अपनी कलम से-इसी मिट्टी में संवरने को आएंगे
( लद्दाख की गलवान घाटी में शहीद हुए सब वीरो की बहादुरी को नमन करता हूं, उनके इस अतुलनीय बलिदान को ये सम्पूर्ण राष्ट्र सदैव याद रखेगा) …
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चंद पंक्तियां उनकी शौर्य गाथा के रूप में समर्पित कर, उन सभी वीर पुण्यात्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं …🙏🏻🙏🏻🙏🏻
इसी मिट्टी में रंग बनके हम निखरने को आएंगे,
जान निसार इस मिट्टी पर फिर से करने को आएंगे,
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हम वो है जिनको अब कैद में जीना नहीं पंसंद,
ज़िंदा रहे हम, तो फिर सरहद पर मरने को आएंगे।।
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कोई आंख तुझ पर उठती है, तो खून खोलता है,
इस जन्म का ये कर्ज, हम अदा करने को आएंगे।।
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होती है जंग अगर, तो अब आरपार हो जाने दो,
दुश्मन को हम भी लहूलुहान करने को आएंगे ।।
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मां लाखो सपूत है तेरे,जिन्हे जान की परवाह नहीं,
बिन पुकारे वो सब, तेरे पहरेदार बनने को आयेंगे।।
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औकात क्या है दुश्मन की,जो हमसे टकराता है,
हिसाब पुराना बाकी है,वो चुकता करने को आएंगे।।
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दिलो में पली ये नफरत, बातो से नहीं सुलझती,
वो गर जंग चाहते है तो,हम भी जंग करने को आयेंगे।।
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शायद वो वहम ओ गुमान में है,सरहद ए जमीं छीन लेंगे,
हथेली पर जां लेकर हम,कत्ल ए दुश्मन करने को आयेंगे।।
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मोहब्बत ए मुल्क है ये, जो ऐसे तो ना मिटेगी “दीप”
फिर से जन्म लेकर,इसी मिट्टी में संवरने को आएंगे।।
रचनाकार:
इं0 दीपांशु सैनी (सहारनपुर, उत्तर प्रदेश) उभरते हुए कवि और लेखक हैं। जीवन के यथार्थ को परिलक्षित करती उनकी रचनाएँ अत्यन्त सराही जा रही हैं। (सम्पर्क: 7409570957)