Chhattisgarh: दवा कारोबारी मुमुक्षु भूपेंद्र डाकलिया ने 30 करोड़ की संपत्ति दान की-पूरे परिवार ने ले लिया संन्यास
Chhattisgarh: दवा का कारोबार करने वाला डाकलिया परिवार 30 करोड़ की संपत्ति दान कर दीक्षा ली। बता दें कि यह परिवार अब अपनी आराम की जिंदगी से अलग होकर संयम के कठिन रास्ते पर निकल पड़ा है। गुरुवार को जैन बगीचे में परिवार के मुखिया मुमुक्षु भूपेंद्र डाकलिया समेत पांच लोगों को भगवती दीक्षा दिलाई गई।
मुमुक्षु भूपेंद्र ने बताया कि उनकी करोड़ों की Chhattisgarh प्रॉपर्टी में जमीन, दुकान से लेकर अन्य संपत्तियां शामिल है। लेकिन साल 2011 में रायपुर में स्थित कैवल्यधाम जाने के बाद से ही उनके मन में संन्यास लेने का ख्याल आया। वहीं 9 नवंबर को उनके परिवार ने आरामयुक्त जीवन छोड़ दीक्षा लेने का अंतिम फैसला निर्णय लिया।
जैन धर्म के लोगों का कहना है कि ऐसा खरतरगच्छ पंथ में पहली बार हुआ है कि जब पूरे परिवार ने एक साथ दीक्षा ग्रहण की है। वहीं मुमुक्षु भूपेंद्र का कहना है कि कैवल्यधाम जाने के दौरान हमारे सबसे छोटे बच्चे हर्षित के मन में इस दीक्षा को लेने का भाव आया। उस वक्त उसकी उम्र 6 साल की थी।
उन्होंने बताया कि हर्षित ने हंसते-हंसते गुरु के सानिध्य में अपना केश लोचन कराया था। यहीं से चारों बच्चों के मन में दीक्षा का भाव पैदा हुआ था। धाम से लौटने के बाद से बच्चों ने दीक्षा लेने की बात कही। लेकिन कम उम्र होने के चलते उस वक्त दीक्षा नहीं ली। अब दस साल बाद भी उनके मन में दीक्षा का भाव बना हुआ देख मैंने उनके फैसले पर सहमति दी है। बता दें कि दीक्षा संस्कार के बाद परिवार के सभी मुमुक्षुओं को अलग कर दिया गया।
Chhattisgarh के राजनांदगांव के गंज चौक में रहने वाले 47 वर्षीय मुमुक्षु भूपेंद्र डाकलिया के परिवार में दीक्षा लेने वालों में उनकी 45 साल की पत्नी सपना डाकलिया और उनके चार बच्चे शामिल हैं। जिसमें 22 वर्षीय महिमा डाकलिया, 16 साल के हर्षित डाकलिया, देवेंद्र डाकलिया (18) हैं। हालांकि 20 वर्षीय मुमुक्षु मुक्ता डाकलिया ने इन लोगों के साथ स्वास्थ्यगत कारणों से दीक्षा नहीं ली है। अब उनकी दीक्षा फरवरी में होगी।
Hmm is anyone else having problems with the pictures on this blog loading?
I’m trying to figure out if its a problem on my end or if it’s
the blog. Any suggestions would be greatly appreciated.