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भ्रष्टाचार व भूमाफियाओं के विरुद्ध दुनिया का सबसे लंबा अहिंसात्मक आंदोलन- 28 साल से डटे हैं Master Vijay Singh

मुजफ्फरनगर :- स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधीजी कि भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही, गांधी जी का अहिंसात्मक सत्याग्रह , उनके सिद्धांत / विचारों ( सत्य अहिंसा, ग्राम स्वराज, सादा जीवन उच्च विचार स्वदेशीकरण, धैर्य, संयम, सहनशीलता, नशा विरोधी, कम खर्च ) आदि का गुणगान आज पूरी दुनिया करती है |

गांधी जी के विचारों से प्रेरित होकर उनका अनुसरण करते हुए मास्टर विजय सिंह (Master Vijay Singh) ने अपने गांव में ग्राम स्वराज लागू कराने व गरीबों का उनका हक दिलाने हेतु व दबंग भू-माफिया व भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध 28 साल पहले 26 फरवरी 1996 को धरना प्रारंभ किया था, जो 10 हजार दिन पुरे कर दुनिया का सबसे लंबा सत्याग्रह बन चुका है, जिसे विभिन्न रिकॉर्ड बुक व समाचार पत्र-पत्रिकाओं ने अपने यहां स्थान दिया है |

दुनिया का सबसे लंबा धरना: भ्रष्टाचार व भू माफियाओं के विरुद्ध मास्टर विजय सिंह अहिंसात्मक सत्याग्रह पर

देश को आजाद हुए ७७ साल हो गए लेकिन सत्ता पर काबिज नेता भले ही ईमानदारी की बात करते हुए महात्मा गांधी के आदर्श पर चलने की बात करते हो लेकिन आज के गाँधी मास्टर विजय सिंह (Master Vijay Singh) की आवाज नहीं सुन रही है। पिछले लगभग 28 वर्षों से मुजफ्फरनगर भूमाफियों के खिलाफ धरने पर बैठे मास्टर विजय सिंह अभी भी न्याय की प्रतीक्षा में हैं। उन्हें विश्वास है कि गाँधी के देश में उनकी आवाज सुनी जाएगी। इसे खोखला आदर्शवाद ही कहा जाएगा कि एक ओर तो सत्ता अपने हित के लिए गाँधी के नाम का भरपूर इस्तेमाल कर रही है वहीं दूसरी ओर अहिंसक गांधीवादी आन्दोलनों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। सुखद यह है कि मास्टर विजय सिंह निराश नहीं हैं। वे जब भी अपने अहिंसक आन्दोलन पर बात करते हैं तो उनकी आँखों में एक नई चमक दिखाई देती है।

मास्टर जी की आँखों की चमक यह विश्वास दिलाती है हमारे राजनेता भले ही सत्ता के नशे में चूर हों लेकिन इस देश में अन्ततः अहिंसक गाँधीवादी आन्दोलन ही आम आदमी का आवाज बनेगा। गाँधी जी ने कहा था कि कोई भी संकल्प मामूली नहीं होता गम्भीरता से निभाने से उसका परिणाम अवश्य मिलता है। मास्टर जी गाँधी जी के इन्हीं विचारों से प्रेरित होकर अपने संकल्प के प्रति प्रतिबद्ध हैं। गाँधी जी का मानना था कि अगर किसी मकसद के लिए खड़े हो तो एक पेड़ की तरह रहो और गिरो तो बीज की तरह गिरो ताकि दुबारा उग कर उसी मकसद के लिए संघर्ष कर सको।

आज के गाँधी मास्टर विजय सिंह एक पेड़ की तरह मुजफ्फरनगर में धरना पर दृढ़ता के साथ खड़े हुए हैं, यह पेड़ आज पूरे देश में गाँधीवादी संघर्ष का प्रतीक बन गया है। भले ही उनके उठाया गया प्रकरण राजनीति का शिकार हो रहा है परंतु देश प्रदेश में सार्वजनिक भूमि से भूमाफियाओं के अवैध कब्जा हटवाने के सरकारों का एक एजेंडा बन गया है और कुछ सार्वजनिक भूमि से अवैध कब्जे भी हटे हैं जिस पर मास्टर विजय सिंह बहुत खुश है अवैध कब्जे हटवाने की मुहिम फलफूल रही है।जनहित में गरीबों व विकास कार्यों के लिए सार्वजनिक भूमि को मुक्त कराने हेतु मास्टर विजय सिंह भूमाफियों के खिलाफ गाँधीवादी तरीके से आन्दोलनरत हैं। उन्होंने अध्यापक की नौकरी छोड़ी और घर-परिवार को त्यागकर समाजसेवा हेतु अपना जीवन समर्पित कर दिया।

