Ayurvedic Amritdhara: 100 रोगों की 1 दिव्य औषधि अमृतधारा: Benefits, सेवन विधि
अमृत धारा आयुर्वेद (Ayurvedic Amritdhara) की एक बहुत ही जानी – मानी औषधि है जो कई बीमारियों को आसानी से उपचार कर देती है । बदलते मौसम , गर्मी की तपन , लु , धूल भरी हवाओं , खान – पान में गड़बड़ी के कारण सिरदर्द , उल्टी , अपच , हैजा , दस्त , बुखार , शरीर में दर्द , अजीर्ण जैसे रोग घेर लेते हैं ।
ऐसे में आयुर्वेदिक औषधि अमृतधारा (Ayurvedic Amritdhara) इन रोगों में रामबाण की तरह सहायक हो सकती है । इस दवा की दो – चार बूढे एक कप सादे पानी में डालकर पीने मात्र से ही तुरन्त लाभ मिलता है ।
सिरदर्द हो , जहरीला ततैया काट ले तो इसे लगाते मात्र से ठीक हो जाता है । गले के दर्द व सूजन में गरारे करने पर तुरंत लाभ मिलता है । यह दवा पूरे परिवार के लिए लाभदायक है क्योंकि यह पूर्ण प्राकृतिक हैं ।
अमृतधारा (Ayurvedic Amritdhara) बनाने की विधि :
पुदीना सत् अजवायन सत व भीमसेनी कपूर
तीनो को बराबर मात्रा में मिलाने से औषधि बन जाती है । ये तीनों किसी भी आयुर्वेद की दुकान से उपलब्ध हो सकते हैं । एक काँच की शीशी में तीनों को सम मात्रा में मिलाकर ठण्डे स्थान पर रखें । प्लास्टिक की शीशी में इसे कदापि न रखें ।
दूसरी विधि :
50 ग्राम पिपरमेंट 50 ग्राम अजवाइन पाउडर + 50 ग्राम लाल इलाइची + 50 ग्राम देशी कपूर 20 मिली लीटर लौंग का तेल 20 मिली लीटर दालचीनी का तेल सारी समाग्री को मिलाकर शीशी में रखें।
अमृतधारा (Ayurvedic Amritdhara) सेवन विधि : अमृतधारा की दो तीन बून्द बडे कप पानी में डालकर योग करें
अमृतधारा (Ayurvedic Amritdhara) के फायदे :
1 – अमृतधारा (Ayurvedic Amritdhara) कई बीमारियों में दी जाती हैं , जैसे बदहजमी , हैजा और सिर – दर्द ।
2 – बदहजमी – थोड़े से पानीमें तीन – चार बूंद अमृतधारा की डालकर पिलाने से बदहजमी , पेटदर्द , दस्त , उलटी ठीक हो जाती है । चक्कर आने भी ठीक हो जाते हैं ।
3 – हैजा – एक चम्मच प्याजके रसमें दो बूंद अमृतधारा डालकर पीने से हैजा में फायदा होता है
4 . सिर दर्द – अमृतधारा (Ayurvedic Amritdhara) की दो बूंद ललाट और कान के आस – पास मसलने से सिरदर्द को फायदा होता है
5 – छाती का दर्द – मीठे तेल में अमृतधारा मिलाकर छाती पर मालिश करने से छातीका दर्द ठीक हो जाता
6 – जुकाम – इसे सूंघने से सांस खुलकर आता है तथा जुकाम ठीक हो जाता है ।
7 – मुह के छाले – थोडे से पानीमें एक – दो बूद अमृतधारा डालकर छालों पर लगानेसे फायदा होता है ।
8– दांत दर्द: अमृतधारा (Ayurvedic Amritdhara) की 2 बून्द रुई के सहारे रखने से दन्त शूल नस्ट होता है
9-खाँसी दमा क्षयरोग :- 4 5 बून्द गुनगुने पानी में सुबह शाम पीने से नस्ट होता है
10-हृदय रोग- आंवले के मुरब्बे पर 2 3 बून्द डालकर खाने से
11-पेट दर्द- बताशे पर 2 बून्द अमृतधारा डालकर खाने से उदर शूल नस्ट होता है
12- मन्दाग्नि-भोजन के बाद 2 3 बून्द सादे पानी में मिलाकर पीने से मन्दाग्नि दूर होती है
13-कमजोरी- 10 ग्राम देशी गाय के मख्खन 5 ग्राम शहद व 2 3 बून्द अमृतधारा सुबह शाम सेवन से कमजोरी दूर होती है
14-हिचकी- 2 3 बून्द सीधे जीभ पर लेने के बाद आधे घण्टे तक कुछ भी सेवन न करने से हिचकी नस्ट हो जाती है
15-खुजली-10 ग्राम निम तेल में 5 बून्द अमृतधारा मिलाकर लगाने से खुजली नस्ट हो जाती है
16 – मधुमक्खी के काटने पर – ततैया , बिच्छू, भंवरा या मधुमक्खी के काटने की जगहपर अमृतधारा मसलने से दर्द में राहत मिलती हैं ।
17 – बिवाई – दस ग्राम वैसलीनमें चार बूंद अमृतधार (Ayurvedic Amritdhara) मिलाकर , शरीर के हर तरह दर्दपर मालिश करने दर्द में फायदा होता है । फटी बिवाई और फटे होंठों पर लगानेसे दर्द ठीक हो जाता है तथा फटी चमडी जुड़ जाती है ।
18 – यकृत की वृद्धि – अमृतधारा (Ayurvedic Amritdhara) को सरसों के चौगुने तेल में मिलाकर जिगर – तिल्ली पर मालिश करने से यकृत की वृद्धि दूर होती है ।
अमृतधारा (Ayurvedic Amritdhara) के नुकसान ( दुष्प्रभाव ) :
अधिक मात्रा में लेने पर दस्त का कारण बन सकता है । -कुछ लोगों को इसके उपयोग के कारण चक्कर आ सकते है । सावधानियां पयोग करने से पहले चिकित्सक की सलाह आवश्यक है.
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