उत्तर प्रदेश

विधि अधिकारी की नौकरी वकालत नहीं, वकालतनामा लगाना उल्लंघन-Allahabad High Court

Allahabad High Court की एक नवीन निर्णय के अनुसार, निजी कंपनियों में विधिक अधिकारियों की नौकरी वकालत के रूप में नहीं गणी जानी चाहिए। इस निर्णय में न्यायिक सेवा की शर्तों के उल्लंघन का मामला सामने आया था

जिसके तहत एक विधिक अधिकारी ने कंपनी से इस्तीफा दिया था और फिर वकालत की नौकरी में आगे बढ़ने की कोशिश की थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में यह निर्णय दिया कि वकालत नौकरी के दौरान वकालतनामा लगाना बार काउंसिल और कंपनी में नियुक्ति की शर्तों का उल्लंघन है।

इस निर्णय के साथ, कोर्ट ने चयन एवं नियुक्ति समिति के प्रस्ताव में कोई दोष नहीं है यह भी स्पष्ट कर दिया है। न्यायिक सेवा के लिए सात वर्षों की निरंतर प्रैक्टिस की शर्त को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने यह भी निर्धारित किया है कि विधिक अधिकारी को कंपनी से इस्तीफा देने के बाद याचिका की निरंतर वकालत की अवधि सात वर्षों से कम नहीं होनी चाहिए।

इस मामले में याची शशिकांत तिवारी का नाम आया था, जिन्होंने उप्र न्यायिक सेवा परीक्षा 2016 के लिए आवेदन किया था। इसके बाद उन्हें प्रारंभिक और लिखित परीक्षा में सफलता मिली थी, लेकिन साक्षात्कार के बाद उनका नाम फाइनल लिस्ट में नहीं था। इस निर्णय से स्पष्ट होता है कि न्यायिक सेवा की शर्तों के अनुसार विधिक अधिकारी को कंपनी से इस्तीफा देने के बाद भी सात वर्षों की निरंतर प्रैक्टिस की आवश्यकता होती है।

News-Desk

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