स्वास्थ्य

कब्ज की प्राकृतिक व घरेलू चिकित्सा

कब्ज | Kabj | Constipation In Hindi - Hindi100पाचन तंत्र के कार्य में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न होने के कारण शरीर की व्यवस्था बिगड़ जाती हैं कब्ज रोग होने का कारण ही एक प्रकार से भोजन का ना पचना होता है पेट रोगों का घर होता है तो आंत विषैले तत्वों की उत्पत्ति का स्थान|

यह बहुत से रोगों को जन्म देता है जिसमें कब्ज प्रमुख रोग होता है कब्ज से अभिप्राय है कि मल त्याग ना होना,मल त्याग कम होना,मल में गांठे निकलना लगातार पेट साफ ना होना भोजन पचने के बाद मल का पूर्ण रूप से साफ ना होना जिसके कारण पेट के कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं| इस रोग के कारण शरीर में कार्य करने की क्षमता कम हो जाती हैं

इस रोग के कारण कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो सकते हैं जैसे अफारा पेट दर्द, गैस बनना, सर में दर्द ,हाथ पैरों में दर्द, अपच तथा बवासीर आदि .. पखाना साफ नहीं होना या कई बार थोड़ा-थोड़ा पखाना आना मल साफ न आना कब्ज कहलाता है

कारण

तली हुई चीजों का अधिक सेवन करने तथा पेशाब के वेग को रोकने के कारण ठंडी चीजें जैसे चॉकलेट, ठंडे पेय पदार्थ ,दर्द नाशक दवाइयों का अधिक सेवन, व्यायाम तथा शारीरिक श्रम ना करना ,शरीर में खून की कमी, अधिक सोना ,कम पानी पीना समय पर भोजन ना करना ,गलत खान-पान, मैदा ,अधिक धूम्रपान तथा नशीली दवाइयों का प्रयोग, अधिक भोजन करना ,शौच को रोकने की आदत, मानसिक तनाव, आंतों का कमजोर होना, पानी की कमी ,गंदगी में रहना मादक द्रव्यों का सेवन ,भोजन के साथ अधिक पानी पीने ,मिर्च मसाले तथा तले हुए पदार्थ का अधिक सेवन ,अधिक गुस्सा, अधिक आलस आदि कारणों के कारण कब्ज रोग हो जाता है
लक्षण
कब्ज के रोगी को रोजाना मल त्याग नहीं होता ,जीभ सफेद व मटमैली हो जाती है, गैस अधिक बनती है, तथा गैस से तेज बदबू आती है, मुंह से बदबू आती है ,सर में दर्द तथा आंखों के नीचे कालापन हो जाता है जी मचलाना ,मुंहासे निकालना ,मुंह के छाले ,अम्लता ,चिड़चिड़ापन, गठिया,आंखों का मोतियाबिंद , उच्च रक्तचाप ,पेट में भारीपन, पेट में दर्द ,भोजन में अरुचि, भोजन अच्छा ना लगना, सुस्ती, बेचैनी ,जी मिचलाना ,सिर में दर्द, पेट में दर्द होना ,चक्कर आना, खांसी, बवासीर आदि

कब्ज को दूर करने का सही तरीका जाने ...प्राकृतिक व घरेलु उपचार

कब्ज के रोगी को कभी भी दस्त लाने वाली औषधि का सेवन नहीं कराना चाहिए बल्कि कब्ज होने के कारण को दूर करना चाहिए कब्ज के रोगी को ठीक करने के लिए चोकर सहित आटे की रोटी हरी पत्तेदार सब्जियां अधिक से अधिक बिना पका हुआ भोजन अंकुरित अन्न हल जैसे पपीता खजूर संतरा नरियल अमरुद अंगूर सेब गाजर खीरा चुकंदर बेल अखरोट अंजीर आदि नारियल पानी नींबू पानी फल तथा सब्जियों का रस गेहूं का रस पीने से कब्ज के रोगी को बहुत फायदा मिलता है कच्चे पालक का रस सुबह-शाम पीने से कब्ज का रोग ही बहुत जल्दी ठीक हो जाता है
२५ ग्राम किशमिश को पानी में भिगो दे और सुबह और सुबह खायें इससे पुराना कब्ज ठीक हो जाता है सुबह के समय उठते ही २ से ४ गिलास पानी पीना चाहिए उसके बाद सौच के लिए जाना चाहिए

कब्ज का उपचार करने के लिए रोगी के पेट पर २० से २५ मिनट तक मिट्टी या कपड़े की पट्टी करनी चाहिए तथा प्रतिदिन करने से यह रोग ठीक हो जाता है इसके बाद कटि स्नान या एनिमा क्रिया से पेट को साफ करना चाहिए सुबह के समय सर पर जाना चाहिए

वह शाम को हरे रंग की बोतल का सूर्य तप्त पानी पीना चाहिए रोगी को भोजन के बाद लगभग ५ मिनट तक वज्रासन करना चाहिए यदि पुराना कब्ज है तो सुबह तथा शाम को कटि स्नान व सोते समय पेट पर गर्म सिकाई करने से लाभ होता है

कम से कम ६ गिलास पानी पीना चाहिए रात को सोते समय एक गिलास गुनगुना पानी पीने या एक चम्मच आंवले की चटनी गुनगुने दूध में मिलाकर लेने से अधिक लाभ होता है रोगी को रात क्या रखा हुआ तांबे के बर्तन का पानी पीना चाहिए सप्ताह में एक बार गर्म दूध या गर्म पानी में एक चम्मच अरंडी का तेल मिलाकर पीने से कब्ज रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है

अपने पेडू पर ठंडे पानी में भिगोया तोलिया कम से कम ८ मिनट तक रखना चाहिए जिससे कब्ज रोग जल्दी ठीक हो जाता है व कब्ज से बचने के लिए व्यक्ति को जब भूख लगे तभी कुछ खाना चाहिए नहीं तो नहीं |

पानी बहुत मात्रा में पीयें, हल्का सादा भोजन करें, हरी सब्जियां, सलाद व फल प्रचुर मात्रा में खाएं तली हुई व महीन चीजों (मैदा से बने खाद्य पदार्थ) का सेवन बिलकुल न करें l

त्रिफला (छोटी हरड़, बहेड़ा तथा आंवला) :त्रिफला का चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में लेकर हल्के गर्म पानी के साथ रात को सोते समय लेने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) समाप्त होती है।

त्रिफला का चूर्ण 6 ग्राम को शहद में मिलाकर रात में खा लें, फिर ऊपर से गर्म दूध पीने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।
त्रिफला 25 ग्राम, काली हरड़ 25 ग्राम, सनाय 25 ग्राम, गुलाब के फूल 25 ग्राम, बीज रहित मुनक्का 25 ग्राम, बादाम की गिरी 25 ग्राम, काला दाना 25 ग्राम और वनफ्शा 25 ग्राम को आदि लेकर अच्छी तरह पीस लें। इस मिश्रण को गर्म दूध के साथ पीने से कब्ज के रोग को समाप्त करता है।
त्रिफला (छोटी हरड़, बहेड़ा तथा आंवला) तीनों को एक समान मात्रा में लेकर इसका चूर्ण तैयार कर लेते हैं। फिर रोजाना रात में सोते समय 2 चम्मच चूर्ण गर्म दूध या गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज दूर हो जाती है।

1 चम्मच त्रिफला के चूर्ण को गर्म पानी के साथ सोने से पहले सेवन करने से कब्ज में आराम मिलता है।

50 ग्राम त्रिफला, 50 ग्राम बादाम की गिरी, 50 ग्राम सौंफ, 10 ग्राम सोंठ और 30 ग्राम मिश्री आदि को अलग-अलग जगह कूट लें। इन सबको मिलाकर 6 ग्राम को खुराक के रूप में रात को सोने पहले पी लें।

त्रिफला गुग्गुल की 2-2 गोलिया दिन में 3 बार (सुबह, दोपहर और शाम) गर्म पानी के साथ देने से पुरानी कब्ज़ मिट जाती है।

त्रिफला के चूर्ण को कुछ घण्टे तक पानी में भिगोकर, छानकर उसका पानी पीने से भी गैस की शिकायत नहीं रहती है।

15 से 20 मुनक्का को 250 ग्राम दूध और 250 मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल लें और जब केवल दूध बच जाये, तब इसे उतार दे। मुनक्के को खाकर ऊपर से दूध को पीने से कब्ज की शिकायत में लाभ होता है।

मुनक्का :रोजाना प्रति 10 मुनक्का को गर्म दूध में उबालकर सेवन करने से लाभ मिलता है।

3 पीस मुनक्का, 20 ग्राम किशमिश और एक अंजीर को शाम के दौरान 250 मिलीलीटर पानी में भिगो दें। सुबह उठकर इन सभी को मसलकर उसमें थोड़ा पानी मिलाकर छान लें। बाद में इसमें एक नींबू का रस निचोंड़ दें और 2 चम्मच शहद को मिलाकर पीने से कुछ ही दिनों कब्ज़ में लाभ मिलता है।

मुनक्का का ताजा रस 28 मिलीलीटर से 56 मिलीलीटर को चीनी या सेंधानमक मिलाकर पीने से कब्ज दूर हो जाती है।

मुनक्का को रात को सोने से पहले गर्म दूध के साथ पीने से लाभ होता है।

सेब :सेब, अंगूर या पपीता खाने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) में राहत मिलती है।
सेब का रस पाचन अंगों पर एक पतली तह चढ़ाता है जिससे वे संक्रमण और बदबू से बचे रहते हैं और वायु पैदा होना रुक जाता है। मलाशय और निचली आंतों में बदबू और संक्रमण नहीं होता है। सेब का रस पीने के बाद गर्म पानी पीना चाहिए।
खाली पेट या खाना खाने के बाद सेब खाने से कब्ज होती है। सेब का छिलका दस्तावर या पेट को साफ करने वाला होता है इसलिए रोगियों को सेब छिलके सहित ही खाना चाहिए।

खाली पेट सेब छिलके सहित खाने से कब्ज ठीक हो जाती है।

आंवला :सूखे आंवले का चूर्ण रोजाना 1 चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद ने से लाभ होता हैं।
1 चम्मच आंवले का चूर्ण शहद के साथ रात में लें।
आंवले के फल का चूर्ण यकृत बढ़ने, सिर दर्द, कब्ज, बवासीर व बदहजमी रोग में त्रिफला चूर्ण के रूप में प्रयोग किया जाता है। 3 से 6 ग्राम की मात्रा में त्रिफला चूर्ण फंकी गर्म पानी के साथ रात में सोते समय लेने से कब्ज मिटता है।
रात को एक चम्मच पिसा हुआ आंवला पानी या दूध से लेने से सुबह दस्त साफ आता है, कब्ज नहीं रहती। इससे आंत तथा पेट साफ हो जाता है।

आंवले का मुरब्बा खाकर ऊपर से दूध पीने से कब्ज समाप्त हो जाती है।
आंवला, हरड़ और बहेड़ा का चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ लें।
ताजे आंवले का रस शहद के साथ लेने से पेट खाली होता है।आंवला की चटनी खायें

