यज्ञ में जावित्री की आहुति कोरोना वायरस को समाप्त करने मे सक्षम है: डा0 सतेन्द्र सिंह
सम्पादक महोदय मै आपके सम्मानित News Portal के माध्यम से अपनी बात माननीय जिलाधिकारी महोदया मुजफ्फरनगर तक पहुंचाना चाहता हूं। कोरोना वायरस दुनिया में कहर ढा रहा है अब यह चीन की महामारी ना होकर वैश्विक महामारी की ओर बढ़ रहा है| कोविड विश्व के लगभग सभी देशों में तबाही मचा रहा है। अब तक विश्व मे कई लाख मोते व बडी संख्या मे लोग ग्रसित हो चुके हैं। |
कोरोना इबोला हेपेटाइटिस स्वाइन फ्लू या अन्य महामारी संक्रमण के लिए जिम्मेदार वायरस कोई आजकल के तो है नहीं यह भी उतने ही प्राचीन है कि जितना प्राचीन पृथ्वी पर जीवन है|14 शताब्दी में मध्य एशिया यूरोप में प्लेग के वायरस ने 20 करोड लोगों का सफाया कर दिया था यह virus भारत का कुछ नहीं बिगाड़ पाया गूगल पर सर्च कर लेना इस घटना को ब्लैक डेथ के नाम से इंग्लैंड में हर 10 में से 6 लोग मरे थे |
भारत की संस्कृति यज्ञ संस्कृति रही है यज्ञ ने इस देश को महामारी संक्रामक रोग से बचाया है यहां जो भी महामारी आई पराधीनता के काल में आई या जब से हमने यज्ञ करना कराना छोड़ दिया 5000 वर्ष पूर्व महाभारत काल तथा इसके कुछ शताब्दियों तक पश्चात अनुष्ठान किए गए यज्ञ का ही प्रभाव था भारत 18 वीं शताब्दी तक संक्रामक रोगों से रहित रहा भारत भूमि विषाणु जीवाणु रोधी रही है |
अथर्वेद मे बीमारी की रोकथाम के लिए यज्ञ करने का विवरण मिलता है।हमने अपने बचपन मे देखा है कि जब गांव मे मनुष्यो व जानवरो मे कोई घातक बीमारी फैल जाती तो उस ग्राम देवता व भूमिया माता का प्रकोप मानते हुए गांव के सभी लोगो के सहयोग से दो दिन यज्ञ का आयोजन किया जाता था ।इन दो दिनो मे पशुओ से कोई काम नही लिया जाता था। गांव देवता, वरूण देवता को प्रसन्न करने के लिए शाम सूर्यास्त के बाद गांव की पूरी सीमा मे दूध व जल की धारा के साथ परिकर्मा करते थे।
रात्रि मे गाव के सभी घरो मे गंधक,लोबान की धूनि घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती थी।दूसरे दिन दोपहर मे भूमिया खेडे पर भण्डारे का आयोजन कर गरीब व बेसहारा लोगो को भोजन कराया जाता था। गांव मे जो महामारी फैली होती थी व समाप्त हो जाती थी।वरूण देवता प्रसन्न होकर वर्षा होती थी।सभी स्वस्थ व प्रसन्न रहते धे।
भारत से 9000 किलोमीटर दूर दक्षिण एशियाई देश है इंडोनेशिया यह 2,000 से अधिक छोटे बड़े टापू से मिलकर बना देश है.
यह आर्यव्रत का हिस्सा था सनातन वैदिक संस्कृति से ही संरक्षित होता था| इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता है जो उसके प्राचीन नाम जयकृत का अपभ्रंश है| राजे महाराजे भारत के इस देश से जावित्री और जायफल मसाले को मंगाते थे यह मसाला अपने देश में नहीं होता… इंडोनेशिया के बाली सुमात्रा जावा द्वीप में यह होता है…. जावित्री , जायफल एक ही पेड़ के उत्पाद है जायफल पेड़ का बीज है तथा जावित्री बीज को घेरा हुए लाल आवरण है|
जावित्री केवल मसाला ही नहीं यह दुनिया की बेस्ट एंटी वायरल मेडिसिन है…. हमारे पूर्वज हवन सामग्री में मिलाकर यज्ञ में इसे डालते थे…. जावित्री इन रोगों का खात्मा करती है जो स्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं कोरोनावायरस से जुकाम फेफड़ों का तीव्र संक्रमण एक्यूट रेस्पिरेट्री सिंड्रोम कहते हैं उसका खात्मा कर देती है| कोरोनावायरस बड़ा ही अजीबोगरीब है| यह वायरसों के एक परिवार का सदस्य है
कोरोना,इबोला हेपेटाइटिस स्वाइन फ्लू या अन्य महामारी संक्रमण के लिए जिम्मेदार वायरस कोई आजकल के तो है नहीं यह भी उतने ही प्राचीन है कि जितना जीवन है|यज्ञ में जावित्री की आहुति कोरोना वायरस को समाप्त करने मे सक्ष्म है: डा0 सतेन्द्र सिंह प्रदेश महासचिव, भाकियू, चिकित्सा प्रकोष्ठ pic.twitter.com/FbpsnNH6ck
