Shukratal- अति पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा द्वारा बुलाई गई भागेदारी पंचायत: रणवीर सैनी को उपचुनाव लड़वायेगा समाज
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में हाल के वर्षों में कई बदलाव देखने को मिले हैं। इस क्षेत्र में जातिगत राजनीति ने हमेशा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और हालिया घटनाएं इस बात का संकेत देती हैं कि अब समाज के विभिन्न वर्ग अपने अधिकारों और हितों के प्रति अधिक जागरूक हो गए हैं। शुकृताल (Shukratal) में भारतीय अति पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा द्वारा बुलाई गई भागेदारी पंचायत इसका एक जीवंत उदाहरण है। इस पंचायत में अति पिछड़ा वर्ग (OBC) के नेताओं और समर्थकों ने अपनी नाराजगी जाहिर की कि कैसे राजनीतिक दल उन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं और उनके अधिकारों की अनदेखी कर रहे हैं।
अति पिछड़ा वर्ग की भूमिका और महत्व
अति पिछड़ा वर्ग, जो कि समाज का एक बड़ा हिस्सा है, अब धीरे-धीरे अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने की ओर अग्रसर है। मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहन प्रजापति ने पंचायत में अपने भाषण में स्पष्ट किया कि अति पिछड़ा वर्ग अब किसी भी राजनीतिक दल का गुलाम नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि अति पिछड़ा वर्ग अपने हितों के लिए एकजुट होकर संघर्ष करे और अपने नेताओं का समर्थन करे।
रणवीर सिंह सैनी की चुनावी घोषणा
शुकृताल (Shukratal) पंचायत के दौरान, मीरापुर क्षेत्र के अति पिछड़े समाज के प्रधानों, पूर्व प्रधानों, बुद्धिजीवियों और पदाधिकारियों की सहमति से मोहन प्रजापति ने जिले के समाजसेवी और वरिष्ठ पत्रकार रणवीर सिंह सैनी को आगामी चुनावों में लड़ाने की घोषणा की। यह घोषणा अति पिछड़ा वर्ग के राजनीतिक महत्व को दर्शाती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब तक सदनों में उनके जनप्रतिनिधि नहीं होंगे, तब तक उनके हित और अधिकार सुरक्षित नहीं हो सकते। इस निर्णय का समर्थन करते हुए, मोर्चा ने सैनी को चुनाव में 11 लाख रुपये की मदद देने की घोषणा भी की। रणवीर सैनी ने कहा की वह राजनीति मे ईमानदारी और जनसेवा को आधार बनाकर कार्य करेंगे। ओर वह राजनीति की दिशा व दशा बदलने के लिये राजनीति में आये है क्योंकि जिले में अति पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व शून्य हो चुका है हमे अपनी ताकत पहचान कर आगे बढ़ना होगा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातिगत समीकरण
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातिगत समीकरण हमेशा से ही प्रभावशाली रहे हैं। क्षेत्र के विभिन्न जातीय समूहों ने राजनीतिक दलों पर हमेशा दबाव डाला है कि वे उनके प्रतिनिधियों को उचित प्रतिनिधित्व दें। खासकर अति पिछड़ा वर्ग, जो कि इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, अब अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए तैयार है।
इस क्षेत्र में किसानों, मजदूरों, छोटे व्यापारियों और अन्य गरीब वर्गों का राजनीतिक प्रतिनिधित्व लगातार घटता जा रहा है। अति पिछड़ा वर्ग के लोग अब महसूस कर रहे हैं कि यदि वे अपने अधिकारों को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो उन्हें एकजुट होकर राजनीतिक मैदान में उतरना होगा। इस स्थिति में, रणवीर सिंह सैनी जैसे नेताओं का उभरना महत्वपूर्ण है, जो कि ईमानदारी और जनसेवा के आधार पर राजनीति में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं।
ईमानदार नेताओं की आवश्यकता
