अफारा /गैस बनना : कारण और उपचार (भाग-2)
अफारा या वायु के इकट्ठा होने से पेट में दर्द, जी मिचलाना, श्वास (सांस) लेने में कष्ट के साथ ही रोगी को बहुत घबराहट होती है। छाती में जलन होती है। दूषित वायु जब ऊपर की ओर चढ़ती है तो सिर में दर्द होने लगता है, रोगी को चक्कर आने लगते हैं। जब तक रोगी को डकार नहीं आती या मलद्वार से वायु नहीं निकलती है तब तक रोगी को बेचैनी और पेट में दर्द होता रहता है।
छोटा अनाज, पुराना शालि चावल, रसोन, लहसुन, करेला फल, शिग्रु, पटोल के पत्ते, फल और बथुआ आदि आध्यमान (अफारा) से पीड़ित रोगी इन सभी का प्रयोग खाने में कर सकते हैं।
उपचार (भाग-1 से आगेें)-
26. गन्ध प्रसारिणी : गन्ध प्रसारिणी के पत्तों का मिश्रण गर्म करके खिलाने से गैस में लाभ होता हैं।
27. विष्णुकान्ता : विष्णुकान्ता (नील शंखपुष्पी) की जड़ 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम लेने से लाभ होता है।
28. गूमा : गूमा (दोणपुष्पी) का रस 5 से 10 मिलीलीटर तक सुबह-शाम सेवन करने से पेट की गैस में राहत मिलती है।
29. मट्ठा या छाछ : 200 मिलीलीटर मट्ठे (तक्र) में 2 ग्राम अजवायन का चूर्ण और 1 ग्राम पिसा हुआ कालानमक मिलाकर पीने से आध्यमान (अफारा, गैस) नष्ट होता है।
30. हींग :हींग को पानी में घोलकर नाभि (पेट के निचले भाग) के आस-पास लेप करने और गर्म पानी की थैली या बोतल रखने से वायु निकल जाती है।
हींग को 2 से 3 ग्राम पानी में घोलकर बस्ति (नाभि के निचले भाग) पर लगाने से अफारा में लाभ होता है।
देशी घी में भुनी हुई हींग लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग 1 ग्राम को अजवायन और काला नमक के साथ पानी में घोलकर पिलाने से पेट की गैस में तुरंत लाभ मिलता है।
31. नींबू : नींबू के रस को 200 मिलीलीटर पानी में थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर धीरे-धीरे पीने पेट की गैस निकल जाती है।
32. मकरध्वज : मकरध्वज आधा ग्राम, भुनी हुई हींग का चूर्ण 2 ग्राम पानी के साथ सेवन करने से गैस में आराम होता है।
33. दौना : दौना (दवना) के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का रस 5 से 10 बूंद सुबह-शाम सेवन करने से पेट के कीड़े और गैस समाप्त हो जाती है।
34. बरना : बरना के पत्तों का फांट या घोल 40 से 80 मिलीलीटर सुबह-शाम पीने से पेट दर्द और गैस दूर होती है।
35. मूली : मूली के पत्तों के 20 से 40 मिलीलीटर रस को सुबह-शाम देने से पेट की गैस की शिकायत चली जाती है।
36. कायपुटी : कायपुटी का तेल 5 से 10 बूंद बताशे या चीनी में भरकर रोजाना 2 से 3 बार सेवन करने से पेट की गैस में आराम मिलता है।
37. सेंधानमक : सैंधवलवण 1 ग्राम और 5 ग्राम पिसा हुआ अदरक का चूर्ण सुबह और शाम (दो बार) लें। इससे अफारा में लाभ मिलता है।
38. अजमोद : 5 ग्राम अजमोद को 15 ग्राम गुड़ में मिलाकर खाने से पेट का अफारा मिटता है।
39. तस्तुम्बे : तस्तुम्बे की गिरी और एलुआ को पीसकर गर्म करके लेप करने से अफारा कम होता है।
40. एलुआ : एलुआ को पीसकर नाभि (पेट के निचले भाग) पर लेप करने से दस्त आकर अफारा मिटता है।
41. बालछड़ : बालछड़ का चूर्ण लगभग आधा ग्राम पीसकर रख लें, फिर 2 ग्राम चूर्ण को गर्म पानी के साथ खाने से अफारा में लाभ होता है।
42. तालसी : तालसी के पत्ते और अजवायन का चूर्ण खाने से अफारा मिट जाता है।
43. कालीमिर्च :कालीमिर्च को गाय के पेशाब में पीसकर सेवन करने से अफारा रोग कम हो जाता है।
3 ग्राम कालीमिर्च और 6 ग्राम मिश्री को पीसकर फंकी के द्वारा लें और ऊपर से पानी पी लें।
44. दही : दही के छाछ (दही का खट्टा पानी) को पीने से अफारा में लाभ होता है।
45. अरणी : अरणी के पत्तों को उबालकर पीने से अफारा और पेट के दर्द में लाभ होता है।
46. मरोड़फली :मरोड़फली का फल लगभग 2 से 3 ग्राम सुबह-शाम लेने से पेट के गैस के कारण होने वाले दर्द में आराम मिलता है।
मरोड़फली और कालानमक का चूर्ण खाने से पेट दर्द और अफारा रोग नष्ट होता है।