— News & Features Network (@mzn_news) May 14, 2021
जिसने सभी का कॉमन नाम कोरोना ही है… हाल फिलहाल जिस से चीन में आतंक फैला हुआ है वैज्ञानिकों ने उसका नाम कोविड 2019 रखा है…. यह वायरस गोलाकार होता है इसके चारों तरफ सुनहरे कांटे होते हैं इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप से जब देखते हैं एक क्राउन( ताज) की भांति यह आवरण से ढका हुआ होता है| कोरोना परिवार के वायरस साधारण जुकाम से लेकर खतरनाक निमोनिया के लिए जिम्मेदार है|
विश्व स्वास्थ्य संगठन W H O, व सभी सरकारे भी कोविड 2019 वायरस के समूल विनाश के लिए रात दिन प्रयास कर रही है ।ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन एडवाइजरी इस वायरस से बचाव के तरीके व सभी नागरिको कोरोनावायरस से बचाव के लिए वैक्सीन उत्पादन बढाने व टीकाकरण बढाने पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है।
माननीय प्रधानमन्त्री महोदय स्वयं जब तक दवाई नही तब तक ढिलाई न बरतने की अपील सभी नागरिको से कर रहे हैं।
यह तो रहा संक्षिप्त में इस वायरस का वैज्ञानिक वर्णन अब मुद्दे पर लौटते हैं कोरोना क्या जितने भी ज्ञात अज्ञात वायरस हैं जो खोजे गए हैं या खोजे जाएंगे उनकी संख्या 10 करोड़ से अधिक बताई जाती है सभी का काल है यज्ञ…|
अपने देश में होली, दीपावली जैसे प्राचीन त्योहारों पर ऋतु अनुकूल सामग्री से बड़े-बड़े यज्ञ करने की स्वस्थ परंपरा रही है| फागुन , चैत्र के महीने में जब जावित्री को यज्ञ सामग्री में मिलाकर व खेतों में उगे हुए गेहूं जौ की बालियों को मिलाकर यज्ञ किया जाए तो यह खतरनाक वायरस मानव शरीर तो क्या गांव की सीमाओं में भी नहीं घुस सकते… महर्षि दयानंद सरस्वती ने संस्कार विधि पुस्तक में जावित्री की गणना सुगंधी कारक जड़ी बूटी में की है जावित्री केवल सुगंधीकारक ही नहीं रोग नाशक भी है|
जावित्री कोई बहुत महंगा मसाला नहीं है ₹20 में 10 ग्राम मिलती है अर्थात ₹2000 किलो है 1 किलो जावित्री से एक गांव को वायरस से मुक्त किया जा सकता है यदि विधिवत यज्ञ किया जाए… साथ ही अथर्वेद मे ऋतु अनुकूल सामग्री इस्तेमाल करने का वर्णन मिलता है।अतः कोरोना काल मे सभी लोग प्रतिदिन हवन करे। हवन सामग्री मे जायफल,लोबान ,अगर,तगरू, गुग्गुल, कपूर, हाऊबेर,नीम के पत्ते, आम की समीधा का प्रयोग करना चाहिए। वातावरण से कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा,नकारात्मक गैस खत्म होकर आक्सीजन की मात्रा बढेगी।
साथियों अपने देश को कोरोनावायरस से सर्वाधिक खतरा है क्योंकि भारत विशाल आबादी का देश है चीन से हमारी सीमाएं मिली हुई है. कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति की छींक की एक बूंद में करोड़ों विषाणु होते हैं एक व्यक्ति छींक के द्वारा एक समय पर दर्जनों लोगों को संक्रमित कर सकता है|त्रिस्तरीय चुनाव के बाद कोरोना ने गांव मे भी तबाही मचाई l
वायरस से आपको केवल और केवल यज्ञ ही बचा सकता है यज्ञ सभी वायरस को मारने मे सक्ष्म है।सभी नागरिक कोविड से बचाव हेतु टीकाकरण अवश्य कराए। रोग से रक्षा हेतुसरकार द्वारा जारी गाईड लाईन का पालन अवश्य करें तभी हम इस वैश्विक महामारी पर सफलता हासिल कर सकते हैं।
माननीया जिलाधिकारी महोदया से निवेदन है कि जनपद की जनता से अपील कर यज्ञ करने के लिए प्रेरित करें।जनपद मुजफ्फरनगर में इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप शुरू करें। ताकि धीरे धीरे यज्ञ जनांदोलन का रूप ले सके।सरकार द्वारा जारी गाईडलाईन का पालन करते हुए योग्य चिकित्सक की देखरेख मे कोरोना का उपचार कराएं।
यदि समय रहते रोगी का उपचार किया तो जनसामान्य काल के गाल मे जाने से बच सकता है।उपचार के लिए झोलाछाप चिकित्सक की शरण मे न जाएं।
हारेगा कोरोना ,जितेगा भारत
डाक्टर सतेन्द्र सिंह
प्रदेश महासचिव
भाकियू, चिकित्सा प्रकोष्ठ