टमाटर :कच्चा टमाटर सुबह-शाम खाने से कब्ज दूर होती है।
टमाटर खाने से कब्ज मिटती है और आमाशय व आंतों में जमा मल, पदार्थ निकालने में और अंगों को कार्य करने में मदद करता हैं।
टमाटर के रस में थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर रोजाना खाने से गैस नहीं बनती है।
पके टमाटर का रस एक कप पीने से पुरानी से पुरानी कब्ज दूर होती है और आंतों को ताकत भी मिलती है।
कब्ज की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन लगभग 50 ग्राम टमाटर खाने चाहिए।
पके टमाटर के रस का सूप 1 कप प्रतिदिन पीने से आंतों में जमा हुआ सूखा मल मुक्त होता है और पुराना कब्ज खत्म हो जाता है।

बैंगन : बैंगन व पालक का सूप पीने से कब्ज मिटती है और पाचन-शक्ति बढ़ती है।
शहद : 2 चम्मच शुद्ध शहद को दूध के साथ सोने से पहले सेवन करने से सुबह शौच आती है।
आम : आम को खाने के बाद दूध पीने से शौच खुलकर आती है और पेट साफ हो जाता है।

चना :1 या 2 मुट्ठी चने को धोकर रात को भिगो दें। प्रात:काल जीरा और सोंठ को पीसकर चनों पर डालकर खाएं। घंटे भर बाद चने भिगोये हुए पानी को भी पी लें। इससे कब्ज दूर होगी।
अंकुरित चना, अंजीर और शहद को मिलाकर या गेहू के आटे में चने का मिश्रण कर रोटी खाने से कब्ज मिटती है।
रात को लगभग 50 ग्राम चने भिगो दें। सुबह इन चनों को जीरा तथा नमक के साथ खा लें।

नमक :रात को तांबे के बर्तन में पानी भरकर रख दें। उसमें 1 चुटकी की मात्रा में नमक डालकर सुबह के समय सेवन करने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।

50 ग्राम नमक या कालानमक, लाहौरी नमक 10 ग्राम, अजवायन 5 ग्राम, भुनी हींग 10 ग्राम, त्रिफला व सौंफ 50-50 ग्राम को पीसकर छान लें। इस चूर्ण को खाना खाने के बाद 5 ग्राम गर्म पानी से लें। इससे कब्ज दूर हो जाती है।

काला नमक, अजवाइन, छोटी हर्र और सौंठ को बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक पीसकर रख लें। रात को खाने से 1 घण्टे बाद 1 चम्मच गर्म पानी से फंकी लेने से कब्ज दूर होती है और आराम मिलता है।

1 से 2 ग्राम नमक को गुनगुने पानी में रोज रात को पीने से कब्ज की शिकायत नहीं रहती हैं, क्योंकि इसको पीने से आंते साफ रहती हैं। शौच खुलकर आती है और पुरानी से पुरानी कब्ज चली जाती है।

कालानमक और छोटी हरड़ को पीसकर गर्म पानी के साथ खाना खाने के पहले 1 से 2 चम्मच की मात्रा में लेने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।

नमक, 4 कालीमिर्च के पीस, 4 लौंग के पीस आधी कटोरी पानी में उबालकर पीने से कब्ज में राहत प्राप्त होती है।गिलोय :गिलोय का मिश्रण या चूर्ण 1 चम्मच गुड़ के साथ खाने से कब्ज दूर होती है।

गिलोय का बारीक चूर्ण को गुड़ के साथ बराबर की मात्रा में मिलाकर 2 चम्मच सोते समय सेवन करने से कब्ज का रोग दूर हो जाता है।

लहसुन :साग-सब्जियों में लहसुन को मिलाकर खाने से कब्ज नहीं रहती है।पेट में गैस बनने पर सुबह 4 कली लहसुन की खाये इससे पाचन शक्ति बढ़ती है और गैस दूर होती है।

1 पुतिया लहसुन की कली और सोंठ 250 ग्राम अलग-अलग पीसकर आधा किलो शहद में मिलाकर रख लें। 10-10 ग्राम की मात्रा में यह मिश्रण खाने से वायु की पीड़ा मिटती है।

गाजर :गाजर, मूली, प्याज, टमाटर, खीरा व चुंकदर का सलाद बनाकर, नींबू का रस और सेंधानमक मिलाकर सेवन करने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) में लाभ होता है।

गाजर के रस का रोजाना सेवन करने से कोष्ठबद्धता (कब्ज) ठीक हो जाती है। ऐसे व्यक्ति अर्श (बवासीर) रोग से सुरक्षित रहते हैं।
गाजर या संतरे का 200 मिलीलीटर रस दिन में 2-3 बार पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) मिटती है।

कच्ची गाजर 250 ग्राम को रोजाना खाली पेट खाने से कब्ज नहीं होती है, भूख अच्छी तरह लगती है।गाजर व हरड़ का मुरब्बा खाने से पेट में गैस नहीं रुक पाती है।

पालक : पालक, मेथी, बथुआ या चौलाई की सब्ज़ी खाने से कब्ज़ (कोष्ठबद्धता) से राहत मिल जाती हैं।घी :घी के साथ काकजंघा को मिलाकर पीने से वायु के रोगों में लाभ होता है।

घी में कालीमिर्च मिलाकर गर्म दूध में घी के साथ पीने से आंतों में रुका मल नरम और ढीला हो करके बाहर निकल जाता है।
बड़ी इलायची : बड़ी इलायची के दाने 250 ग्राम, इन्द्रायण की गिरी बिना बीजों का 10 ग्राम की मात्रा में पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर सुबह-शाम देने से पेट की गैस कम हो जाती है।

फूलगोभी :रात को सोते समय गोभी का रस पीने से कब्ज के रोग में लाभ होता है।आधा गिलास फूल की गोभी के रस को सोने से पहले पीने से कब्ज में लाभ होता है।

पत्ता गोभी (करम कल्ला) :पत्तागोभी के रस को रोजाना पीने से पुरानी कब्ज दूर हो जाती है। शरीर में मौजूद दोषों (कमियों) को मल के द्वारा बाहर निकाल देता है।
पत्तागोभी (करमकल्ले) के कच्चे पत्ते रोजाना खाने से पुराना कब्ज दूर हो जाता है। शरीर में मौजूद विजातीय पदार्थ और दोष-पूर्ण पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।

पत्तागोभी को कच्चा खाने से आंतों की कमजोरी के साथ गैस की शिकायत भी दूर होती है।खरबूजा : कब्ज में पका हुआ खरबूजा खाने से कब्ज मिटती है।

बथुआ :बथुआ की साग-सब्जी बनाकर रोजाना खाते रहने से कब्ज की शिकायत कभी नहीं होती है। यह आमाशय को ताकत देता है। इससे शरीर में ताकत व स्फूर्ति आती है।

बथुआ को उबालकर इच्छानुसार चीनी मिलाकर एक गिलास सुबह-शाम पीने से कब्ज में आराम मिलता है।
बथुआ आमाशय को ताकत देता है और कब्ज दूर करता है। यह पेट को साफ करता है। अत: कब्ज वालों को बथुए का साग रोज खाना चाहिए। कुछ हफ्ते लगातार बथुआ का साग खाते रहने से हमेशा होने वाला कब्ज दूर हो जाता है।

बथुआ और चौलाई की भुजी को मिलाकर सेवन करने से कब्ज नष्ट होती है।चौलाई : चौलाई की सब्जी खाने से कब्ज में लाभ मिलता है।

मूंग :चावल और मूंग के दाल की खिचड़ी खाने से कब्ज़ में आराम होता है।चावल और मूंग की खिचड़ी खाने से कब्ज दूर होती है। 20 ग्राम मूंग की दाल और 10 ग्राम चावल की खिचड़ी बनाएं। फिर इसमें नमक मिलाकर और घी डालकर खाने से कब्ज दूर होकर दस्त साफ आता है।
मसूर की दाल : मसूर की दाल खाने से कब्ज में लाभ होता है।
तरबूज : तरबूज कुछ दिनों तक सेवन करने से पेट की कब्ज दूर हो जाती है।
तिल :
60 ग्राम तिल को कूटकर रख लें, फिर इसमें समान मात्रा में गुड़ मिलाकर खाने से कब्ज समाप्त होती है।
लगभग 6 ग्राम तिल को पीसकर रख लें, फिर इसमें मीठा मिलाकर खाने से कब्ज मिटता है। तिल, चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी भी कब्ज को दूर करती है।

तिल का छिलका उतारकर, मक्खन और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर सुबह-सुबह खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
तिल, चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी को खाने से पेट में गैस नहीं रहती है।

सज्जीखार : सज्जीखार 3 ग्राम, 3 ग्राम पुराना गुड़ दोनों को मिलाकर रगड़कर छोटी गोलियां बना लें। रोजाना सुबह 1 गोली खुराक के रूप में सेवन करने से कब्ज की बीमारी समाप्त हो जाती है।

आक (मदार) :आक की जड़ को छाया में सुखाकर पीस लें। फिर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग आधा ग्राम तक खुराक के रूप में खाकर, ऊपर से दूध को पीने से पेट में मौजूद वायु के गोले नष्ट होते हैं।

आक के पत्ते को बांधने से पेट साफ हो जाता है।दाख : दाख, हरड़ और चीनी या सेंधानमक मिलाकर खाने से लाभ होता है।

कोयली का बीज : कोयली के बीज 4 से 6 ग्राम, नमक और सोंठ के साथ पीसकर खाने से पेट साफ हो जाता है।

पीपल :पीपल के 5-10 फल को रोजाना खाने से कब्ज का रोग मिट जाता है।
पीपल के पत्ते और कोमल कोपलों का 40 मिलीलीटर काढ़ा पिलाने से विरेचन (पेट साफ करने वाला) लगता है।
पीपल के पेड़ का फल और नई कोपलें खाने से पेट मल का रुकना दूर हो जाता है।

अंकोल : अंकोल की जड़ का चूर्ण खाने से पेट की कब्ज में आराम मिलता है।
ढाक : ढाक के 20 पत्तों को ताजे पानी में पीसकर मरीज को दें, यदि दर्द हल्का हो जाये तो एक बार फिर इसी मात्रा में देने से वायु (गैस) के रोग में राहत देता है।

नागदोन : नागदोन और हरड़ का चूर्ण खाने से लाभ होता है।
बड़ी पीलू : बड़ी पीलू के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से पेट साफ हो जाता है।

दही : दही का तोड़ (खट्टा पानी) पीने से कब्ज दूर हो जाती है।
दूध :
250 मिलीलीटर गाय का दूध, 250 ग्राम पानी और 5 कालीमिर्च साबुत लेकर आग पर चढ़ा दें और जब पानी जल जाये, तब उतारकर छान लें। इसमें मिश्री मिलाकर पीने से वायुगोला का दर्द मिट जाता है।
गर्म दूध के साथ ईसबगोल की भूसी या गुलकंद लेने से शौच खुलकर आता है। बवासीर रोग से ग्रस्त रोगियों को भी इसका सेवन करना चाहिए। गाय का ताजा दूध तलुवों पर रगड़ने से बवासीर में राहत मिलती है।
गर्म दूध के साथ 2 चम्मच गुलाब का गुलकंद या ईसबगोल की भूसी रात को लेने से शौच खुलकर आता है।
कब्ज होने पर दूध और घी का सेवन भी कर सकते हैं।
दूध में घी या मुनक्का डालकर सेवन करने से कब्ज नहीं होता है।