47. प्याज :
प्याज के रस में हींग और कालानमक पीसकर पीने से अफारा और पेट दर्द दूर हो जाता है।
20 मिलीलीटर प्याज के रस में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग हींग और 1 ग्राम कालानमक मिलाकर दिन में 3 बार रोगी को पिलाने से वादी का दर्द और पेट का फूलना बंद हो जाता है।
48. ढाक : ढाक के पत्ते को उबालकर पीने से अफारा और पेट के दर्द में लाभ होता है।
49. गुड़ : गुड़ और मेथी दाना को उबालकर पीने से अफारा मिट जाता है।
50. अजवायन:देशी अजवायन 250 ग्राम और कालानमक 60 ग्राम को किसी चीनी-मिट्टी या कांच के बर्तन में रख दें, ऊपर से इतना नींबू का रस डालें कि दोनों दवाएं डूब जाए। इस बर्तन को छाया में रख दें। जब नींबू का रस सूख जाये तो फिर और रस डाल दें। इसी तरह 7 बार करें। इस 2 ग्राम दवा को गुनगुने पानी से सुबह-शाम खाने से पेट के सभी रोग समाप्त हो जाते हैं।
जंगली अजवायन का चूर्ण 1 से 3 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से गैस समाप्त हो जाती है।
51. सोआ : सोआ (बनसौंफ) को पीसकर मिश्रण बना लें, इसे पकाकर काढ़ा बनाकर रोज 40 मिलीलीटर सुबह-शाम देने से पेट की गैस में राहत मिलती है।
52. डिकामाली : डिकामाली लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग को गर्म पानी में घोलकर सुबह-शाम पीने से अफारा कम होता है।
53. राई : 2 ग्राम राई को चीनी में मिलाकर फांक लें तथा ऊपर से लगभग आधा ग्राम से 1 ग्राम चूने को आधा कप पानी में मिलाकर पिलाने से अफारा को दूर किया जा सकता है।
54. धनिया :धनिया का तेल 1 से 4 बूंद मिश्री के साथ देने से बच्चों को पेट की गैस से राहत मिलती है।2 चम्मच सूखा धनियां 1 गिलास जल में उबालकर 3 बार पीने से गैस में लाभ होता है।हरा धनिया, काला नमक, कालीमिर्च मिलाकर चटनी बनाकर चाटने से अफारा में लाभ मिलता है। यह चटनी सुपाच्य रहती है। उल्टी में धनिये को मिश्री के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। पिसे हुए धनिये को सेंककर 1-1 चम्मच पानी से फंकी लेने से दस्त आना बंद हो जाता है। दस्तों के साथ आंव, मरोड़, उल्टी, गर्भवती की उल्टी आदि आना बंद हो जाती है।
धनिये का शर्बत अफारा को ऐसे भगा देता है कि जैसे गधे के सिर से सींग। इसके लिए 50 ग्राम धनिया को 2 लीटर में उबाल लें। इसके बाद उबले हुए पानी को ठंडा करके एक बोतल में भर लें। धनिये के दाने को छान लें। यह पानी दिन में 3-4 बार लेना चाहिए। यदि पानी मीठा लगे तो एक प्याला पीते समय उसमें थोड़ा सा काला नमक डाल लें। इससे स्वाद बढ़ जाता है और नमक शरीर को लाभ पहुंचाएगा। धनिये के पानी से हाथ-मुंह भी धोना चाहिए। इससे पसीने की दुर्गंध काफी समय के लिए दूर हो जाती है।
55. मेथी : मेथी 250 ग्राम और सोया 250 ग्राम को लेकर, दोनों को तवे पर सेंक लें, मोटा-मोटा कूटकर (अधकुटा) करके 5-5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से वायु, लार की अधिकता, अफारा (पेट में गैस का बनना), खट्टी हिचकियां और डकारें आने का कष्ट मिट जाता है।
56. शरपुंखा : शरपुंखे की जड़ के 10 से 20 मिलीलीटर काढ़े में भूनी हुई लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम हींग को मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से पेट की गैस खत्म हो जाती है।
57. अकरकरा : शुंठी चूर्ण और अकरकरा दोनों 1-1 ग्राम मिलाकर फंकी लेने से मंदाग्नि और अफारा दूर होता है।
58. वच :बच्चों का दर्द युक्त अफारा मिटाने के लिए, वच को पानी में घिसकर पेट पर लेप करना चाहिए।वच के कोयले को एरण्डी के तेल या नारियल के तेल में पीसकर बच्चे के पेट पर लेप करने से दर्द वाला अफारा खत्म होता है।
59. पलास : पलास की छाल और शुंठी का काढ़ा 30-40 मिलीलीटर सुबह-शाम 2 बार पिलाने से अफारा और पेट का दर्द नष्ट हो जाता है।
डॉ. ज्योति ओम प्रकाश गुप्ता (N.D.)
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