आज मुजफ्फरनगर में पिछले २३ वर्षो तक कचहरी स्थित बास बल्ली कुटिया बनाकर रह रहे थे, इस कुटिया में न ही तो कोई पंखा है और न ही सुख-सुविधा का कोई साधन था वे आप गर्मी, सर्दी और बरसात के थपेड़े सहते हुए एकला चलो की तर्ज पर आगे बढ़ रहे हैं। संघर्ष के रास्ते पर चलते हुए परिवार और रिश्तेदारों ने भी मुँह मोड़ लिया। रिश्तेदारों की उपेक्षा के बावजूद स्वयं संघर्ष करते रहे है भ्रष्ट राजनेता भले ही आन्तरिक रूप से उनके खिलाफ हों लेकिन सार्वजनिक रूप से कोई उनकी और उनके कार्यों की निंदा नहीं करता है। समस्त अधिकारी उनके संघर्ष और ईमानदारी का सम्मान करते हैं।

कई बार ऐसे अवसर भी आए कि जिलाधिकारी ने जनसेवा के कार्य में उनका सहयोग लिया। मास्टर जी अपना खाना बनाना, कपड़े धोना और बर्तन साफ करना जैसे कार्य स्वयं करते हैं। भ्रष्ट राजनीति के सामने लाचार दिखाई देते हैं लेकिन बड़ी बात यह है कि आप हिम्मत नहीं हारते हैं। सुखद यह है कि लगातार आर्थिक तंगी से जूझ रहे मास्टर विजय सिंह अपना स्वाभिमान बचाए हुए हैं। आप एक तपस्वी की तरह अपना जीवन जी रहे हैं।

वे जमीन पर सोते हैं, पैदल चलते हैं और कई बार तो भूखे रहकर ही अपने संघर्ष को एक नई दिशा देने के लिए तत्पर रहते हैं। मास्टर विजय सिंह के पिताजी का नाम भगत सिंह शायद पिता का नाम भगत सिंह होने के कारण क्रांतिकारी भगत सिंह की क्रांतिकारी चेतना विजय सिंह के अंदर पैदा हुई दूसरे उनका जन्म 10 मई गदर दिवस को हुआ अन्याय के विरुद्ध बिगुल बजाने की चेतना उनके अंदर कूट कूट कर भरी है वे 33 वर्ष की युवा आयु घर-परिवार छोड़कर अन्याय के विरुद्ध धरने पर धरने पर बैठ गए थे जो 62 साल के बूढ़े हो गये है ।

आज के गांधी है- मास्टर विजय सिंह, गांधीजी के सत्य एवं अहिंसा के मार्ग पर 28 साल से डटे हैं.

मास्टर विजय सिंह (Master Vijay Singh) गाँधी जी के आदर्शो पर चलते हुए गाँधी जी की तरह ही जीवन यापन कर रहे हैं।आप न्यूनतम आवश्यकताओं के बीच शरीर पर धोती-कुर्ता धारण करते हुए ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ के दर्शन को चरितार्थ कर रहे हैं। 28 सालों में उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। अपने साथ अन्याय करने वाले व्यक्ति के प्रति भी वे कोई दुर्भावना नहीं रखते हैं।

गाँधी जी के सिद्धान्त ‘पाप से घृणा करो, पापी से नहीं’ को मानते हुए आप सभी के प्रति प्रेम भाव रखते हैं। मास्टर विजय सिंह हिंसा या हिंसात्मक विरोध में विश्वास नहीं रखते हैं। संयमित भाषा का इस्तेमाल करते हैं। यही कारण है कि उनका जीवन निर्विवाद रहा है। सभी समाज के लोग उन्हें आदर से मास्टर जी के नाम से पुकारते हैं। परोपकार की भावना से ओत-प्रोत मास्टर जी ने 2013 में अपना शरीर एम्स, दिल्ली को दान कर दिया है ताकि उनकी मृत्यु के बाद शरीर के विभिन्न अंग रोगियों के काम आ सकें। सच्चे देशभक्त मास्टर जी 15 अगस्त, 26 जनवरी और 2 अक्टूबर बड़े ही हर्ष के साथ मनाते हैं।

कोई भी पीड़ित गरीब आदमी उनके पास आए तो उसका काम निःशुल्क कराते हैं। आर्थिक अभाव के बावजूद दीन-दुखियों की मदद से नहीं चूकते और उधार लेकर मदद करने से भी पीछे नहीं हटते।     गौरतलब है कि 28 साल पहले एक 4 साल के भूखे बच्चे की व्यथा से मास्टर जी का मन द्रवित हो गया। बच्चा अपने माँ से कह रहा था कि माँ किसी के यहाँ से आटा मांग लाओ और शाम को रोटी बना लो। हमने कई दिनों से खाना नहीं खाया है। यह वेदना सुन मास्टर विजय सिंह ने अध्यापक की नौकरी से इस्तीफा देकर गाँधीवादी आन्दोलन शुरू कर दिया।