2 चम्मच गुलकंद को गर्म दूध में डालकर सोने से पहले पीने से सुबह शौच खुलकर आती है।
250 मिलीलीटर दूध में 4 चम्मच ईसबगोल की भूसी डालकर पीने से मल ढीला होकर निकल जाता है।
ईसबगोल 20 ग्राम को दूध के साथ रात में सोने से 30 मिनट पहले सेवन करने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) समाप्त हो जाती है।

ईसबगोल के बीज की भूसी 1 से 2 चम्मच रात को पानी में भिगो दें सुबह उठकर मिश्री में मिलाकर शर्बत बना लें। फिर इसे पीने से पेट की आंते फूल जाती हैं जिससे मल आसानी से बिना किसी रुकावट के बाहर निकल जाता है। ध्यान रहे कि भूसी को बिना भिगोये सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह कभी-कभी कष्ट को बढ़ा देता है।

सत्यानाशी :सत्यानाशी की जड़ की छाल 10 ग्राम, कालीमिर्च 5 पीस लेकर पानी में पीस लेने से पेट के दर्द दूर हो जाता है।
1 ग्राम से 3 ग्राम तक सत्यानाशी के तेल को पानी में डालकर पीने से पेट साफ हो जाता है।

सत्यानाशी की जड़ की छाल 6 से 10 ग्राम तक पानी के साथ खाने से शौच साफ आती है।पीले धतूरे के बीजों से प्राप्त तेल की 30 बूंदों को दूध में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज दूर होती है।

चाकसू : चाकसू के बीजों को पीसकर चूर्ण बनाकर खाने से पुरानी कब्ज मिट जाती है।

मिट्टी :कपड़े को पानी से गीला कर लें, उस पर गीली मिट्टी का लेप करके दोबारा इस पर फिर कपड़ा बांधें। रातभर इस तरह पेट पर गीली मिट्टी की पट्टी को पेट पर रखने से कब्ज दूर हो जाती है तथा पेट साफ हो जाता है।पेट पर गीला कपड़ा बिछायें। फिर उस पर गीली मिट्टी का लेप करके मिट्टी बिछाकर कपड़ा बांधे। रातभर इस तरह पेट पर गीली मिट्टी रखने से कब्ज दूर होगी। मल बंधा हुआ तथा साफ आयेगा।
मुलहठी :
मुलहठी 5 ग्राम को गुनगुने गर्म दूध के साथ सोने से पहले पीने से सुबह शौच साफ आती है।
पिसी मुलहठी 125 ग्राम, पिसी सोंठ 3 चम्मच, पिसे गुलाब के सुखे फूल 2 चम्मच, 1 गिलास पानी में उबालकर ठण्डा होने पर छानकर सोते समय रोजाना पीने से पेट में जमा कब्ज और आंव (एक तरह का चिकना सफेद मल) निकल जायेगा।
नीम :
नीम के सूखे फल को रात में गर्म पानी के साथ खाने से शौच खुलकर आती है।

नीम के फूलों को सुखाकर पीसकर रख लें। इस चूर्ण को रोजाना एक चुटकी रात को गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज में लाभ होता है।

नीम की 20 पत्तियों को पीसकर 1 गिलास पानी में मिला लें, सुबह-सुबह इससे एक कुल्ला करके यह सारा पानी पीने से कब्ज नहीं रहती है।
ईसबगोल :
ईसबगोल 2 चम्मच, हरड़ 2 चम्मच, बेलक का गूदा 3 चम्मच आदि को पीसकर चटनी बना लें। सुबह-शाम इसमें से 1-1 चम्मच गर्म दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

रात को सोने से पहले ईसबगोल की भूसी को दूध के साथ लेने से सुबह शौच खुलकर आती है।ईसबगोल 6 ग्राम को 250 मिलीलीटर गुनगुने दूध के साथ सोने से पहले पी लें। कभी-कभी ईसबगोल की भूसी लेने से पेट फूल जाता है। ऐसा बड़ी आंतों में ईसबगोल पर बैक्टीरिया के प्रभाव से पैदा होने वाली गैस से होता है।

इसलिए ध्यान रखें कि ईसबगोल की मात्रा कम से कम ही लें, क्योंकि ईसबगोल आंतों में पानी को सोखती है, जिससे मल की मात्रा बढ़ती है और मल की मात्रा बढ़ने से आंतों की कार्यशीलता बढ़ जाती है, जिससे मल ठीक से बाहर निकल आता है। ईसबगोल लेने के बाद दो-तीन बार पानी पीना चाहिए। इससे ईसबगोल अच्छी तरह फूल जाता है। इसलिए ईसबगोल रात को ही लेना चाहिए और खाने के तुरंत बाद लें।
रानी आंव या आंतों की सूजन में 100-100 ग्राम बेल का गूदा, सौंफ, ईसबगोल की भूसी और छोटी इलायची को एक साथ पीसकर पाउडर बना लें। अब इसमें 300 ग्राम देशी खांड या बूरा मिलाकर कांच की शीशी में भरकर रख दें। इस चूर्ण की 2 चम्मच मात्रा सुबह नाश्ता करने के पहले ताजे पानी के साथ लें और 2 चम्मच शाम को खाना खाने के बाद गुनगुने पानी या गर्म दूध के साथ 7 दिनों तक सेवन करने से लाभ मिल जाता है। लगभग 45 दिनों तक यह प्रयोग करने के बाद बंद कर देते हैं। इससे कब्ज, पुरानी आंव या आंतों की सूजन के रोग दूर हो जाते हैं।
कोष्ठबद्धता (कब्ज) होने पर ईसबगोल को जल में घोलकर उसका लुबाव बनाकर उसमें बादाम का तेल मिलाकर पीने से बहुत लाभ मिलता है। कोष्ठबद्धता (कब्ज) दूर होने से पेट का दर्द भी नष्ट हो जाता है।

ईसबगोल भूसी के रूप में काम में आता है। यह कब्ज को दूर करता है। ईसबगोल के रेशे आंतों में पचते नहीं हैं तथा तरल पदार्थ सूखकर फूल जाते हैं और मल की निकासी शीघ्र करते हैं। इसका लुबाव आंतड़ियों को शीघ्र चलने में सहायता करता है जिससे मलत्याग में सहायता मिलती है। तीन चम्मच ईसबगोल गर्म पानी या गर्म दूध से रात को सेवन करने से कब्ज में लाभ मिलता है।

ईसबगोल के बीज की भूसी 1 से 2 चम्मच रात को पानी में भिगो दें सुबह उठकर मिश्री में मिलाकर शर्बत बना लें। इसे पीने से पेट की आंते फूल जाती हैं जिससे मल आसानी से बिना किसी रुकावट के बाहर निकल जाता है। ध्यान रहें कि भूसी को बिना भिगोये सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह कभी-कभी कष्ट को बढ़ा देता है।

गर्मी के दिनों में सुबह-शाम 3-3 चम्मच ईसबगोल की भूसी को मिश्री के मिले हुए जल में कुछ दिनों तक भिगोकर सेवन करने से कब्ज दूर हो जाता है।

करेला : करेला का रस 1 चम्मच, जीरा आधा चम्मच, सेंधानमक 2 चुटकी को पीसकर चटनी बनाकर कब्ज की शिकायत में खा सकते हैं।
कच्चा पालक : कच्चे पालक का रस रोज सुबह पीते रहने से कब्ज दूर होती है। पालक और बथुआ की सब्जी खाने से भी पेट की गैस कम हो जाती है।

शलगम : कच्चे शलगम को खाने से पेट साफ हो जाता है।
अंगूर :खाना खाने के बाद लगभग 200 ग्राम अंगूर खाने से कब्ज नष्ट होती है।कब्ज में अंगूर खाने से लाभ होता है।

धनिया :धनिया 20 ग्राम और 20 ग्राम सनाय को रात में 250 मिलीलीटर पानी में भिगो दें। सुबह इसे छानकर, मिश्री मिलाकर पीने से कब्ज (पेट में गैस) को कम कर देता है।
हरे धनिये की चटनी में कालानमक मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
धनिया कब्ज तोड़ने में भी सहायता करता है। धनिये के चूर्ण से पुराना से पुराना कब्ज भी दूर हो जाता है। इसके लिए 50 ग्राम धनिया, 10 ग्राम सोंठ, 2 चुटकी कालानमक तथा 3 ग्राम हरड़ लेकर सभी चीजों को कूट पीसकर कपड़े से छानकर रख लेना चाहिए। इस चूर्ण को थोड़ी सी मात्रा में भोजन करने के बाद गुनगुने पानी से लें। इससे कब्ज नष्ट होता है और मल भी खुलकर आने लगता है। इससे पेट का दर्द भी कम हो जाता है और आंतों की खुश्की भी दूर हो जाती है। इससे भूख खुलकर आती है। मलावरोध समाप्त हो जाता है। यदि पुराना कब्ज हो तो इस चूर्ण को लगातार 40 दिनों तक लेना चाहिए। कब्ज न रहने पर भी यह चूर्ण लिया जा सकता है। इससे किसी भी प्रकार की हानि की संभावना नहीं होती है।
त्रिकुटा : त्रिकुटा (सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल) 30 ग्राम, त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला), 50 ग्राम पांचों नमक, 10 ग्राम अनारदाना, 10 ग्राम बड़ी हरड़ को पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। रात को ठण्डे पानी में 6 ग्राम की खुराक के रूप में सेवन करने से कब्ज में रोगी को लाभ होगा।

बालू : बालू रेत की एक चुटकी को फांककर 1 गिलास पानी के साथ पीने से कब्ज कम हो जाती है।

अजवायन :अजवायन 10 ग्राम, त्रिफला 10 ग्राम और सेंधानमक 10 ग्राम को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर चूर्ण बना लें। रोजाना 3 से 5 ग्राम इस चूर्ण को हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से काफी पुरानी कब्ज समाप्त हो जाती है।
5 ग्राम अजवायन, 10 कालीमिर्च और 2 ग्राम पीपल को रात में पानी में डाल दें। सुबह उठकर शहद में मिलाकर 250 मिलीलीटर पानी के साथ पीने से वायु गोला के दर्द को नष्ट करता है।

अजवायन 20 ग्राम, सेंधानमक 10 ग्राम, कालानमक 10 ग्राम को पुदीना के लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग रस में कूट लें, फिर इसे छानकर 5-5 ग्राम सुबह-शाम खाना खाने के बाद गर्म पानी के साथ सेवन करने से आराम मिलता है।
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग अजवायन के बारीक चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ पीने से कब्ज (गैस) समाप्त होती जाती है।
अजवायन और कालानमक को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को पानी के साथ पीने से पेट के दर्द में आराम देता है।
6 ग्राम अजवाइन में लगभग 2 ग्राम कालानमक को मिलाकर फंकी देकर गर्म पानी पिलाने से गैस मिटती है। अजवाइन पेट की वायु को बाहर निकालती है। भोजन में किसी भी रूप से अजवाइन का सेवन करना चाहिए। अजवाइन और कालानमक समान मात्रा में पीसकर 4-4 ग्राम की फंकी छाछ से लेने से पेट की गैस दूर होती है।

सौंफ :सौंफ 50 ग्राम, कालानमक 10 ग्राम, कालीमिर्च 5 ग्राम को कूटकर छान लें। सुबह-शाम इसे 5-5 ग्राम खाना खाने के बाद गर्म पानी के साथ लेने से लाभ होता है।सौंफ का चूर्ण रात को खाकर ऊपर से पानी पीने से कब्ज दूर होती है।

