Thalassemia बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए पूरे भारत में यूनिवर्सल स्क्रीनिंग की जरूरत
Thalassemia बीमारी को खत्म करने के लिए सरकार शुरू करने जा रही राष्ट्रीय मिशन. ‘थैलीसीमिया बीमारी को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए मैं देश के सभी सांसदों से अपील करता हूं कि वे अपने-अपने संसदीय क्षेत्र में थैलीसीमिया स्क्रीनिंग प्रोग्राम की शुरुआत करें. साथ ही केंद्र सरकार से अपील करूंगा कि वे देशभर में निशुल्क थैलीसीमिया की जांच कराएं. इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए पूरे भारत में यूनिवर्सल स्क्रीनिंग की जरूरत है.’ ये बातें थैलीसीमिया को लेकर लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने कहीं.
विश्व Thalassemia दिवस पर दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल और थैलीसीमिक्स इंडिया टुडे की ओर से किए गए कार्यक्रम में लोकसभा स्पीकर के अलावा केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा भी पहुंचे जहां उन्होंने थैलीसीमिया जैसी बीमारियों पर केंद्र सरकार की तैयारियों पर बात की. मुंडा ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया जैसे थैलीसीमिया को जड़ से खत्म करने के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय मिशन शुरू करने जा रही है.
इसके साथ ही सभी जेनेटिकली लिंक्ड बीमारियों की पहचान के लिए कॉलर कार्ड सिस्टम भी शुरू होने जा रहा है और 25 साल के अंदर भारत से इन बीमारियों को खत्म कर दिया जाएगा. थैलीसीमिया के इलाज से ज्यादा स्क्रीनिंग पर जोर देना जरूरी है क्योंकि जांच के बाद इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है.
Thalassemiaकी बीमारी को रोकने के लिए गर्भ में ही जांच की जाती है, जिसमें यह पता चल जाता है कि कहीं बच्चे में यह बीमारी तो नहीं आ रही है. इसका इलाज समय पर होने और सही समय पर स्क्रीनिंग के चलते इस बीमारी को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है.
सर गंगाराम अस्पताल के पीडियाट्रिक हेमेटोलॉजी डॉ. अनुपम सचदेव ने बताया कि अस्पताल में साल 2006 के बाद से, जब से अस्पताल में स्क्रीनिंग कार्यक्रम शुरू किया गया है तब से लेकर अभी तक एक भी थैलेसीमिक बच्चे का जन्म नहीं हुआ है. अब तक 50000 से अधिक गर्भधारण की जांच की गई है लेकिन उनमें से एक भी थैलेसीमिक नहीं निकला.