सबसे पहले उन्होंने अपने गाँव चैसाना की 4000 बीघा भूमि पर शोध करके घोटाला खोला। इस भूमि पर गाँव के राजनीतिक, दबंग और भूमाफियो ने राजस्व अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत से अवैध कब्जा कर लिया था। पिछले 28 वर्षों में मास्टर जी की मांग पर कई जाँचें हो चुकी हैं। 3200 बीघा जमीन पर घोटाला साबित हो चुका है। लगभग 300 बीघा जमीन अवैध कब्जे से मुक्त कराई जा चुकी है। काफी मुकदमें भी दर्ज कराए गए हैं। भ्रष्टाचार, लचर प्रशासनिक व्यवस्था और राजनीतिक दबाव के चलते प्रकरण निस्तारित नहीं हो सका है।

मास्टर जी ने आन्दोलन के माध्यम से अन्य गाँवों में भूमाफियाओं द्वारा किए गए कब्जों को भी छुड़वाया है जिनमें पुरकाजी और रामराज प्रमुख हैं। जनपद मुजफ्फरनगर और शामली में लगभग 7 लाख बीघा सार्वजनिक भूमि, तालाब ,झील आदि पर अवैध कब्जे हैं। मास्टर विजय सिंह इस प्रकार की भूमि को कब्जामुक्त करवाने तथा इस भूमि के सार्वजनिक प्रयोग या गरीबों को बंटवाने की जद्दोजहद में 24 घंटे धरने पर रहकर गांधीवादी लड़ाई लड़ रहे हैं। 

दुनिया का सबसे लम्बा धरना

28 साल का यह धरना देश व दुनिया का सबसे लम्बा धरना घोषित हो चुका है। इस धरने को लिम्का बुक आफ रिकाॅर्डस, एशिया बुक ऑफ रिकाॅर्डस, इंडिया बुक ऑफ रिकाॅर्डस, मीरा सैल्स ऑफ दा वल्र्ड रिकाॅर्डस, यूनिक वल्र्डस रिकार्ड ने सबसे लम्बा सत्याग्रह दर्ज किया है।धरने के दौरान पिछले 28 सालों में मास्टर विजय सिंह को जान से मारने की धमकी दी गई और उन पर हमले भी हुए। उनके घर को भी आग लगा दी गई। मास्टर जी का कहना है कि 4000 बीघे सार्वजनिक भूमि से भूमाफिया लगभग 25 लाख रुपये की अवैध मासिक आय प्राप्त कर राजकोष को निरन्तर हानि पहुँचा रहे हैं।

भूमि घोटाले में अवैध कब्जा मुक्ति की कार्रवाई न होने पर मास्टर जी ने 30 मार्च 2012 को मुजफ्फरनगर से मुख्यमंत्री निवास लखनऊ तक 19 दिन में 600 किलोमीटर की पैदल यात्रा की। 28 अप्रैल 2012 को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात कर सरकारी भूमि से अवैध कब्जा हटाने की मांग की तथा उन्होंने अक्टूबर 2019 में मुजफ्फरनगर से दिल्ली राजघाट तक की पैदल यात्रा की। मास्टर जी की मांग पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आदेश दिया कि शासन स्तर से वरिष्ठ अधिकारियों की टीम भेजकर इसकी निष्पक्ष जाँच कराई जाए और जाँच के उपरान्त दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।

मुख्यमंत्री के इस आदेश पर टीम गठित हुई लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। दरअसल घोटाले के आरोपी भूमाफिया सपा के शासनकाल में सपा में शामिल हो गए तथा भाजपा के सत्ता में आते ही भाजपा में शामिल हो गए। यही कारण है कि इस प्रकरण की कार्रवाई लगातार प्रभावित हो रही है। सांसद व भारत सरकार के राज्य मंत्री डाॅ. संजीव बालियान मई 2015 में धरने पर आए थे और उन्होंने इस भूमि घोटाले प्रकरण की समस्त जानकारी प्राप्त की लेकिन अभी भी यह प्रकरण लटका हुआ है।

महात्मा गाँधी का मानना था कि जिसका आत्मबल पर विश्वास होता है, उसकी हार नहीं होती। ज्यों-ज्यों इस सत्याग्रह की अवधि बढ़ती जा रही है, त्यों-त्यों मास्टर विजय सिंह (Master Vijay Singh) का आत्मबल बढ़ता जा रहा है।

देखना यह है कि मास्टर जी के आत्मबल को देखकर हमारे राजनेता अपने आत्मबल पर विश्वास करने की हिम्मत करेंगे या फिर यूँ ही कायर बने रहेंगे ? पूर्व जिलाधिकारी द्वारा कचहरी स्थल पर धरने का विरोध किए जाने के कारण मास्टर विजय सिंह (Master Vijay Singh) वर्तमान मे शहर की ह्रदय स्थल शिव चौक पर धरना लगातार जारी किया हुआ है

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