सौंफ आधा चम्मच, हरड़ आधा चम्मच और चीनी आधा चम्मच की मात्रा में बारीक पीसकर रख लें। फिर रात को खाना खाने के बाद 1 घण्टे बाद सेवन करने से लाभ होता है।
सौंफ 3 ग्राम, बनफ्शा 3 ग्राम, बादाम 3 ग्राम और 10 ग्राम चीनी को लेकर पीस लें। इसकी 3 खुराक सुबह, दोपहर और शाम लेने से कब्ज में लाभ होगा।

सौंफ 50 ग्राम, बहेड़ा 100 ग्राम और गूदा कंवर गंदल 150 ग्राम को बारीक पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इन गोलियों को सुबह और शाम को पानी के साथ पीने से लाभ होता है।

सौंफ 50 ग्राम, गूदा घी ग्वार 100 ग्राम, सोंठ 100 ग्राम, जीरा 50 ग्राम को मिलाकर पीसकर मिश्रण बना लें। फिर इस मिश्रण की छोटी-छोटी गोलियां बना लें। 1-1 गोली सुबह-शाम पानी के साथ लेने से कब्ज में लाभ मिलता है।

सौंफ, सनाय, हरड़ का छिलका, सोंठ और सेंधानमक बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। 3 ग्राम की मात्रा में 14 से 18 साल तक के बच्चों को होने वाली कब्ज में पानी के साथ पिलाने से कब्ज से छुटकारा मिलता है।

सौंफ 4 ग्राम, सनाय 4 ग्राम, द्राक्षा (मुनक्का) 4 ग्राम को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें, इस काढ़े को पिलाने से कब्ज नहीं रहती है।
सौंफ की जड़ दो ग्राम सुबह-शाम पीसकर लेने से शौच खुलकर आती है।

4 चम्मच सौंफ 1 गिलास पानी में उबालें। जब आधा पानी रह जाये तो छानकर पीने से कब्ज दूर हो जायेगा।सोते समय आधा चम्मच पिसी हुई सौंफ की फंकी गर्म पानी से लेने से कब्ज दूर होती है। सौंफ, हरड़, चीनी रोज आधा चम्मच मिलाकर पीसकर गरम पानी से फंकी लें।
52. सौंठ : सौंठ 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम में 3 ग्राम कालानमक मिलाकर मिश्रण बना लें। रोज 2-2 ग्राम की मात्रा में थोड़े-से पानी के साथ सुबह-शाम पीने से लाभ होता है।

लौंग : लौंग 10 ग्राम, कालीमिर्च 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम, लाहौरी नमक 50 ग्राम और मिश्री 50 ग्राम को पीस-छानकर नींबू का रस डाल दें। सूखने पर 5-5 ग्राम गर्म पानी से खाना खाने के बाद खुराक के रूप में लाभ होता है।
अदरक :
अदरक का रस 10 मिलीलीटर को थोड़े-से शहद में मिलाकर सुबह पीने से शौच खुलकर आती है।
1 कप पानी में 1 चम्मच भर अदरक को कूटकर पानी में 5 मिनट तक उबाल लें। फिर इसे छानकर पीने से कब्ज दूर होती है।
अदरक, फूला हुआ चना और सेंधानमक मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।

गुलकंद :गुलकंद 30 ग्राम को दूध के साथ रोजाना पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) समाप्त होती है। गुलकंद को खाकर ऊपर से दूध पी जायें। ऐसा 7 दिनों तक करने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
गुलकंद (गुलाब की पंखड़ियों से प्राप्त रस) 10 से 20 मिलीलीटर सुबह-शाम सेवन करने से शौच साफ आती है। भूख बढ़ती है और शरीर में ताकत आती है।

2 चम्मच गुलकंद को 250 मिलीलीटर हल्के गर्म दूध के साथ सोने से पहले लेने से पेट की गैस में लाभ होता है।
गुलकंद 2 बड़ा चम्मच, मुनक्का 4 पीस, सौंफ आधा चम्मच को मिलाकर एक कप पानी में उबालकर सेवन करें।
गुलाब की सूखी कली 20 ग्राम और तालमिश्री 40 ग्राम को मिलाकर 250 मिलीलीटर गर्म दूध के साथ पीने से लाभ होता है।

गुलकंद, आंवला, हरड़ का मुरब्बा, बहेड़ा का मुरब्बा आदि में से बीजों को बाहर निकालकर पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। रोजाना 3 बार (सुबह, दोपहर और शाम) 1-1 गोली गर्म दूध या पानी के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से कब्ज मिटती है।
नींबू :
नींबू का रस, 5 मिलीलीटर अदरक का रस और 10 ग्राम शहद मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) नष्ट होती है।
5 मिलीलीटर नींबू के रस को 10 ग्राम मिश्री में घोलकर पानी के साथ पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) दूर होती है।

नींबू के रस को पीने से वायु (गैस) का गोला समाप्त हो जाता है।
गन्ने का रस गर्म करके और नींबू का रस थोड़ी-सी मात्रा में लेकर सुबह के समय एक साथ लेने से लाभ होता है।
1 नींबू का रस गर्म पानी के साथ रात को सोने से पहले पी लें। इससे सुबह शौच खुलकर आती है।
नींबू का रस 2 चम्मच और चीनी 5 ग्राम को मिलाकर शर्बत बना लें। 4-5 दिन तक लगातार पीने से कब्ज में लाभ होता है।
नींबू के रस में थोड़ी-सी पिसी हुई कालीमिर्च को डालकर सेवन करने से कब्ज नष्ट हो जाती है।
नींबू के 10 मिलीलीटर रस को 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर सुबह के समय सेवन करने से कोष्ठबद्धता तुरंत समाप्त होती है।
1 नींबू का रस 1 गिलास गर्म पानी के साथ रात में सोते समय लेने से पेट साफ हो जाता है। नींबू का रस 15 मिलीलीटर और शक्कर (चीनी) 15 ग्राम लेकर 1 गिलास पानी में मिलाकर रात को पीने से पुराना कब्ज कम हो जाता है।
नींबू के रस में सेंधानमक मिलाकर सेवन करने से पेट की बीमारी और गैस बाहर निकल जाती है।
1 गिलास गुनगुने पानी में 1 नींबू का रस व एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से कब्ज दूर होती है और शरीर का वजन घटने लगता है।
अमरूद :
अमरूद को खाने के बाद ऊपर से दूध पी लेने से पेट में कब्ज नहीं होती है।
अमरूद खाने से आंतों में तरावट आती है और कब्ज दूर हो जाती है। इसे खाना खाने से पहले ही खाना चाहिए, क्योंकि खाना खाने के बाद खाने से कब्ज बनती है। कब्ज वालों को नाश्ते में अमरूद लेना चाहिए। पुरानी कब्ज के रोगियों को सुबह-शाम अमरूद खाना चाहिए। इससे पेट साफ हो जाता है।
अमरूद खाने से या अमरूद के साथ किशमिश खाने से कब्ज की शिकायत नहीं रहती है।
नाश्ते में अमरूद का सेवन करें। सख्त कब्ज में सुबह-शाम अमरूद खाएं। अमरूद को कालीमिर्च, कालानमक और अदरक के साथ खाने से अजीर्ण, गैस अफारा की तकलीफ दूर होकर भूख बढ़ जाएगी।
अच्छी किस्म के तरोताजा बड़े-बड़े अमरूद लेकर उसके छिलकों को निकालकर टुकड़े कर लें और धीमी आग पर पानी में उबालें। जब अमरूद आधे पककर नरम हो जाए, तब नीचे उतारकर कपड़े में डालकर पानी निकाल लें। उसके बाद उससे तीन गुना शक्कर लेकर उसकी चासनी बनायें और अमरूद के टुकड़े उसमें डाल दें। फिर उसमें इलायची दानों का चूर्ण और केसर इच्छानुसार डालकर मुरब्बा बनायें। ठण्डा होने पर इस मुरब्बे को चीनी-मिट्टी के बर्तन में भरकर, उसका मुंह बंद करके थोड़े दिन तक रख छोड़े। यह मुरब्बा 20-25 ग्राम की मात्रा में रोजाना खाने से कोष्ठबद्धता (कब्जियत) दूर होती है।
अमरूद का कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने से 3-4 दिनों में ही मलशुद्धि होने लग जाती है। कोष्ठबद्धता मिटती है एवं कब्जियत के कारण होने वाला आंखों की जलन और सिर दर्द भी दूर होता है। 250 ग्राम अमरूद खाकर ऊपर से गर्म दूध पीने से कब्ज दूर होती है।
अमरूद को नाश्ते के समय कालीमिर्च, कालानमक और अदरक के साथ खाने से अजीर्ण, गैस, अफारा और कब्ज की तकलीफ दूर होकर भूख बढ़ जायेगी।

अमरूद के कोमल पत्तों के 10 मिलीलीटर रस में थोड़ी शक्कर मिलाकर प्रतिदिन केवल एक खुराक सुबह सेवन करने से सात दिनों में ही अजीर्ण (पुरानी कब्ज) में लाभ होता है।

शलजम : शलजम को कच्चा खाने से कब्ज़ दूर हो जाता है।
दालचीनी :दालचीनी के तेल की 4 बूंदों को चीनी में मिलाकर पीने से कब्ज में लाभ मिलता है।
दालचीनी, सोंठ, जीरा और इलायची को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर खाना खाने के बाद इसमें से आधा चम्मच चूर्ण सुबह-शाम लें।
दालचीनी 1 ग्राम और छोटी हरड़ 5 ग्राम का चूर्ण बना लें। यह चूर्ण 100 मिलीलीटर गर्म पानी में मिलाकर रात को पीने से प्रात: साफ दस्त होता है और कब्ज दूर होती है।

दालचीनी, सोंठ, जीरा और इलायची थोड़ी-सी मात्रा में मिलाकर खाते रहने से कब्ज और अजीर्ण में लाभ होता है।
पानी :
10 मिलीलीटर पानी को गर्म करके उसमें शहद मिलाकर रात को सोने से 30-40 मिनट पहले पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) की शिकायत दूर होती है।
कब्ज से पीड़ित व्यक्ति को दिन में 25-30 गिलास पानी पीना चाहिए।

एक गिलास गर्म पानी में 1 चम्मच नमक मिलाकर पीने से उल्टी आकर मेदा अर्थात आमाशय साफ हो जाता है जिससे कब्ज दूर हो जाती है।
पानी को पीने से पेट में कब्ज नहीं बनती है, क्योंकि पानी पीने से मल ढीला रहता है और आसानी से शौच के दौरान आ जाता है। यदि कब्ज की शिकायत हो तो सुबह पानी में नींबू को निचोड़कर पीने से कब्ज ठीक हो जाती है।

सुबह सोकर उठते ही 1 गिलास पानी पीने तथा भोजन करते समय घूंट-घूंट करके पानी पीने से कब्ज के रोग में लाभ मिलता है।
ध्यान देने योग्य बातें : सर्दी के दिनों में रोजाना डेढ़ से 2 लीटर और गर्मी में लगभग 3 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए। भोजन के 1 घंटे पहले और लगभग 2 घंटे बाद ही पानी पीना चाहिए।

