Aligarh: नशे में दरोगा ने की भाजयुमो नेता सौरभ चौधरी से अभद्रता और हाथापाई, चौकी प्रभारी के निलंबन को लेकर हंगामा
Aligarh आज के समय में समाज में विभिन्न मुद्दों का सामना करना हर किसी के लिए मुश्किल है, और जब इसमें स्थानीय पुलिस और राजनीतिक दलों के बीच विवाद होता है, तो यह अधिक चिंता का कारण बन जाता है। आज हम एक ऐसे घटनाक्रम पर विचार करेंगे जो अलीगढ़ सिविल लाइंस क्षेत्र में हुआ, जिसमें भाजपा नेता और पुलिस अधिकारी के बीच तकरार उठी।
सिविल लाइंस क्षेत्र में सेंटर प्वाइंट चौराहे पर 20 जनवरी दोपहर कार हटाने को लेकर भाजयुमो नेता सौरभ चौधरी (जिला उपाध्यक्ष) व दरोगा के बीच हुआ विवाद तूल पकड़ गया। दरोगा पर नशे में होने और अभद्रता हाथापाई का आरोप लगा। इस खबर पर तमाम भाजपाई एकत्रित हो गए। चौकी प्रभारी के निलंबन को लेकर घंटों तक चौराहे पर जाम लगाकर हंगामा किया गया।
इंस्पेक्टर सिविल लाइंस ने हालात सामान्य करने के बजाय दो-दो कार्यकर्ताओं की चेतावनी दे दी। इसके बाद एडीएम सिटी, एसपी सिटी व सीओ ने पहुंचकर स्थिति को संभाला। एसएसपी से फोन पर भाजपाइयों की बात कराई। एसएसपी से मिले कार्रवाई के आश्वासन पर करीब चार घंटे बाद जाम खुला।
सौरभ चौधरी दोपहर करीब साढ़े तीन बजे अटल चौक के ठीक पीछे वाली उस सड़क पर अपनी गाड़ी खड़ी कर रहे थे, जहां अन्य कार पार्क होती रहती हैं। इसी बीच वहां पहले एक ट्रैफिक दरोगा महिला पुलिसकर्मी संग आया और कार हटाने की कहने लगा। फोटो खींचने लगा। इस पर सौरभ ने तसल्ली रखने को कहा।
इस सूचना पर पहले सीओ तृतीय एके सिंह, बाद में एडीएम सिटी अमित भट्ट, एसपी सिटी मृगांक शेखर पाठक पहुंचे। उनके सामने एसएसपी को बुलाने की मांग रख दी। किसी तरह उन्हें समझाकर एसपी सिटी ने एसएसपी की वार्ता कराई। तब जाकर तय हुआ कि दरोगा को तत्काल चौकी से हटाया जा रहा है। बाकी आप जो लिखित में देेंगे, उस पर सीसीटीवी आदि की मदद से जांच होगी। उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी। तब जाकर Aligarh भाजपाई माने और आठ बजे के बाद जाम खुल सका।
इसी बात पर दोनों में कहासुनी होने लगी। महिला पुलिसकर्मी ने तत्काल चौकी सेंटर प्वाइंट प्रभारी जितेंद्र तेवतिया को बुला लिया। बस फिर क्या था, आरोप है कि चौकी प्रभारी नशे में आए और आते ही अभद्रता करते हुए हाथापाई कर कार्यकर्ता का हाथ मोड़ दिया। यहां तक कह दिया कि मैं देखता हूं कि कौन भाजयुमो नेता है?
इस दौरान सौरभ यह दलील देते रहे कि वे फोन पर बात करने में व्यस्त थे, अभी गाड़ी हटा रहे हैं। मगर उनकी एक नहीं सुनी। इसके चलते वहां धक्का-मुक्की तक हो गई। इसी बीच सूचना पर वहां भाजपा नेता शिवनारायण शर्मा, मानव महाजन, संजू बजाज, पंकज आर्य आदि तमाम भाजपाई पहुंच गए।
इस बीच इंस्पेक्टर सिविल लाइंस आए तो उन्होंने बात संभालने की बजाय यहां तक कह दिया कि आज तुमको ही देख लिया जाए और पीएसी तक बुला ली। बस इस पर भाजपाई भड़क गए और उन्होंने चौकी इंचार्ज को निलंबित करने की मांग करते हुए सेंटर प्वाइंट चौराहे पर जाम लगा दिया। पुलिस विरोधी नारेबाजी शुरू कर दी।
इस विवाद का संदेश साफ है – हमें अपने समाज में सदगुणता और आदर की आवश्यकता है। पुलिस अधिकारी और राजनीतिक नेता दोनों को अपने कर्तव्यों को निभाने में जुट जाना चाहिए, लेकिन यह दोनों तरफ से होने वाले विवादों से हमारा समाज ही नुकसान हो रहा है।
यह खुदाई मामला नहीं है कि कौन गलत है और कौन सही है, बल्कि यह दिखाता है कि हमारी पुलिस और राजनीतिक दलों के बीच समझदारी की जरूरत है। पुलिस को लोगों के साथ विनम्रता और सहयोग की भावना बनाए रखना चाहिए, जिससे जनता को भरोसा हो कि उनकी सुरक्षा पुलिस की प्राथमिकता है।
भाजपा नेता सौरभ चौधरी को भी चाहिए कि उन्हें समस्याओं का समाधान ढूंढने के लिए शांति भंग नहीं करनी चाहिए, बल्कि वह सामाजिक मुद्दों पर विचार करने और समाधान निकालने के लिए सहयोग करने का प्रयास करें।
आखिर में, हम सभी को यहां याद रखना चाहिए कि हम सभी एक ही समाज के हिस्से हैं और हमें एक दूसरे के साथ समझदारी और आदर से बातचीत करना चाहिए। इससे ही हमारा समाज सशक्त होगा और हम सभी एक बेहतर भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकेंगे।

