उत्तर प्रदेश

Varanasi: बीएचयू में बवाल: मनुस्मृति की प्रति जलाने पर छात्रों और सुरक्षाकर्मियों में तगड़ी झड़प

Varanasi काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) का माहौल बुधवार की रात अचानक गरमा गया जब कला संकाय चौराहे पर भगत सिंह छात्र मोर्चा के छात्रों ने मनुस्मृति दहन दिवस मनाने का ऐलान किया। इस कार्यक्रम के दौरान स्थिति तब विस्फोटक हो गई जब छात्रों ने मनुस्मृति की प्रति जलाने का प्रयास किया। इसके बाद महिला सुरक्षाकर्मियों और छात्र-छात्राओं के बीच जमकर हाथापाई और धक्कामुक्की हुई।

झगड़े की शुरुआत कैसे हुई?

भगत सिंह छात्र मोर्चा के सदस्यों ने कला संकाय चौराहे पर मनुस्मृति दहन दिवस मनाने के लिए शाम को इकट्ठा होना शुरू किया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के प्रॉक्टोरियल बोर्ड और सुरक्षाकर्मियों की नजर में था। जैसे ही छात्रों ने मनुस्मृति की प्रति में आग लगाई, सुरक्षाकर्मी तुरंत मौके पर पहुंचे और रोकने की कोशिश की। इसी बीच दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई जो जल्द ही हिंसक झड़प में बदल गई।

महिला सुरक्षाकर्मियों और छात्राओं के बीच तीखी झड़प

घटना का सबसे संवेदनशील पहलू यह रहा कि महिला सुरक्षाकर्मियों और छात्राओं के बीच जमकर धक्का-मुक्की और मारपीट हुई। सुरक्षाकर्मियों ने छात्रों को वैन में बैठाने का प्रयास किया, लेकिन छात्राओं ने इसका कड़ा विरोध किया। इस दौरान हाथापाई इतनी बढ़ गई कि कुछ महिला सुरक्षाकर्मियों के बाल तक खींचे गए। घटना के कारण क्षेत्र में भारी अफरातफरी का माहौल बन गया।

पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी

घटना के बाद लंका थाने की पुलिस ने तुरंत हस्तक्षेप किया। पुलिस ने मौके से 10 छात्रों को गिरफ्तार कर थाने भेज दिया। वहीं, दो से तीन छात्राओं से भी पूछताछ की गई। पुलिस का कहना है कि कानून-व्यवस्था को किसी भी स्थिति में बिगड़ने नहीं दिया जाएगा।
लंका थानाध्यक्ष शिवाकांत मिश्रा ने जानकारी दी कि चीफ प्रॉक्टर की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। छात्रों पर प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सुरक्षाकर्मियों से बदसलूकी, धार्मिक भावनाओं को आहत करने और मनुस्मृति जलाने का आरोप लगाया गया है।

बीएचयू में छात्र आंदोलनों की पृष्ठभूमि

बीएचयू लंबे समय से छात्र आंदोलनों और विरोध प्रदर्शन का केंद्र रहा है। इससे पहले भी विश्वविद्यालय में कई बार सांस्कृतिक और धार्मिक मुद्दों पर प्रदर्शन हुए हैं।

  • 2017 में छात्राओं का विरोध: महिला सुरक्षा को लेकर हुए आंदोलन में छात्राओं ने बीएचयू प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए थे।
  • सीएए-एनआरसी पर प्रदर्शन: बीएचयू में 2019-20 में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन हुए थे।
    यह घटनाएं बीएचयू में छात्र राजनीति और सामाजिक मुद्दों की गहराई को दर्शाती हैं।

मनुस्मृति जलाने का विवाद: एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण

मनुस्मृति भारतीय इतिहास में विवादित ग्रंथों में से एक है। दलित संगठनों और प्रगतिशील विचारधाराओं से जुड़े लोग इसे जातिवाद और भेदभाव का प्रतीक मानते हैं। इस ग्रंथ का जलाया जाना अक्सर सामाजिक और राजनीतिक विवादों का कारण बनता है।

  • डॉ. भीमराव अंबेडकर और मनुस्मृति: 1927 में डॉ. अंबेडकर ने मनुस्मृति का सार्वजनिक दहन किया था, जो आज भी सामाजिक न्याय आंदोलन का एक ऐतिहासिक प्रतीक है।
  • वर्तमान संदर्भ: भगत सिंह छात्र मोर्चा के सदस्यों का यह कदम भी इन्हीं आंदोलनों की एक कड़ी के रूप में देखा जा सकता है।

घटना के राजनीतिक और सामाजिक परिणाम

बीएचयू की इस घटना ने न केवल विश्वविद्यालय के प्रशासन को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है, बल्कि इससे धार्मिक सद्भाव और कानून-व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं।

  • धार्मिक संगठनों की प्रतिक्रिया: इस घटना को लेकर विभिन्न धार्मिक संगठनों की प्रतिक्रियाएं सामने आ सकती हैं, जिससे स्थिति और अधिक संवेदनशील हो सकती है।
  • छात्र राजनीति का असर: यह घटना आगामी छात्रसंघ चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बन सकती है।
  • सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया: सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। कुछ लोग छात्रों का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ इसे कानून-व्यवस्था को भंग करने की साजिश बता रहे हैं।

प्रशासन की जिम्मेदारी और आगे की कार्रवाई

इस घटना ने बीएचयू प्रशासन की कार्यप्रणाली और सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए हैं। प्रॉक्टोरियल बोर्ड और सुरक्षाकर्मियों की भूमिका पर जांच की मांग उठ सकती है।

  • सख्त सुरक्षा प्रबंधन की जरूरत: विश्वविद्यालय परिसर में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
  • सामाजिक मुद्दों पर संवाद: छात्रों और प्रशासन के बीच बेहतर संवाद स्थापित करना भी आवश्यक है, ताकि इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।

बीएचयू में तनावपूर्ण माहौल

इस घटना ने बीएचयू के शांत माहौल को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। छात्रों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हुई झड़प ने न केवल शैक्षणिक माहौल को प्रभावित किया है, बल्कि धार्मिक और सामाजिक सद्भाव पर भी सवाल खड़े किए हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन और पुलिस इस मामले को कैसे संभालते हैं और आगे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।

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