति में भी लाभ पहुँचाता है।

5. पालक:-पालक का रस 125 मिली, इसमें नारियल का पानी मिलाकर रोगी को पिलाने से पेशाब की जलन में तुरंत फ़ायदा प्राप्त होगा।

6. गाजर:-मूत्र की जलन में राहत प्राप्त करने के लिए दिन में दो बार आधा गिलास गाजर के रस में आधा गिलास पानी मिलाकर पीने से फ़ायदा प्राप्त होता है।

7. मट्ठा:-आधा गिलास मट्ठा में आधा गिलास जौ का मांड मिलाएं और इसमें नींबू का रस 5 मिलि मिलाकर पी जाएं। इससे मूत्र-पथ के रोग नष्ट हो जाते है

8. भिंडी:- फ्रेश भिंडी को बारीक़ काटकर दो गुने जल में उबाल लें। बाद इसे छानकर यह काढ़ा दिन में दो बार पीने से मूत्राषय प्रदाह की वजह से होने वाले पेट दर्द में राहत मिलती है।

9. सौंफ:- सौंफ के पानी को उबाल कर ठंडा कर लें और दिन में 3 बार इसे थोड़ा थोड़ा पीने से मूत्र रोग में राहत मिलती है।

पानी / Consume More Water : अगर आपको यूरिन इन्फेक्शन हुआ है और पेशाब में जलन हो रही है तो सर्वप्रथम अपने शरीर में पानी की मात्रा बढ़ाएं। अधिक से अधिक मात्रा में पानी, जूस या सूप पिए ताकि मुत्र का प्रवाह बढ़ता रहे, जिससे इंफेक्शन बढ़ने का खतरा कम होगा। दिन में कम से कम 3 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए। अगर गर्मी का मौसम है या कोई परिश्रम / खेल के कारण अधिक पसीना आने से शरीर में पानी की कमी हो चुकी है तो अधिक पानी की आवश्यकता होती हैं। यह समझ ले के आपने इतना पानी पीना चाहिए की आपकी पेशाब का रंग हमेशा सफ़ेद होना चाहिए। पेशाब का रंग पीला या लाल होने का मतलब आप पानी कम पि रहे हैं।

नारियल पानी / Apply Coconut Water : अगर पेशाब का रंग पीला है तो समझिए कि आप पानी कम पी रहे हो। ढेर सारा पानी पीने से बेक्टेरिया नष्ट होंगे। आप चाहे तो नारियल का पानी भी पी सकते हैं। इससे पानी की जरूरत तो पूरी होगी साथ में शरीर को कई सारे मिनरल्स भी प्राप्त होगें। नारियल पानी में गुड़ और धनिया मिलाकर भी आप पी सकते हैं। इससे पेट की गर्मी कम होती है।

विटामिन सी / Vitamin C : विटामिन सी युक्त सिट्रस फलों का या फलों के रसों का सेवन करें जैसे अनानास, नींबू, मोसंबी, संतरा आदि। इन फलों में साइट्रिक एसिड होता है जिससे मूत्र संक्रमण पैदा करनेवाले बैक्टीरिया नष्ट होते है। निम्बूपानी या शिकंजी पीने से भी जलन कम होती है।

धनिया पाउडर : एक गिलास पानी में एक चम्मच धनिया पाउडर डालकर रात भर रखे और सुबह उसे छानकर उसमें शक्कर या गुड मिलाकर पी लीजिए।

तरबूज / Watermelon : तरबूज खाने से भी पेशाब की जलन कम होती है।

ककड़ी / Cucumber : शीतल और पाचक ककड़ी खाने से पेशाब खुलकर लगती है। ककड़ी में क्षारीय तत्व पाए जाते हैं जो मूत्रवहः संस्थान का कार्य सुचारू ढंग से चलने में मदद करते हैं। ककड़ी खाने से पेशाब में जलन की समस्या में आराम मिलता है।

करोंदे / Cranberry : माना जाता है कि करोंदे ( क्रेनबेरी ) का रस भी मूत्र मार्ग में होने वाले संक्रमण और जीवाणुओं को घटाता है और इस समस्या से राहत देता है।

बादाम / Almond : बादाम की 5 गिरी और 6 – 7 इलायची को मिश्री के साथ बारीक पीसकर रख लें और एक गिलास पानी में घोलकर इसे पी जाए इससे भी आप को राहत मिलेगी।

चावल का पानी / मांड : आधा गिलास चावल के मांड में थोड़ी मिश्री मिलाकर पीने से भी पेशाब की जलन दूर होती है।