काबुली हरड़ : काबुली हरड़ को रात में पानी में डालकर भिगो दें। सुबह इसी हरड़ को पानी में रगड़कर नमक मिलाकर 1 महीने तक लगातार पीने से पुरानी से पुरानी कब्ज मिट जाती है।

एरण्ड :एरण्ड का तेल 30 मिलीलीटर को गर्म दूध में मिश्री के साथ पीने से कब्ज में लाभ होता है।1 कप दूध में 2 चम्मच एरण्ड के तेल को मिलाकर सोते समय पिलाने से पेट की कब्ज नष्ट हो जाती है।सोते समय 2 चम्मच एरण्ड का तेल पीने से कब्ज दूर होती है, दस्त साफ आता है। इसे गर्म दूध या गर्म पानी में मिलाकर पी सकते हैं।

एरण्ड के तेल की 10 बूंदों को रात को सोते समय पानी में मिलाकर सेवन करने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) की बीमारी में लाभ होता है।
एरण्डी के तेल की 2 से 4 बूंदों को माता के दूध में मिलाकर देना चाहिए।

अरण्डी के तेल की पेट पर मालिश करने से पेट साफ हो जाता है।6 मिलीलीटर अरण्डी के तेल में 6 ग्राम दही मिलाकर आधे-आधे घण्टे के अन्तर के बाद पिलाने से वायु गोला हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है।

एरण्डी का तेल 20 मिलीलीटर और अदरक का रस 20 मिलीलीटर मिलाकर पी लें, फिर ऊपर से थोड़ा-सा गर्म पानी पीने से वायु गोला में तुरंत लाभ होता है।एरण्ड का तेल और उसकी 2 से 3 कलियां खाने से पेट साफ हो जाता है।

एरण्ड के पत्ते और हरड़ की छाल को मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से बंद पेट खुल जाता है और शौच खुलकर आ जाती है।एरण्डी का तेल 3 चम्मच, बादाम रोगन 1 चम्मच को 250 मिलीलीटर दूध में गर्म कर सोने से पहले लेने से कब्ज दूर हो जाती है।
1 चम्मच एरण्ड का तेल दूध में मिलाकर सोने से पहले पीने से लाभ होता है।

एरण्ड के तेल की 30 बूंदों को 250 मिलीलीटर दूध में मिलाकर सेवन करने से सामान्य पेट की गैस दूर हो जाती है। नवजात शिशुओं को छोटी चम्मच में दी जा सकती है।

बड़ी हरड़ :बड़ी हरड़ को पीसकर रख लें। फिर 5 ग्राम चूर्ण को हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) दूर हो जाती है।
बड़ी पीली हरड़ का छिलका 6 ग्राम कालानमक या लाहौरी आधा ग्राम मिलाकर कूटकर रख लें। इसे सोने से पहले पानी के साथ लेने से पेट साफ होता है।
हरड़ :
हरड़ का चूर्ण गुड़ में मिलाकर सेवन करने से वात-रक्त (खूनी वात) के कारण होने वाला पेट का दर्द दूर होता है।
छोटी हरड़ 1-1 की मात्रा में दिन में 3 बार चूसने से गैस की बीमारी खत्म हो जाती है।
हरड़, बहेड़े और आंवले को बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें। इस चूर्ण को त्रिफला चूर्ण कहते हैं। रात्रि को 5 ग्राम त्रिफला चूर्ण गर्म जल या दूध के साथ सेवन करने से कोष्ठबद्धता नष्ट होती है।हरड़ सुबह-शाम 3 ग्राम गर्म पानी के साथ खाने से कब्ज में फायदा मिलता है। इससे बवासीर रोग में भी लाभ होता है।
हरड़, सनाय और गुलाब के गुलकंद की गोलियां बनाकर खाने से मल बंद (कब्ज) को खुलकर लाता है।
10 ग्राम हरड़, 20 ग्राम बहेड़ा और 40 भाग आंवला आदि को मिलाकर चूर्ण बना लें। रात को सोते 1 चम्मच चूर्ण दूध या पानी के साथ लेने से लाभ होता है।

हरड़ की छाल 10 ग्राम, बहेड़ा 20 ग्राम, आंवला 30 ग्राम, सोनामक्खी 10 ग्राम, मजीठ 10 ग्राम और मिश्री 80 ग्राम को एक साथ पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। फिर 10 ग्राम मिश्रण को शाम को सोने से पहले सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है।
छोटी हरड़ और 1 ग्राम दालचीनी मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें, इसमें 3 ग्राम चूर्ण हल्के गर्म पानी के साथ रात में सोने से पहले लेने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) दूर होती है।

छोटी हरड़ 2 से 3 रोजाना चूसने से कब्ज मिटती है।
छोटी हरड़ को घी में भून लें। फिर पीसकर चूर्ण बना लें। 2 हरड़ों का चूर्ण रात को सोते समय पानी के सेवन करने से शौच खुलकर आती है।
छोटी हरड़, सौंफ और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण रात को सोते समय पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
बच : बच और सोनामक्खी खाने से पेट की गैस में लाभ होता है।
अमलतास :
50 ग्राम अमलतास के गूदे को 150 मिलीलीटर पानी में रोज भिगोकर रात को सोने से पहले पीस लें। फिर उसमें चीनी मिलाकर सेवन करें। इससे कब्ज में लाभ होता है।
10 ग्राम अमलतास का गूदा और 10 ग्राम मुनक्का मिलाकर खाने से शौच साफ आती है और कब्ज समाप्त हो जाती है।
अमलतास और इमली के गूदे को पीसकर रात को सोने से पहले पीयें। इससे सुबह शौच अच्छी तरह से आती है।
4 ग्राम अमलतास के फूल को घी में भूनकर खाना खाने के बाद प्रयोग करने से गैस दूर होती है।

अमलतास 40 से 80 ग्राम को सनायपत्ती के साथ मिश्रण के रूप में रोजाना सोने से पहले सेवन करने से शौच खुलकर आती है। पुराने कब्ज के रोगी को कुछ दिनों तक नियमित सेवन करने से लीवर को ताकत भी प्राप्त होती है।

40 से 80 ग्राम तक अमलतास की जड़ का चूर्ण सुबह-शाम पानी में पीसकर पीने से शौच खुलकर आती है। यदि यह खुराक सुबह लेनी हो तो रात को खिचड़ी में अधिक घी डालकर खाने से आंतों में चिकनाई आ जाती है।

गुलाब के सूखे फूल, सौंफ और अमलतास की गिरी बराबर लेकर पीस लें। 1 कप पानी में 2 चम्मच चूर्ण घोलकर शाम को रख दें। रात में सोने से पहले छानकर पीने से अगली सुबह कब्ज में राहत मिलेगी।

कब्ज पर अमलतास का चमत्कारी प्रभाव होता है। अमलतास की सूखी फली का 4 इंच लंबा टुकड़ा कूटकर 1 गिलास पानी में डाल दें। इसमें गुलाबी रंग वाले गुलाब के तीन फूल (सूखे या गीले ताजा कोई भी) तथा 2 चम्मच मसाले में काम ली जाने वाली मोटी सौंफ लें। सबको पानी में एक घंटा भिगोने के बाद इतना उबालें कि पानी आधा रह जाये। फिर इसे छानकर रात को समय गर्म ही पियें। नयी, पुरानी, गांठदार, सूखा मल, कैसा भी हो, लाभ होगा। जब तक कब्ज रहे, इसे रोजाना पियें। लाभ होने पर बंद कर दें। जब कभी कब्ज पुन: प्रतीत हो, फिर से इसी प्रकार लें। बच्चों को आधी मात्रा में तथा शिशुओं को चौथाई मात्रा में दें। बच्चे से बूढ़े, गर्भवती स्त्री भी कब्ज दूर करने के लिए इसे ले सकती हैं। कब्ज में यह अच्छा लाभ करती है।

सप्ताह में एक बार रात को सौंफ 3 ग्राम, अमलतास 3 ग्राम, छोटी हरड़ का मोटा चूरा 2 ग्राम, अनारदाना 5 ग्राम, 2 कप पानी में उबालें। एक कप रहने पर छानकर पीने से कब्ज दूर हो जाती है तथा वर्षा ऋतु में पेट सम्बंधी रोग नहीं होते हैं।

गर्मी के मौसम में अमलतास के पेड़ के गहरे पीले रंग के गुच्छेदार फूल दूर से ही दिखाई देते हैं। अमलतास के फूलों का गुलकंद बनाकर खाने से कब्ज दूर होती है, गुलकंद अधिक मात्रा में खाने से दस्त लग जाते हैं, जी मिचलाता है और पेट में ऐंठन होने लगती है।
अमलतास के फूलों का गुलकंद, आंत्र रोग, सूक्ष्मज्वर एवं कोष्ठबद्धता में लाभदायक है। कोमलांगी स्त्री को इसका सेवन 25 ग्राम तक रात्रि के समय कोष्ठबद्धता में करना चाहिए।

67. किशमिश : किशमिश 25 ग्राम, मुनक्का 4 पीस, अंजीर 2 पीस और सनाय का चूर्ण चौथाई चम्मच को 1 गिलास पानी में भिगो दें। थोड़ी देर बाद सभी को पानी में मसलकर फिर इसको छान लें। इसमें 1 कागजी नींबू का रस और शुद्ध शहद 2 चम्मच मिलाकर सुबह इसे खुराक के रूप में खाली पेट सेवन करने से शौच अच्छी तरह आती है और पेट साफ हो जाता है।

माजून अंजीर : माजून अंजीर 10 ग्राम को सोने से पहले लेने से कब्ज में लाभ होता है।अखरोट : अखरोट के छिलकों को उबालकर पीने से दस्त में राहत मिलती है।
चिकनी सुपारी : चिकनी सुपारी, छोटी हरड़ और कालानमक को बराबर लेकर कूट लें। रोज 5-6 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ खाने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।

छाछ :छाछ में पिसी हुई अजवाइन को पीने से कब्ज दूर होती है।छाछ पीने से कब्ज, दस्त, पेचिश, खुजली, चौथे दिन आने वाला मलेरिया बुखार, तिल्ली, जलोदर, रक्तचाप की कमी या अधिकता, दमा, गठिया, अर्धांगवात, गर्भाशय के रोग, मलेरियाजनित यकृत के रोग और मूत्राशय की पथरी में लाभ होता है।

छाछ में अजवायन और नमक मिलाकर पीने से मलावरोध मिट जाता है।
कालानमक : 6 ग्राम काला नमक को देशी घी में भूनकर गर्म पानी के साथ खाने से 3-4 बार ट्टटी आने से पेट हल्का हो जाता है।
गुलाब :
गुलाब के फूल 10 ग्राम, सनाय 10 ग्राम, सौंफ 10 ग्राम और मुनक्का 20 ग्राम को 250 मिलीलीटर पानी में डालकर रख लें। सुबह उठकर सबको उसी पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। जब पानी 50 मिलीलीटर शेष रह जाये, तब इस काढ़े को छानकर पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) पूरी तरह से समाप्त हो जाती है।
गुलाब के फूल में बहुत सारे रेशे होते हैं अत: यह कब्ज दूर करता है। यह आंतों में छिपे हुए मल को बाहर निकाल देता है। 2-2 चम्मच गुलकंद सुबह-शाम को सोते समय गुनगुने दूध या पानी से लेने से कब्ज का नाश हो जाता है। इससे पेट व आंतों की गर्मी शांत होती है। यह दिमाग को ठंडक प्रदान करती है।
2-2 चम्मच गुलकंद सुबह या सोते समय गुनगुने दूध अथवा पानी से लेने से कब्ज पूरी तरह से खत्म हो जाती है।
गुलकंद को बराबर मात्रा में अमलतास के गूदे के साथ 1-1 चम्मच या गुलकंद को सनाय की पत्ती के साथ सेवन करने से कब्ज का रोग ठीक हो जाता है।

