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Shri Premanand Maharaj: सकारात्मकता की और बढ़ने की नई प्रेरणा है राधारानी के परम भक्त प्रेमानंद जी महाराज (वृंदावन)

Premanand Maharaj  (Premanand Govind Sharan Ji Maharaj) की प्रेरणादायक बातें लोगों के जीवन को एक नई दिशा दे रही है जिससे उन्हें सकारात्मकता की और बढ़ने की एक नई प्रेरणा मिली है। वहीँ प्रेमानंद महाराज जी एक साधारण जीवन जीते आये हैं। कुछ समय पहले इनकी सोशल मिडिया पर काफी चर्चा हो रही थी क्योकि उनके यहाँ प्रसिद्ध क्रिकेटर विराट कोहली उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा और उनकी बेटी वामिका कोहली आये हुए थे वहाँ उन्होंने महाराज के दर्शन कर सत्संग भी सुना। जिसके बाद विराट कोहली ने दो शतक मारे।

Premanand Maharaj  का जन्म कानपुर के एक गांव सरसों में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. महाराज जी का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था. इनके पिता और दादा दोनों की सन्यासी थे. इनकी मां धर्म परायण थी. इनके माता-पिता साधु-संतों की सेवा करते थे और आदर सत्कार भी करते थे.

कुछ समय में ही Premanand Govind Sharan Ji Maharaj ने आधात्यम का रास्ता चुन लिया और श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी का जप करना शुरू कर दिया. इसी के साथ उन्होने अपना घर त्याग दिया.ऐसा माना जाता है कि भोलेनाथ ने स्वंय प्रेमानंद जी को दर्शन दिए और उसके बाद वो वृंदावन आए. Premanand Maharaj (अनिरुद्ध कुमार पांडे) वृंदावन में राधा रानी का भजन कीर्तन करते हैं। इतना ही नहीं आपने महाराज जी के सोशल मीडिया पर कई वीडियोस भी देखें होंगे जो आपको सही रास्ते पर चलने और किसी और का धन न हड़पने की सलाह देते नज़र आ जाते हैं। फिलहाल उनकी पॉपुलैरिटी काफी बढ़ती जा रही है। उनके भक्तों में केवल उम्रदराज़ लोग ही नहीं बल्कि युवा भी हैं। 

Premanand Maharajश्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी का जाप

जब Premanand Maharaj 5 वीं कक्षा में थे तब उन्होंने गीता, श्री सुखसागर पढ़ना शुरू किया। स्कूल में पढ़ाई के दौरान उनके मन में बहुत सारे सवाल उठते थे उत्तर निकालने के लिए उन्होंने श्री राम और श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी का जाप किया। जब वे 9 वी कक्षा में आये तब उन्होंने ईश्वर की खोज करने के लिए आध्यात्मिक जीवन जीने का दृढ़ निश्चय कर लिया था। उसके लिए वे सब कुछ त्यागने को तैयार थे, उन्होंने अपनी माँ को अपने निर्णय के बारें में बताया।

Premanand Maharaj ने वृंदावन आने के बाद महाराज जी श्री चैतन्य महाप्रभु की लीलाएं देखते थे और रात को रासलीला देखते थे . इसके बाद उनके जीवन में परिवर्तन आया. उन्होंने सन्यास त्याग कर भक्ति के मार्ग को चुन लिया.

ऐसा माना जाता है कि महाराज जी को राधा वल्लभ मंदिर में स्वयं राधा जी को ही निहारते रहते थे. महाराज जी राधा बल्लभ संप्रदाय में जाकर शरणागत मंत्र ले लिया. कुछ दिनों बाद महाराज जी अपने वर्तमान के सतगुरु जी को मिले. महाराज जी ने अपने गुरु की 10 साल तक सेवा की और बड़े से बड़े पापी को भी सत्य की राह पर चलने के लिए मजबूर कर दिया. Premanand Maharaj के दर्शन करने के लिए उनके भक्त देश-विदेश से वृंदावन आते है, और उनका बहुत सम्मान भी करते हैं. उन्होंने अपना जीवन राधा रानी की भक्ति सेवा के लिए समर्पित कर दिया.

नैष्ठिक ब्रह्मचर्य में दीक्षित

घर छोड़ने के बाद महाराज जी को नैष्ठिक ब्रह्मचर्य में दीक्षित किया गया था उनका नाम बदल कर आनंदस्वरूप ब्रह्मचारी नाम रखा। उनके बाद उन्होंने सन्यास स्वीकार कर दिया था महावाक्य को स्वीकार करने पर उनका नाम स्वामी आनंदाश्रम रखा गया।

 आखिर क्यों प्रेमानंद जी इतनी लम्बी दाढ़ी क्यों रखते हैं इसके पीछे कोई राज़ है या कोई और बात है-

सनातन धर्म में व्यक्ति के तीन आश्रम बताये गए हैं जिसमे से एक है सन्यास आश्रम। जब आप सन्यास लेते हैं तो ऐसे में आप बस प्रभु भक्ति में लीं रहते हैं और आपको इसमें सांसारिक कर्मकाण्ड का त्याग करना होता है। इसके साथ ही दाढी और मूछों पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है। इसलिए सन्यास में लोगों के बाल व दाढी बढ़े हुए रहते है।