बेकिंग पाउडर / Baking powder : यूरिन करते वक्त दर्द हो और बार बार यूरिन के लिए जाना पड़े तो एक ग्लास पानी में एक चम्मच बेकिंग पाउडर मिलाकर पीने से यूरिन में मौजूद एसिडिटी कम होगी और इस समस्या का समाधान होगा।

खजूर : अगर बुढे व्यक्ति में बार-बार पेशाब जाने की समस्या हो तो उन्हें नित्य छुआरा( खजूर ) खिलाएं। रात में छुआरा खिलाकर उसके ऊपर दूध पिलाकर सुलायें।

गेहू का पानी : रात को सोने के पहले एक मुट्ठी गेहूं पानी में भिगोकर रखें। सुबह इसी पानी में गेहूं को पीस लें और छानकर इसमें मिश्री मिलाकर पी जाएं। हफ्ते भर तक यह प्रयोग करने से पेशाब में दर्द व जलन में राहत मिलेगी।

स्वच्छता / Hygiene : साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें। गुप्तांगों को दिन में करीब 3 बार धोएं, जिससे इंफेक्शन का खतरा ना हो। संभोग करते वक्त प्रोटेक्शन बरतें क्योंकि योनि में सूखापन आने की वजह से भी पेशाब में जलन होने लगती है। अगर आप लुब्रिकेंट जेल इस्तेमाल करते हो तो कोशिश करें कि वह वॉटर बेस हो और केमिकलयुक्त ना हो।

गर्म पानी का सेक / Tub Bath : जिन लोगो को बार-बार पेशाब में इन्फेक्शन के कारण पेशाब में जलन की समस्या होती है उन्होंने रोज सुबह नहाते समय 10 से 15 मिनिट तक टब में नाभि से निचे तक पानी रहे इतना गर्म पानी डालकर उसमे बैठना चाहिए। पानी आपको सहन हो उतना ही गर्म रखे। इससे बार-बार पेशाब में इन्फेक्शन नहीं होता हैं।

ध्यान रखें ये बातें-

कई बार महिलाएं तेज़ यूरीन आने पर भी रोके रखती हैं, ऐसा करना बहुत ख़तरनाक हो सकता है। इससे यूरीन इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है।

हमेशा साफ़-सुथरे टॉयलेट का ही इस्तेमाल करें। गंदे टॉयलेट के इस्तेमाल से भी संक्रमण की संभावना रहती है।

पीरियड्स के दौरान सैनेटरी नैपकीन बदलती रहीं, ज़्यादा देर तक एक ही पैड यूज़ करने से भी इंफेक्शन का डर रहता है।

हमेशा कॉटन पैटी का ही इस्तेमाल करें, सिंथेटिक कपड़े नुक़सानदायक साबित हो सकते हैं। साथ ही ये भी ध्यान रखें कि कपड़े ज़्यादा टाइट न हो।

निरोगी रहने हेतु महामन्त्र

मन्त्र 1 :-

• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें

• ‎रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें

• ‎विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)

• ‎वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)

• ‎एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)

• ‎मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें

• ‎भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें

मन्त्र 2 :-

• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)

• ‎भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)

• ‎सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये

• ‎ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें

• ‎पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये

• ‎बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूर्णतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें

भाई राजीव दीक्षित जी के सपने स्वस्थ भारत समृद्ध भारत और स्वदेशी भारत स्वावलंबी भारत स्वाभिमानी भारत के निर्माण में एक पहल आप सब भी अपने जीवन मे भाई राजीव दीक्षित जी को अवश्य सुनें

Dr. Jyoti Gupta

डॉ. ज्योति ओम प्रकाश गुप्ता एक प्रसिद्ध चिकित्सक और हेल्थ सेक्शन की वरिष्ठ संपादक हैं, जो प्राकृतिक, घरेलू और होम्योपैथिक चिकित्सा को जन-जन तक पहुँचाने के लिए समर्पित हैं। श्री राजीव दीक्षित जी से प्रेरित होकर, डॉ. ज्योति का उद्देश्य सहज, सरल और सुलभ चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देना है ताकि लोग आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ पारंपरिक उपचार विधियों का भी लाभ उठा सकें। चिकित्सा क्षेत्र में उनके दशकों के अनुभव और समर्पण ने उन्हें स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में एक अग्रणी चेहरा बनाया है। आप किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के नि:शुल्क परामर्श के लिए उनसे 9399341299 पर संपर्क कर सकते हैं या [email protected] पर ईमेल कर सकते हैं।

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