गुलाब की पत्ती, सनाय तथा तीनों हर्रों को 3 : 2 : 1 के अनुपात में 50 ग्राम लेकर उबाल लें। उबलने पर चौथाई हिस्सा पानी बाकी रहने पर रात में गुनगुना करके पी जाना चाहिए। कब्ज को दूर करने के लिए यह बहुत ही उपयोगी औषधि है।
पुराने कब्ज में 2 बड़े चम्मच गुलकंद, 4 मुनक्का व आधा चम्मच सौंफ को साथ-साथ उबालना चाहिए। जब आधा पानी बच जाये तो रात में सोते समय, सर्दी में गर्म तथा गर्मी में ठण्डा पी जाए। करीब 2 गिलास पानी उबालने के लिए रखना चाहिए ताकि 1 गिलास बचे।
गुलाब की पत्तियां 10 ग्राम, सनाय का 1 चम्मच पिसा हुआ चूर्ण के रूप में, 2 छोटी हरड़ लेकर 2 कप पानी में तीनों को उबाल लें। पानी जब एक कप बच जायें, तब इस बने काढ़े का प्रयोग करने से कब्ज की बीमारी में लाभ होता है।
गुलाब 10 ग्राम, मजीठ 10 ग्राम, निसोत की छाल 10 ग्राम, हरड़ 10 ग्राम और सोनामाखी 10 ग्राम आदि को 80 ग्राम चीनी में मिलाकर चूर्ण बना लें। लगभग 4 ग्राम चूर्ण को ठण्डे पानी के साथ पीने से लाभ होता है।
सनाय :
सनाय की 50 ग्राम पत्ती, 100 ग्राम सौंफ और 20 ग्राम मिश्री का चूर्ण बनाकर रख लें। 10 ग्राम चूर्ण गर्म पानी के साथ खाने से कब्ज के रोग में राहत मिलती है।
सनाय 15 ग्राम, सौंठ 15 ग्राम, सौंफ 15 ग्राम और सेंधानमक 15 ग्राम आदि को कूटकर छान लें। रात को सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ मसलकर छान लें। फिर इसमें चीनी मिलाकर पीने से कब्ज में लाभ होता है।

सनाय की पत्ती का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लौंग और मुलहठी के साथ रात में देने से सुबह शौच खुलकर आती है। ध्यान रहें कि अवेष्टग सुक्त विबन्ध (स्पेटिक कांसटेंसिप) या प्रक्षोभयुक्त वृहादंत्र (इरीटेबल कोलोन) के कष्टों में देना नहीं चाहिए।

सनाय के पत्ते 20 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में बीज रहित 30 ग्राम मुनक्के को घोट लें। इसमें पानी न डालें, इस मिश्रण की छोटी-छोटी गोलियां बना लें। 2 गोलियां रात में दूध या पानी के साथ खाने से कब्ज मिटती है।

सनाय 6 ग्राम, जागी हरड़ 6 ग्राम, निशोत 6 ग्राम और मुनक्का 6 ग्राम लेकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 10 ग्राम लेकर मिश्री और दूध के साथ पीने से दस्त आने शुरू हो जाते हैं और पेट साफ हो जाता है। नोट : शाम को केवल चावल और दही का ही सेवन करना चाहिए।

तुलसी :तुलसी के पत्ते 25 ग्राम को पीसकर 5 ग्राम मीठे दही में मिलाकर सेवन करें, बच्चों को आधा ग्राम खुराक के रूप में शहद के साथ सुबह लेने से लाभ होता है।
तुलसी की 4 पत्तियां, दालचीनी, सोंठ, जीरा, सनाय की पत्तियां और लौंग को बराबर लेकर पीसकर चटनी बना लें। इस चटनी को एक कप पानी में उबाल लें। पानी जब आधा कप रह जाए तो उसे 2 खुराक के रूप में लेकर सेवन करने से लाभ होगा।
ग्वारपाठा :
ग्वारपाठा लेकर उसका गूदा 10 ग्राम ले लें। उसमें 4 पत्तियां तुलसी और थोड़ी-सी सनाय की पत्तियां मिलाकर लुगदी बना लें। इस लुगदी का सेवन खाना खाने के बाद करने से कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।
ग्वारपाठा 20 ग्राम में, थोड़ी-सी मात्रा में कालानमक मिलाकर सुबह-शाम खाली पेट खाने से कब्ज मिटती है।
बिजड़ी : चना, गेहूं और जौ को बराबर की मात्रा में लेकर रोटी का सेवन करने से कब्ज दूर होती है।

पपीता :कच्चा पपीता या पका पपीता खाने से कब्ज की शिकायत मिट जाती है।
सुबह के समय पपीते का दूध पीने से कब्ज दूर होती है।
कब्ज में पका हुआ पपीता सोने से पहले खाने से लाभ होता है।
खाना खाने के बाद पपीता खाने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।

प्याज :1 कच्चा प्याज रोजाना खाने के साथ खाने से कब्ज दूर होती है।
प्याज के काढ़े को 40 मिलीलीटर दिन में 2-3 बार सेवन करने से लाभ होता है।
कच्चा प्याज रोजाना भोजन के साथ खाने से कब्ज का रोग ठीक होता है।
मूली :
मूली पर नमक, कालीमिर्च डालकर खाना खाते समय रोजाना 2 महीने तक खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
मूली के पत्तों का रस 20 से 40 मिलीलीटर तक खुराक के रूप में सुबह-शाम सेवन करने से दस्त और पेशाब खुलकर आता है।
मूली के बीजों का चूर्ण 1-3 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है।
मूली व उसके पत्तों को काटकर, उसमें प्याज, खीरा या ककड़ी, टमाटर आदि को काटकर मिला लें। इस प्रकार तैयार हुए सलाद में 5-10 बूंद सरसों का तेल भी मिला सकते हैं। भोजन के साथ रोजाना इस प्रकार तैयार किया हुआ सलाद जो पूरे भोजन का एक तिहाई है खाने से कब्ज़ दूर होता है।
मूली का साग या ताजी मुलायम मूलियां पत्तों सहित खाने या मूली का अचार खाने से कब्ज़ मिटता है।

काला दाना :काला दाना 9 ग्राम को देशी घी में भूनकर चूर्ण बना लें। इसमें लगभग आधा ग्राम सोंठ को खाने से लगातार 5 से 6 दिनों तक दस्त आकर कब्ज की शिकायत मिट जाती है।
कालादाना (कृष्णजीरक) 2-3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से पेट की गैस निकल जाती है और पेट हल्का हो जाता है।
कसूम्बे : कसूम्बे के बीजों को अधिक मात्रा में खाने से कब्ज कम हो जाती है।
मकोय : मकोय का रस पीने से शौच खुलकर आती है।

कैर : कैर की छाल का चूर्ण खाने से बंध पेट साफ हो जाता है।
आडू : आडू के फलों का काढ़ा बनाकर सेवन करने से पेट खाली हो जाता है।
सफेद निशोथ : सफेद निशोथ की डण्ठल निकालकर पीस लें। इसमें पीपल और सेंधानमक मिलाकर रख लें। लगभग 6 ग्राम चूर्ण को रोजाना खाने से पेट की कब्ज मिट जाती है।

चम्पा : चम्पा की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से दस्त आकर कब्ज की शिकायत नहीं रहती है।

अंजीर :अंजीर 5 से 6 पीस को 250 मिलीलीटर पानी में उबाल लें, पानी को छानकर पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) में राहत मिलती है।
स्थायी रूप से रहने वाली कब्ज में अंजीर खाते रहने से कब्ज दूर हो जाती है।2 अंजीर को रात को पानी में भिगोकर सुबह चबाकर पानी पीने से पेट साफ हो जाता है।अंजीर के 2 से 4 फल खाने से दस्त आते हैं। खाते समय ध्यान रहे कि इसमें से निकलने वाला दूध त्वचा पर न लग पाये क्योंकि यह दूध जलन और चेचक पैदा कर सकता है।खाना खाते समय अंजीर के साथ शहद का प्रयोग करने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।

रेवंदचीनी :रेवंदचीनी को पीसकर 1 ग्राम की खुराक में शहद मिलाकर सेवन करें।रेवंदचीनी 1 से 2 ग्राम की मात्रा में सोने से पहले लेने से सुबह शौच साफ आती है। हल्के दस्त के लिए (मृदु विरेचन के) लिए इसका प्रयोग किया जाता है। ध्यान रहे कि पुरानी कब्ज में न दें।
90. केसर : केसर आधा ग्राम को घी में पीसकर खाने से 1 साल पुरानी कब्ज दूर हो जाती है।

अलसी :अलसी के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से पेट की गैस मिटती है।रात में सोते समय 1 से 2 चम्मच अलसी के बीज ताजा पानी से निगल लें। आंतों की खुश्की दूर होकर मल साफ होगा। अलसी का तेल एक चम्मच की मात्रा में सोते समय पीने से यही लाभ मिलेगा।

सिरस :सिरस के बीजों का चूर्ण 10 ग्राम, हरड़ का चूर्ण 5 ग्राम, सेंधानमक 2 चुटकी को पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 1 चम्मच चूर्ण रोजाना खाना खाने के बाद रात को सेवन करें। इससे कब्ज दूर हो जाती है।

जीरा :भुना जीरा 120 ग्राम, धनिया भुना हुआ 80 ग्राम, कालीमिर्च 40 ग्राम, नमक 100 ग्राम, दालचीनी 15 ग्राम, नींबू का रस 15 ग्राम, देशी खांड 200 ग्राम आदि को बारीक पीसकर चूर्ण बना लें इसमें से 2 ग्राम की खुराक बनाकर सुबह के समय सेवन करने से कब्ज दूर होती है और भूख बढ़ती है।

25 ग्राम काला और सफेद भुना हुआ जीरा, पीपल 25 ग्राम, सौंठ 25 ग्राम, कालीमिर्च 25 ग्राम और कालानमक 25 ग्राम को मिलाकर पीसकर रख लें, बाद में 10 ग्राम भुनी हुई हींग को पीसकर मिला दें। फिर इस चूर्ण में नींबू का रस मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। खाना खाने के बाद दो गोलियां रोजाना खुराक के रूप में सेवन करने कब्ज में अवश्य आराम होगा।

गौ मूत्र : 2 चम्मच गाय का पेशाब रोजाना पीने से कब्ज में लाभ होता है।

संतरा :सुबह नाश्ते में नारंगी का रस कुछ दिनों तक पीते रहने से मल प्राकृतिक रूप से आने लगता है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाती है।
खाना खाने के बाद सोने से पहले संतरा खाने से लाभ होता है।

