देश में monsoon का कहर: बाढ़, बारिश और जलवायु परिवर्तन की चुनौती
भारत में monsoon का आगमन हर साल एक नई चुनौती लेकर आता है, और इस बार भी इसकी तबाही से देश के कई हिस्से बेहाल हैं। बारिश और बाढ़ ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। मुंबई में मानसूनी बारिश के कारण हाहाकार मच गया है। लोकल ट्रेन सेवाएं ठप हो गई हैं, सड़कें जलमग्न हैं, और उड़ान संचालन पर भी असर पड़ा है।
मुंबई और ठाणे में monsoon तबाही
मुंबई में भारी बारिश से हालात बिगड़ गए हैं। ठाणे में भी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ, जिससे चार मकानों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। नगर निकाय अधिकारियों ने 54 लोगों को उनके जलमग्न घरों से बचाया। गोवा में भी लगातार तीन दिनों से बारिश हो रही है, जिससे तटीय राज्य के कई निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं।
असम में भीषण बाढ़
असम में बाढ़ ने करीब 24 लाख लोगों को प्रभावित किया है। बाढ़ के कारण जनजीवन ठप हो गया है। एनडीआरएफ की टीम राहत कार्यों में जुटी हुई है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का प्रयास कर रही है।
उत्तर प्रदेश में बाढ़ के हालात
उत्तर प्रदेश में मानसून पूरी तरह एक्टिव है। भारी बारिश और उत्तराखंड से छोड़े गए पानी के कारण प्रदेश के कई इलाकों में बाढ़ के हालात बन गए हैं। पीलीभीत, लखीमपुर, कुशीनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती और गोंडा जिलों के कई गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए एनडीआरएफ की टीम 32 नौकाओं की मदद से राहत कार्यों में जुटी है।
उत्तराखंड और कुमाऊं में बारिश का कहर
उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में नदियां उफान पर हैं। चंपावत और उधमसिंह नगर जिलों के कई गांवों में भारी जलभराव हो गया है। सैकड़ों ग्रामीणों के घरों में पानी भर गया है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
दिल्ली एनसीआर में बादलों का डेरा
देश की राजधानी दिल्ली में तेज बारिश तो नहीं हो रही है, लेकिन पूरे दिल्ली एनसीआर में बादलों का डेरा है। आईएमडी ने अपनी बुलेटिन में कहा है कि दिल्ली एनसीआर में 9 जुलाई तक हल्की बारिश और बादल छाए रह सकते हैं।
मौसम विभाग की भविष्यवाणी
मौसम विभाग का कहना है कि आने वाले दिनों में बारिश से राहत नहीं मिलने वाली है। स्काईमेट वेदर की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले 24 घंटों के दौरान उत्तर-पूर्वी उत्तर प्रदेश, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में मध्यम से भारी बारिश हो सकती है। उत्तर बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, विदर्भ, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, तटीय कर्नाटक, कोंकण और गोवा, दक्षिण ओडिशा, केरल और तटीय आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है।
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की भूमिका
बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून का मिजाज भी बदल रहा है। बारिश के पैटर्न में परिवर्तन, अत्यधिक वर्षा और सूखे की स्थिति सामान्य हो गई है। जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर ग्लोबल वार्मिंग पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो ऐसे ही मौसम की चरम घटनाएं देखने को मिलेंगी।
अत्यधिक वर्षा और इसके दुष्प्रभाव
अत्यधिक वर्षा के कारण फसलों को नुकसान पहुंचता है, जिससे किसानों की आजीविका पर असर पड़ता है। जलभराव के कारण संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है, और बुनियादी ढांचे को भी नुकसान होता है।
सूखे की समस्या
वहीं दूसरी ओर, देश के कुछ हिस्सों में सूखे की स्थिति बनी रहती है। पानी की कमी के कारण खेती और जनजीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
पर्यावरण संरक्षण और भविष्य की चुनौतियां
पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें ठोस कदम उठाने होंगे। वृक्षारोपण, जल संरक्षण, और हरित ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। सरकार और आम जनता दोनों को मिलकर इन चुनौतियों का सामना करना होगा।
देश में monsoon का कहर हर साल नई चुनौतियों को सामने लाता है। बाढ़, सूखा, और अत्यधिक वर्षा जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण इन घटनाओं की तीव्रता और आवृत्ति बढ़ रही है। हमें मिलकर इन चुनौतियों का सामना करना होगा और पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। केवल तभी हम एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं।