Author: डॉ0 ओम प्रकाश गुप्ता

दिल से

हे कृष्ण कन्हैया, हे गोपाल: गौ माता के सम्मान और रक्षण का आह्वान

हे गोपाल: यह कविता (हे गोपाल: A Divine Call for Gau Mata Protection and Respect) विशेष रूप से गौ माता की वर्तमान स्थिति और उसके सम्मान की पुनःस्थापना के लिए एक मार्मिक आह्वान करती है। प्रस्तुत कविता में करुणा, पीड़ा और जागरूकता का समावेश है, जो इसे न केवल भावनात्मक रूप से बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत प्रासंगिक बनाता है।

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दिल से

राही: जीवन (life) की कठिन डगर पर तुझको आगे बढ़ते जाना…

जीवन (life) की कठिन डगर पर तुझको आगे बढ़ते जाना
बहुत दूर है जाना तुझको अब तो कदम बढ़ा जा।

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दिल से

ऊंट बिलैया ले गई,सो हांजू- हांजू कइये..

Poetry: बुंदेली कवि श्री जगन्नाथ सुमन , तहसील मउरानी पुर के पास स्थित पचवारा गांव के निवासी थे। यह रचना आज के परिवेश पर बुंदेली भाषा मे एक कलात्मक व्यंग्य है।

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दिल से

थक गया है हर शख़्स काम करते करते , तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है….

थक गया है हर शख़्स काम करते करते ।तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है

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दिल से

शिव शब्द, शिव अर्थ, शिव ही परमार्थ है….

आप और आपके परिवार के लिए श्रावण शुभ हो।. शिव स्वर्ग, शिव मोक्ष, शिव परम साध्य है !शिव जीव, शिव बह्मा, शिव ही आराध्य है !!

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दिल से

कैसा ये नववर्ष है , जिससे सूरज भी शरमाया है…

मूलतः शांत स्वभाव के दिखने वाले श्री ओम प्रकाश गुप्ता (सम्पर्क: 9907192095) एक प्रखर राष्ट्रवादी ,विद्रोही रचनाकार लेखक एवं समाज सेवक है जो समसामयिक विषयों पर अपनी तल्ख रचनाओं एवं टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं|

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दिल से

सोए देश को जगाना होगा..

मूलतः शांत स्वभाव के दिखने वाले श्री ओम प्रकाश गुप्ता (सम्पर्क: 9907192095)  एक प्रखर राष्ट्रवादी ,विद्रोही रचनाकार लेखक एवं समाज सेवक है जो समसामयिक विषयों पर अपनी तल्ख रचनाओं एवं टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं| 

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दिल से

अनमोल लोगों से रिश्ता रखता हूँ…

और आज कई बार बिना मुस्कुराये
ही शाम हो जाती है.

कितने दूर निकल गए
रिश्तों को निभाते निभाते,

खुद को खो दिया हम ने
अपनों को पाते पाते.

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