नारंगी के सेवन से लीवर रोग ठीक होते हैं। गैस या किसी भी कारण से जिनका पेट फूलता हो, भारी रहता है, अपच हो, उनके लिए यह लाभकारी है, सुबह नारंगी का रस एक गिलास पी लिया जाये तो आंते साफ हो जाती हैं जिससे कब्ज नहीं रहता है।
संतरा (नारंगी) का रस कई दिनों तक पीते रहने से पाचनशक्ति मजबूत बनती है और पेट साफ हो जाता है।

मेथी :मेथी के पत्तों की सब्जी खाने से कब्ज दूर होती है।2 चम्मच दाना मेथी को खाना खाने के बाद फंकी के द्वारा लेने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है और भूख लगने लगती है।

भोजन में मेथी की सब्जी सुबह-शाम खाने से कब्ज समाप्त हो जाती है।
सोते समय 1 चम्मच साबुत मेथी दाने को पानी के साथ पीने से कब्ज दूर होगी।
पेट में जब कब्ज हो जाए तो मेथी के पत्तों की सब्जी खाना लाभप्रद होगा।
1-1 चम्मच मोटा (दरदरी) दानामेथी, ईसबगोल और चीनी मिलाकर रात को गर्म दूध से फंकी लेने से कब्ज दूर हो जाती है।
मेथी की नरम पत्तियों का साग बनाकर खाने से कब्ज में राहत मिलती है, रक्त शुद्ध होता है, शक्ति बढ़ती है और बवासीर रोग में लाभ मिलता है।
मेथी के 3-3 ग्राम की मात्रा में पीसे हुए चूर्ण को सुबह-शाम गुड़ या पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से कब्ज मिटता है और लीवर (यकृत) को मजबूत बनता है। पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति यदि मेथी दानों का साग खाएं तो दस्त साफ आता है।
100 ग्राम दाना मेथी दरदरी (मोटी) कूटकर 50 ग्राम भूनी हुई छोटी हरड़ पीसकर मिला लें। एक चम्मच सुबह तथा एक चम्मच शाम को पानी के साथ सेवन करने से कब्ज और पेट दर्द में लाभ होगा।
यदि आंतों की कमजोरी से कब्ज हो तो सुबह-शाम 1-1 चम्मच मेथी दाने का चूर्ण पानी के साथ कुछ दिनों तक लेने से आंतों तथा यकृत को ताकत मिलती है और कब्ज दूर होती है।
आंतों की कमजोरी से पेट में कब्ज बनती है, इसलिए आंतों को मजबूत बनाने और रोगमुक्त करने के लिए 1-1 चम्मच मेथी पाउडर पानी के साथ कुछ दिनों तक लगातार सेवन करें। इससे कब्ज में राहत मिलती है।
कब्ज, पेट में अल्सर हो तो एक कप मेथी के पत्तों को उबालकर, शहद में घोलकर सुबह-शाम पीना चाहिए।
गेहूं : गेहू के पौधे का रस पीने से कब्ज दूर होती है।
गुड़ : 2 से 4 ग्राम गुड़ के साथ हरीतकी का चूर्ण सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है।
हींग :
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम देशी घी में भुनी हुई हींग को अजवायन और काले नमक के चूर्ण के साथ पानी में घोलकर रोजाना दिन और रात को सेवन करने से पेट की गैस से छुटकारा मिलता है।
भुनी हुई हींग को सब्जी में डालकर सेवन करने से पेट की गैस दूर हो जाती है।
100. कुटकी : कुटकी का चूर्ण 3 से 4 ग्राम तक की मात्रा में सुबह-शाम लेने से पेट साफ होता है।
करू : करू (कुटकी का एक भेद) 3 से 4 ग्राम सुबह-शाम लेने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।
रास्ना (रचना) : रास्ना के पत्तों को पीसकर पानी के साथ पीने से कब्ज में राहत मिलती है।
ईश्वरमूल : रूद्रजता की लता के पत्तों को पीसकर पेट पर लेप करने से लाभ होता है।
कुसुम : कुसुम के बीजों की मांड(लई) देने से पेट की गैस ठीक हो जाती है।
सुगंधबाला : सुगंधबाला की फांट या घोल को सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज में राहत मिलती है।
बेल :
बेल का शर्बत पानी में बनाकर कुछ दिनों तक लगातार पीने से लम्बी कब्ज की शिकायत से छुटकारा मिलता है।
बेल का गूदा और गुड़ मिलाकर रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से मल का रुकना (अवरोध) ठीक हो जाता है।
बेल के पत्तों के 7 मिलीलीटर रस में कालीमिर्च को मिलाकर सुबह-शाम पीने से पेट की गैस में राहत मिलती है।
बेल के 20 से 40 मिलीलीटर शर्बत में इच्छानुसार पानी मिलाकर रोजाना 2-3 बार देने से पुरानी से पुरानी कब्ज में लाभ होता है। यह अतिसार और खूनी अतिसार में भी फायदेमंद है।
थूहर (मुठिया सीज) : थूहर के दूध में कालीमिर्च, लौंग या पीपल भिगोकर सुखा लें। कब्ज से परेशान व्यक्ति को कालीमिर्च या लौंग खिला देने से पेट बिल्कुल साफ हो जाता है।
अंगुलिया थूहर : अंगुलिया थूहर (अंगुलियों जैसी पतली शाखावाली पसीज) की 2 बूंद, दूध, बेसन और शहद के साथ छोटी गोली बनाकर लेने से मल आसानी से बाहर निकल जाता है।
सहजन : सहजन (मुनगा) के कोमल पतों का साग खाने से शौच खुलकर आती है।
कचनार :
कचनार के फूलों को चीनी के साथ घोंटकर शर्बत की तरह सुबह-शाम पीने से शौच साफ आती है।
कचनार के फूलों का गुलकंद रात में सोने से पहले 2 चम्मच की मात्रा में कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है।
जमालगोटा : जमालगोटा के बीज की लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग या तेल आधा से एक बूंद मक्खन में मिलाकर खाने से शौच पतली आती है। ध्यान रहे कि जब शौच रुक नहीं रहा हो तो ऐसी हालत में पानी में कत्था (खैर) को घिसकर नींबू का रस मिलाकर अच्छी तरह घोंटकर पिलाते रहें।
भाकुरा : भाकुरा (इन्द्रायण का ही एक भेद) की जड़ का चूर्ण 1 से 3 ग्राम सोंठ और गुड़ के साथ खाने से कब्ज दूर होता है। ध्यान रहे कि मात्रा अधिक न हो पाये, क्योंकि वह जहर बन जाता है। जहर हो जाने पर पेट साफ करके दूध पिलायें।
विधारा : विधारा की जड़ 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सेवन कराने से कब्ज मिटती है।
घी कुआंर : घी कुआंर (ग्वारपाठा) का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में हरड़ के साथ खाने से मलावरोध की परेशानी दूर होती है। गर्भस्त्री और स्तनपान कराने वाली स्त्रियों को इसका सेवन न करायें।
श्वेत गदपुरैना : श्वेत गदपुरैना (श्वेत पुनर्नवा) की जड़ का चूर्ण 5 से 10 ग्राम को सोंठ के साथ मिलाकर दिन में 2 से 3 बार देने से शौच खुलकर आती है।
गन्धप्रसारिणी : गन्धप्रसारिणी के पत्तों को पीसकर मिश्रण बनाकर रख लें। इस मिश्रण या चूर्ण को गुनगुने पानी से लेने से कब्ज दूर हो जाती है।
आकाशबेल : आकाशबेल का रस 10 मिलीलीटर सुबह-शाम लेने से लीवर की कमजोरी और कब्ज दूर होती है।
विष्णुकान्ता : विष्णुकान्ता (नीलशंखपुष्पी) की जड़ 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से दस्त साफ आता है।
शंखपुष्पी :
शंखपुष्पी का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में देने से शौच साफ आती है।
शंखपुष्पी की जड़ 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम लें। इससे कब्ज नष्ट हो जाती है।
तिलका : तिलका (एक प्रकार की मशहूर लकड़ी) की छाल का 5 से 10 ग्राम पीसकर पीने से कब्ज लाभ मिलता है।
हिंगोट : हिंगोट (हिंगन) के फल का गूदा लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग तक लेने से पेट साफ हो जाता है। कच्चा फल खाने से अच्छा पेट साफ होता है।
तमाल : तमाल पेड़ से प्राप्त गोंद और गैम्बों लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग लेने से कब्ज ठीक हो जाती है। नोट : अधिक मात्रा में न दें, क्योंकि यह जहर की तरह है यह रोगी की जान भी ले सकता हैं। इस प्रयोग के समय दालचीनी या लौंग का इस्तमाल करें।
कालामूका : कालामूका (रतनगरूर) की पत्तियों के रस को नाक के द्वारा सूंघने से सिर के दर्द में आराम मिलता है।
जारूल : जारूल की छाल का काढ़ा बनाकर 20 से 40 मिलीलीटर तक या पत्तों का रस 10 से 20 मिलीलीटर तक सेवन करने से पेट साफ होकर कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
बड़हल : बड़हल (बरहर) के 1 से 2 बीजों को पीसकर और घोंटकर पीने से या थोड़े से बड़हड़ का दूध बताशे में डालकर पानी के साथ सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है।
शहतूत :
शहतूत के छिलके का काढ़ा 50 से 100 मिलीलीटर सुबह-शाम सेवन करने से पेट के अंदर मौजूद कीड़े समाप्त जाते हैं।
शहतूत की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से पेट साफ हो जाता है।
लघुपीलु : लघुपीलु के पत्तों का रस 10 से 20 मिलीलीटर तक सेवन करने से पेट के अंदर रुका हुआ मल आसानी से बाहर आ जाता है और पेट साफ हो जाता है।
इमली :
1 किलो इमली को 2 लीटर पानी में 12 घंटे तक गलायें, इसके बाद उसे गर्म करें, जब आधा पानी जल जाये तो उसमें 2 किलो चीनी मिला दें। इसे शर्बत की तरह बनाकर रोजाना 20 से 50 मिलीलीटर तक कब्ज वाले रोगी को रात में और पित्त वाले को सुबह उठते ही पीने से लाभ होता है।
इमली का मज्जा (बीच) का हिस्सा 1 से 3 ग्राम की मात्रा में थोड़ी-सी सनाय या हर्रे के साथ सेवन करने से गैस में राहत मिलती है।
इमली का शर्बत पीने से 15-20 सालों से पुरानी कब्ज से छुटकारा मिल जाता है।
इमली का गूदा पानी में भिगो दें उसी पानी में घोटकर छान लें। फिर उसमें थोड़ा-सा गुड़ और थोड़ी-सी सोंठ डालकर खाना खाने के बाद खाने से कब्ज में लाभ होता है।
आलूबुखारा : आलू बुखारा खाने से कब्ज नही होता है।
केला :
केला, केले का फूल, गूलर, कच्चू और ओल को खाने से कब्ज मिटती है।
पका केला खाने से आंतों में तरावट होती है और शौच खुलकर आती है।
खजूर :
रोजाना 50 ग्राम खजूर खाने से कब्ज नहीं रहती है, ध्यान रहे कि बच्चों को केवल 25 ग्राम ही दें।
