Amroha: कोर्ट के आदेश पर सावधानी न बरतने से अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज, न्यायिक कार्रवाई की उम्मीद
Amroha: कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपीलों के आलोचनाओं के संदर्भ में, न्यायिक कार्रवाई के लिए अधिकारियों को नोटिस देने के बावजूद उनका जवाब नहीं देने के परिणामस्वरूप बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी (एसओसी चकबंदी) और हसनपुर इंस्पेक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। कोर्ट ने इन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं, क्योंकि कोर्ट ने उनके रवैयों को आपत्तिजनक माना है और नोटिस के जवाब में लापरवाही को नकारा दिया है।
इसके अलावा, कोर्ट ने बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी को स्पष्टीकरण के साथ तीन अक्तूबर और हसनपुर इंस्पेक्टर को चार अक्तूबर को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं। उच्चाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की आपील करने के लिए द्विपक्षीय प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
इसके पिछले संदर्भ में, हसनपुर कोतवाली में 2009 में अपहरण, षड्यंत्र, और दुष्कर्म के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ था, और उस समय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चौधरी अमर प्रताप सिंह की अदालत ने चारों आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए थे। हालांकि, हसनपुर पुलिस ने वारंट को तामील करने में देरी की और न आरोपियों की गिरफ्तारी की।
मामले में एक सितंबर को न्यायालय ने हसनपुर इंस्पेक्टर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, लेकिन इंस्पेक्टर ने न तो आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया और न कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया। इसके परिणामस्वरूप, न्यायालय ने हसनपुर इंस्पेक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं और इंस्पेक्टर से व्यक्तिगत रूप से स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के लिए चार अक्तूबर को न्यायालय में पेश होने के आदेश दिए हैं।
एक समान मामले में, बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी के खिलाफ एक व्यक्ति ने धारा 156 (3) के तहत न्यायालय की शरण ली थी और उनके द्वारा लगाए गए आरोपों की प्रारंभिक जांच कराने के लिए न्यायालय ने बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी को आख्या न्यायालय में प्रस्तुत करने के आदेश जारी किए थे, लेकिन बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी ने इन आदेशों का पालन नहीं किया था।