भारत में आज की राजनीति को ईमानदारी और नैतिकता की सख्त जरूरत है। भ्रष्टाचार, जातिवाद और वंशवाद की राजनीति ने समाज के गरीब और पिछड़े वर्गों को लगातार हाशिए पर रखा है। ऐसे में रणवीर सिंह सैनी जैसे नेताओं की उपस्थिति एक नई दिशा दे सकती है। सैनी ने स्पष्ट किया कि वह राजनीति में केवल जनसेवा के उद्देश्य से आए हैं और उनका मुख्य उद्देश्य राजनीति की दिशा और दशा को बदलना है। यह संदेश अति पिछड़ा वर्ग के उन लोगों के लिए भी प्रेरणादायक है, जो अब तक राजनीति से दूर रहे हैं या फिर राजनीति से निराश हो चुके हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में बदलाव की दिशा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में बदलाव की बयार बहने लगी है। इस बदलाव की आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि लंबे समय से इस क्षेत्र में जातिगत राजनीति ने विकास के कार्यों को प्रभावित किया है। अति पिछड़ा वर्ग, जो कि इस क्षेत्र में एक बड़ा वोट बैंक है, अब अपनी शक्ति और प्रभाव को पहचानने लगा है।
इस प्रकार की पंचायतें और सभाएं इस बात का संकेत देती हैं कि अब समाज के विभिन्न वर्ग अपने हक और अधिकारों के लिए जागरूक हो गए हैं। इन जागरूकता अभियानों से राजनीतिक दलों को यह संदेश जा रहा है कि अब उन्हें भी अपने वादों और कार्यों में पारदर्शिता लानी होगी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ईमानदारी की राजनीति की आवश्यकता
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सामाजिक और राजनीतिक ढांचे को ईमानदार और कर्मठ नेताओं की आवश्यकता है। यहां की जनता अब यह समझने लगी है कि केवल जाति और धर्म के आधार पर वोट देने से उनके जीवन में कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा। जनता को अब उन नेताओं की तलाश है जो वास्तव में उनके लिए काम कर सकें, जो उनके मुद्दों को समझ सकें और जो समाज के हर वर्ग का सम्मान करें।
अति पिछड़ा वर्ग के लोग अब यह महसूस कर रहे हैं कि यदि वे अपनी समस्याओं का समाधान चाहते हैं, तो उन्हें खुद को संगठित करना होगा और अपने मुद्दों को सशक्त रूप से उठाना होगा। रणवीर सिंह सैनी जैसे नेताओं का उभरना इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि अब पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में अति पिछड़ा वर्ग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। जातिगत समीकरणों को देखते हुए, राजनीतिक दलों को अब यह समझना होगा कि उन्हें सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने की आवश्यकता है। इस दिशा में, ईमानदारी और जनसेवा के आधार पर राजनीति करने वाले नेताओं की मांग भी बढ़ रही है।
पंचायत में अति पिछड़ा वर्ग के पाल प्रजापति सैनी कश्यप विश्वकर्मा नाइ धोबी जोगी बंजारा समाज के लोगो ने तन मन व धन से रणवीर सैनी की चुनाव लड़ने की घोषणा पर एक सुर में सहमति जताई कार्यक्रम की अध्यक्षता सुखपाल कश्यप व प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश वालिया ने संयुक्त रूप से किया संचालन जिला अध्यक्ष पुष्पेंद्र पाल एडवोकेट ने किया इस दौरान, महेंद्र सैनी प्रधान, कवाल, डॉ राजकुमार प्रजापति, कपिल प्रजापति सभासद, जिला अध्यक्षओम प्रकाश वर्मा,भारत सिंह पाल,टीटू कश्यप, नरेंद्र सैनी प्रधान, राजपाल सैनी प्रधान,शिवकुमार प्रजापति सभासद, राजाराम प्रजापति, राजेंद्र प्रजापति, विपिन प्रजापति, डॉक्टर राजेश प्रजापति, कृष्णपाल सैनी, शुभम पाल, ब्रजर्बंधु सैनी, रतन सिंह पाल, जिला उपाध्यक्ष सुशील प्रजापति, भारतपाल, टीटू कश्यप, राकेश पाल, विपिन धीमन, सुरेश धीमान, विजेंद्र वर्मा,अनिल पाल, कृष्ण पाल इंजीनियर, सुमित प्रजापति,रोशन लाल प्रजापति भोपा,सहित सैकड़ों मौजूद रहे।
यदि इस क्षेत्र में ईमानदार और कर्मठ नेता उभरते हैं, तो न केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति बदलेगी, बल्कि इसका प्रभाव पूरे राज्य और देश पर भी पड़ेगा। अति पिछड़ा वर्ग के लोगों को अब संगठित होकर अपनी ताकत पहचानने की आवश्यकता है, ताकि वे अपने हितों की रक्षा कर सकें और अपने अधिकारों को सुनिश्चित कर सकें।