खजूर को गर्म पानी के साथ सोते समय लेने से कब्ज व बवासीर में लाभ होता है।
खजूर को रात में पानी में डाल रख दें। सुबह बासी पेट (बिना कुछ खाये) मसलकर, छानकर पीने से दस्त आने से पेट साफ हो जाता है।
खीरा : खीरा रोजाना खाने से पेट की गैस नहीं बनती है। खीरा, ककड़ी, गाजर, टमाटर, पालक या पत्तागोभी को कच्चा खाने से भी लाभ होता है।
बादाम : 15 ग्राम बादाम के तेल को निकालकर 1 गिलास दूध में मिलाकर कुछ दिनों तक लगातार पीने से पेट की गैस में आराम मिलता हैं।
तीसी का तेल : तीसी का तेल 7 से 14 मिलीलीटर तक गुनगुने दूध में डालकर पिलाने से मल (ट्टटी) आसानी से उतर जाता है और कब्ज की शिकायत नहीं रहती है।
पटुआ शाक : पटुआ शाक के बीजों का पिसा हुआ बारीक चूर्ण 3 से 6 ग्राम सेवन करने से पेट साफ हो जाता है।
कसौंदी : कसौंदी के पंचांग (जड़, पत्ती, तना, फल और फूल) का काढ़ा बनाकर पीने से पेट की गैस में राहत मिलती है।
मानकन्द : मानकन्द (मानकचू) के फल का साग लगातार खाने से पुरानी कब्ज की शिकायत दूर होती है।
अनानास : अनानास के कच्चे फल का रस 40 से 80 मिलीलीटर तक सेवन करने से मल आसानी से निकल जाता है।
आरूक : आरूक (आडू) के फूलों का फांट या घोल 40 से 80 मिलीलीटर तक सुबह-शाम देने से पेट साफ हो जाता है।
कॉसकरॉ : कॉसकरॉ की छाल का चूर्ण 1 से 3 ग्राम सेवन करने से पेट साफ हो जाता है।
कुंगकु : कुंगकु की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम देने से दस्त साफ आता है।
गुलब्वास : गुलब्वास की गांठदार जड़ लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग या लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम सेवन करने से हल्के दस्त आकर पेट साफ हो जाता है।
गुलबनफ्शा : गुलबनफ्शा के गुलकंद का सेवन करने से मलावरोध दूर होता है।
चाल्ता : चाल्ता (भव्य) के फलों को पीसकर शर्बत बनाकर पीने से शौच साफ आती है।
कुप्पी : कुप्पी (आमाभाजी) के पंचांग (जड़, पत्ती, फल, फूल और तना) का काढ़ा 40 से 60 मिलीलीटर तक खुराक के रूप में लेने से पेट साफ हो जाता है।
शरीफा : शरीफा की जड़ 10 से 20 ग्राम पीसकर सेवन करने से पेट आसानी से साफ हो जाता है।
दुग्धफिनी : दुग्धफिनी की जड़ 4 से 12 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज मिट जाती है।
जलापा : जलापा की जड़ का बारीक चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से दस्त आकर पेट साफ हो जाता है।
हरीतकी : हरीतकी का चूर्ण और गुड़ सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज़ मिटती है।
चुकन्दर : चुकन्दर को खाने से पेट की गैस दूर होती है।
कुटू : कुटू के आटे की रोटी बनाकर खाने से कब्ज ठीक हो जाती है।
बैंगन : बैंगन को धीमी आग पर पकाकर खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
हल्दी : पेट में जब गैस भर जाती है तो बड़ा दर्द होता है। ऐसी स्थिति में पिसी हुई हल्दी और नमक 5-5 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से कब्ज में आराम होगा।
आकड़ा : पेट में वायु भरकर गोला-सा बनकर दर्द करता है। गर्म दूध में 1 चम्मच अदरक का रस डालकर पीने से लाभ होता है।
रस : सेब, अमरूद, संतरे, पालक व गाजर का जूस पीने से कब्ज में लाभ होता है या अंजीर, बेल, आंवले का रस अथवा ईसबगोल भी फायदेमंद रहता है।
मटर : कच्ची मटर खाने से पेट की कब्ज में लाभ होता है।
मौलसिरी : बच्चों का कब्ज दूर करने के लिए इसके बीजों की मींगी की बत्ती, पुराने घी के साथ बनाकर, बत्ती को गुदा में रखने से 15 मिनट में मल की कठोर गांठे दस्त के साथ निकल जाती हैं।
चावल : 10 ग्राम चावल और 20 ग्राम मूंग की दाल की खिचड़ी में घी मिलाकर खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
जायफल : नींबू के रस में जायफल घिसकर 2 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करने से गैस और कब्ज की तकलीफ दूर होगी।
छुहारा :
4 से 5 छुहारे को दूध में उबालकर सेवन करने से रुका हुआ मल आसानी से निकल जाता है।
2 छुहारा रोजाना पानी में भिगोकर रात में इन्हें खा लें। खाना कम खायें। रात को 2 छुहारे दूध में उबालकर लेने से भी कब्ज दूर होती है।
सुबह-शाम 3 छुहारे खाकर गर्म पानी पियें। छुहारे सख्त होने से खाना सम्भव न हो तो दूध में उबालकर ले सकते हैं। छुहारे प्रतिदिन खाते रहने से बवासीर, स्नायुविक दुर्बलता तथा रक्तसंचरण ठीक होता है। सुबह के समय 2 छुहारे पानी में भिगोकर रख दें, फिर इन्हें रात को चबा-चबाकर खाएं। भोजन कम मात्रा में करें या रात को 2 छुहारे उबालकर भी ले सकते हैं। इससे कब्ज दूर होती है।
काजू :
द्राक्ष या हरी द्राक्ष के साथ 30 ग्राम काजू खाने से अजीर्ण या गर्मी के कारण होने वाली कब्ज दूर हो जाती है।
काजू और मुनक्का सुबह खाली पेट खाने से 14 से 18 साल तक के बच्चों को कब्ज़ नहीं होती है।
162. कालीमिर्च : 10 पिसी हुई कालीमिर्च को फांककर, ऊपर से गर्म पानी में नीबू निचोड़कर सुबह-शाम पीते रहने से गैस बनना बंद हो जाती है।
शहद :
शहद के साथ स्वर्जिका क्षार का सेवन करें।
शहद के साथ संजीवनी वटी का चूर्ण लेने से भी काफी लाभ होता है।
सौंफ, धनिया तथा अजवायन- इन तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर आधा चम्मच चूर्ण को शहद के साथ सुबह, दोपहर और शाम को इसका सेवन करना चाहिए।
घी : रात को सोते समय एक कप गर्म दूध में 5 मिलीमीटर घी मिलाकर मिश्री के साथ सेवन करने से कब्ज में लाभ मिलता है।
कलौंजी : गुड़िया शक्कर 5 ग्राम, सोनामुखी 4 ग्राम, 1 गिलास हल्का गर्म दूध, आधा चम्मच कलौंजी का तेल लेकर, सबको मिलाकर रात को सोते समय सेवन करने से गैस में आराम होगा।
गोभी : रात को सोते समय गोभी का रस पीना कब्ज के रोगी के लिए बहुत ही अच्छा होता है।
पान : पान के डंठल पर तेल चुपड़कर बच्चों की गुदा में रखने से बच्चों की कब्ज और वादी के रोग मिट जाते हैं।
इन्द्रायण :
इन्द्रायण के फलों को घिसकर नाभि पर लगाएं और इसकी जड़ का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सोते समय सेवन करें। इससे कब्ज दूर हो जाती है।
इन्द्रायण की जड़ का चूर्ण 1-3 ग्राम सुबह-शाम सोंठ और गुड़ के साथ देने से कब्ज दूर होती है और पेट साफ हो जाता है। ध्यान रहे कि मात्रा अधिक न हो जाये क्योंकि ऐसा होने पर वह जहर बन जाता है।
गूलर : गर्मी के मौसम में गूलर के पके फलों का शर्बत, मन को प्रसन्न करने वाला, बलकारक, कब्ज तथा खांसी और सांस के रोगों को ठीक करता है।
सरसों का तेल :
पेट की नाभि पर सरसों के तेल से चारों ओर दायें से बायीं ओर मालिश करने से लाभ होता है।
सरसों के तेल से सुबह-शाम रोजाना मालिश करने से लाभ होता है।
सरसों के तेल से पेट की मालिश करने से कब्ज दूर हो जाती है।
निर्मली : निर्मली के बीजों को खाने से कब्ज और वात-पित्त-कफ में लाभ होता है।
पिपरमिन्ट :
पान में पिपरमिन्ट डालकर खाना भी कब्ज के रोग में लाभकारी है।
पिपरमिन्ट के 2 छोटे-छोटे टुकड़े करके पानी से निगलने से गैस और कब्ज का रोग ठीक हो जाता है।
लीची : लीची रोज खाने से कब्ज दूर होती है।
अनार : अनार में शर्करा (शुगर) और सिट्रिक अम्ल काफी मात्रा में होता है। यह अत्यंत पौष्टिक, स्वादिष्ट और लौह-तत्व से भरपूर होता है। कब्ज से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बीज समेत अनार का सेवन करना अच्छा रहता है और इसके रस के सेवन से उल्टी आना बंद हो जाती है।
तुलसी :
तुलसी के 50 पत्ते, थोड़ा सा टुकड़ा अदरक, स्वादानुसार काला नमक लेकर, सबको पीसकर चाटें। इससे कब्ज दूर हो जाती है तथा मल साफ आने लगता है।
तुलसी के सौ पत्ते और एक चम्मच गुलाबी फिटकरी पीसकर, चने के बराबर गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें तथा खाने के बाद एक-एक गोली लें। इससे कब्ज दूर हो जाती है।
पाकरः पाकर (पाखर) के पेड़ की ताजी छाल का काढ़ा बस्ति (नली द्वारा शरीर के भीतर या बाहर की जल धारा देने वाला) देने से मलाशय साफ हो जाता है और पेट के अंदर सभी तरह के जख्म भी ठीक हो जाते हैं।
अन्य उपचार
कब्ज़ से पीड़ित रोगी को किसी विशेषज्ञ या चिकित्सक की देख-रेख में ही कार्य क्षमता के अनुसार ही दो से तीन तक उपवास रखना चाहिए और ध्यान रखे की इलाज के दौरान केवल छाछ का ही सेवन करें।
उपवास के बाद केला, पपीता, शरीफा और चीकू जैसे- नरम फल ही खाएं।
मरीज को खाने में सुबह और शाम दही-चावल और पके हुए केला ही देने चाहिए।
शिशु को माता द्वारा फल-सब्जि़यों आदि का रस पिलाने से ही कब्ज आसानी से समाप्त हो जाती है। गुलकंद खिलाने से भी इससे निजात पाई जा सकती है।

गुनगुने पानी में शहद की कुछ बूंदे मिलाकर पिलाने से शिशु को कब्ज (गैस) से छुटकारा मिलता है।
माता का दूध पीने से भी शिशु कब्ज की पकड़ में नहीं आते हैं।हींग को पानी में घिसकर नाभि के आस-पास के भाग पर लेप करने से शिशुओं की कब्ज ठीक हो जाती है।
सावां (सामा, एक प्रकार का अनाज) है जिसे उबाल या भूनकर खाया जा सकता है। इससे कब्ज दूर हो जाती है।
गर्भवती स्त्री के कब्ज में और बच्चों की कब्ज में पोय (पोरो, पोई) साग, आहार में लेने से लाभ होता है

 

डॉ.ज्योति ओमप्रकाश गुप्ता(N.D.)
9399341299

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