गौरतलब है कि ऋषि मुनियों के पास समय नहीं होता था कि वो खुद पर ध्यान दें और अपने बाल कटाएं या दाढ़ी बनाये। जब ये सब नियम बनाये गए तब न तो किसी ब्लेड का आविष्कार हुआ था और न ही कोई ऐसे धारदार चीज़ें थी जिनसे वो ये काम ले सकते थे। इस वजह से वो अपनी दाढ़ी मूंछ नहीं कटवाते थे। जहाँ महिलाएं अपने बालों को हमेशा से ही लम्बे रखतीं आईं हैं वहीँ पुरुष भी अपनी दाढ़ी और बाल लम्बे ही रखते थे। वहीँ साधु संतों ने इसे सन्यास आश्रम से जोड़ा जहाँ वो प्रभु भक्ति में लीं रहते थे। 

लेकिन धीरे धीरे बाकि लोगों ने दाढ़ी मूछे हटाना शुरू कर दिया। वहीँ नए नए अविष्कारों और खोज ने कई बातों का खुलासा किया जैसे वैज्ञानिकों ने बताया कि बाल व दाढी बढ़ाने से गन्दगी बढ़ सकती है लेकिन अगर इसका ख्याल रखा जाये तो ऐसा नहीं होने पायेगा। फिलहाल इन सब बातों के चलते बहुत से लोगों ने अपनी दाढ़ी और बाल कटवाने शुरू कर दिए।   

Health-दोनों गुर्दे (kidney) ख़राब

कहा जाता है कई सालों से Premanand Maharaj  के दोनों गुर्दे (kidney) ख़राब है उसके बावजूद भी वे अभी तक स्वस्थ है उनका मानना है उनका सारा जीवन राधा जी की सेवा और भक्ति के है। सब कुछ उन्होंने भगवान के हाथ में छोड़ दिया है आज भी उनकी दिनचर्या भक्ति करना है और वहाँ आने जाने वाले भक्तों से मिलकर उनकी समस्या को सुनकर उसका हल निकालते है

प्रेमानंद जी ने शारीरिक चेतना से ऊपर उठ कर मोह-माया को छोड़ कर, पूर्ण त्याग का जीवन व्यतीत किया। उसके बाद उन्होंने आकासवृत्ति को स्वीकार किया यानि बिना किसी व्यक्तिगत प्रयास के केवल वही स्वीकार करना जो भगवान का दिया गया हो और किसी चीज़ की उम्मीद नहीं करना। सन्यासी के रूप में उनका अधिकांश समय गंगा नदी के किनारे बीतता था क्योकि महाराज ने कभी भी आश्रम के पदानुक्रमित जीवन को स्वीकार नहीं किया उन्होंने सब कुछ त्याग दिया था।

ज्यादा समय गंगा नदी के साथ बिताने से उन्होंने गंगा नदी को अपनी दूसरी माँ के रूप में स्वीकार कर लिया। वे खाना, मौसम और कपडे की परवाह किये बिना ही वाराणसी और हरिद्वार नदी के घाटों पर घूमते रहे।उनकी दिनचर्या कभी नहीं बदलती थी फिर चाहे कितनी भी ठण्ड क्यों न हो वे हमेशा गंगा नदी में 3 बार स्नान जरूर करते थे उपवास लेने के लिए उन्होंने कई दिनों तक भोजन को त्याग दिया था।

ठंडा मौसम होने की वजह से उनका शरीर कापने लग गया था क्योकि वे भगवन के ध्यान में लगे हुए थे इसलिए उनको कुछ अहसास नहीं हुआ। सन्यास और आस्था के कुछ वर्षो बाद उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद मिल गया।

Premanand Maharaj के गुरुमहाराज जी के गुरु का नाम श्री गौरंगी शरण जी महाराज है

जब वे बचपन में विद्यालय जाते थे तब उनके मन में बहुत सारे सवाल उठते थे कि क्या इस शिक्षा से उनको अपने लक्ष्य की प्राप्ति होगी या नहीं। उन्होंने भौतिकवादी शिक्षा पर प्रश्न उठाए। जब उन्हें इन सवालों का जवाब नहीं मिला तो उन्होंने भगवान का जप कर अपने सवालों के जवाब खोजने शुरू कर दिया। उन्होंने जय श्री राम और श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी का जाप करना आरंभ कर दिया।जब महाराज जी 9 वी कक्षा यानि 13 साल के थे तब उन्होंने भगवन की शरण में जाने वाले मार्ग की खोज की और अपना पूरा तन-मन आध्यत्मिक जीवन पर लगाया।

प्रेमानंद जी महाराज का सन्यासी जीवन कैसे बिता?

वैसे सबका सन्यासी जीवन बहुत कठिन होता है उनको भी कठनाई आयी उन्होंने कई वर्षो तक अपना जीवन गंगा नदी के किनारे बिताया, खाने -पीने की परवाह नहीं की जो मिलता था वो खाया, बिना कपड़ो के गर्म-ठन्डे मौसम को सहन किया और बिना किसी की परवाह के बनारस के घाट पर घूमते थे

Premanand Govind Sharan Ji Maharaj का पता और संपर्क नंबर

वर्तमान समय में प्रेमानंद जी महाराज वृंदावन के आश्रम में रह रहे है उनका नंबर सार्वजनिक नहीं किया हुआ है अगर आप उनके दर्शन करना चाहते है तो इस Address– श्री हित राधा केली कुन्ज, वृन्दावन परिकर्मा मार्ग, वराह घाट, वृन्दावन, उत्तर प्रदेश, वृंदावन- 281121 .

इस पते पर जाकर महाराज जी के दर्शन कर सकते है, अधिक जानकारी के लिए उनकी  वेबसाइट पर जाकर जानकारी ले सकते है।

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