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Antarctica में ग्लेशियरों से टूट कर अलग हुआ दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड A23a Glacier?

पहले Antarctica का हिस्सा विश्व का सबसे बड़ा ग्लेशियर A23a Glacier अब टूट कर अलग हो चुका है. इससे होने वाले खतरे पर दुनिया भर के वैज्ञानिकों की नजर इस पर टिकी है. इसका नाम A23a ग्लेशियर रखा गया है. यह ग्लेशियर साल 1986 में अंटार्कटिक के तट से अलग हो गया था. दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड 30 साल से अधिक समय तक समुद्र तल पर अटके रहने के बाद अब आगे बढ़ रहा है। ए23ए (A23a) नाम का यह हिमखंड 1986 में अंटार्कटिक तटरेखा से अलग हो गया था। लेकिन यह तेजी से अंटार्कटिक के वेडेल सागर में समा गया और बर्फ का द्वीप बन गया। लगभग 4,000 वर्ग किमी (1,500 वर्ग मील) क्षेत्र में फैला यह हिमखंड ग्रेटर लंदन के आकार के दोगुने से भी ज़्यादा है। पिछले साल से ही तेजी से बह रही यह बर्फीली चट्टान अब अंटार्कटिक जल से आगे बढ़ रही है।

हाल के महीनों में हवाओं और धाराओं के कारण ग्लेशियर A23a की बहाव की गति में तेज़ी आ गई है. इसने ज़मीन पर आकर एक प्रकार का ‘बर्फ द्वीप’ बना दिया है. बताया जा रहा है कि, ‘इसकी हलचल जल्द ही इसे अंटार्कटिक जलक्षेत्र से आगे ले जा सकती है.’

…जर्नल द क्रायोस्फीयर में प्रकाशित एक शोध से पता चला है कि दुनिया भर में जमी बर्फ के पिघलने की रफ्तार, तापमान बढ़ने के साथ बढ़ती जा रही है। इसके पिघलने की रफ्तार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है। 1990 में यह 80,000 करोड़ टन प्रति वर्ष की दर से पिघल रही थी वो 2017 में बढ़कर 130,000 करोड़ टन प्रति वर्ष हो गई है। जिसका मतलब है कि यह 1990 की तुलना में 65 फीसदी ज्यादा तेजी से पिघल रही है।

ग्लेशियर A23a का क्षेत्रफल लगभग 4000 स्क्वार किलोमीटर है. इसका आकार ग्रेटर लंदन से दोगुना से भी अधिक है. 1986 में जब यह अंटार्कटिका से अलग हुआ तो इस पर एक सोवियत संघ का अनुसंधान केंद्र था, लेकिन ग्लेशियर A23a अंटार्कटिका से अलग होने के बाद वेडेल सागर में ‘समा’ गया था, लेकिन 40 साल तक अपनी जगह पर रहने के बाद यह फिर से आगे की ओर बढ़ने लगा है.

ब्रिटिश Antarctica सर्वेक्षण के रिमोट सेंसिंग विशेषज्ञ डॉ. एंड्रयू फ्लेमिंग ने बताया, ‘मैंने अपने कुछ सहकर्मियों से ग्लेशियर A23a आए बदलाव के बारे में पूछा था. मुझे लगा कि क्या शेल्फ़ के पानी के तापमान में कोई संभावित बदलाव था, जिसने इसे बहाव उकसाया होगा.’ इसने साल 1986 में टूटने के बाद किसी प्राकार की गतिविधि करना बंद कर दिया था. धीरे-धीरे इसका आकार (आकार में) इतना कम हो गया कि इसकी पकड़ ढीली हो गई और यह फिर से हिलना शुरू कर दिया था. 2020 में पहली बार इसमें हलचल दिखाई दी थी.

हाल के महीनों में हवाओं और धाराओं के कारण A23a की गति तेज़ हो गई है. ऐसी भविष्यवाणी की जा रही है कि यह अटलांटिक महासागर के दक्षिणी भाग में दक्षिण जॉर्जिया नामक द्वीप को डूबा देगा. यह द्वीप लाखों सील, पेंगुइन और अन्य पक्षियों का घर है. ऐसी आशंका है कि यदि A23a दक्षिण जॉर्जिया द्वीप के पास जाता है, तो यह वहां जंगली जानवरों और पक्षियों के आवास को तबाह कर सकता है.

बहुत से वैज्ञानिक इन हिमखंडों को टूटने के लिए प्राकृतिक चक्र को जिम्मेवार मानते हैं| पर यह भी सच है कि जिस तेजी से तापमान में वृद्धि हो रही है उसके चलते ग्लेशियरों के पिघलने की दर काफी बढ़ गई है| जिसका असर इन ग्लेशियरों पर भी पड़ रहा है|

हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्लूएमओ) द्वारा जारी नई रिपोर्ट स्टेट ऑफ ग्लोबल क्लाइमेट 2020 से पता चला है कि 2020 इतिहास का सबसे गर्म वर्ष था| जब तापमान में हो रही औसत वृद्धि 2016 और 2019 के बराबर रिकॉर्ड की गई थी। हमारी धरती पहले की तुलना में कहीं तेजी से गर्म हो रही है, जिसका प्रभाव इन ग्लेशियरों पर भी पड़ रहा है और यह पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा तेजी से पिघल रहे हैं|

News-Desk

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