Argentina में पीएम मोदी की एंट्री से मचा तहलका! लिथियम, रक्षा, ऊर्जा पर बड़े समझौते, भव्य स्वागत से चमका भारत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण अमेरिका के अपने ऐतिहासिक दौरे में एक और महत्वपूर्ण पड़ाव पार कर लिया है। ट्रिनिडाड और टोबैगो में ऐतिहासिक सम्मान पाने के बाद वह Argentina की राजधानी ब्यूनस आयर्स पहुंचे, जहां उनका शाही अंदाज़ में स्वागत किया गया।
पीएम मोदी की यह यात्रा सिर्फ कूटनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत और अर्जेंटीना के रिश्तों को नई ऊर्जा देने की एक रणनीतिक पहल है।
अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलेई के विशेष निमंत्रण पर पहुंचे पीएम मोदी का एयरपोर्ट पर गार्ड ऑफ ऑनर से स्वागत किया गया, जो इस बात का संकेत है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते अब केवल औपचारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक साझेदारी की दिशा में बढ़ रहे हैं।
💥 लिथियम डील से हिल गया वैश्विक बाजार: भारत की चाल सबसे आगे! 💥
लिथियम — वो धातु जो इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरियों की जान है। अर्जेंटीना इस संसाधन का दुनिया के बड़े निर्यातकों में शामिल है और भारत अपनी हरित ऊर्जा नीति के तहत लिथियम की आपूर्ति को लेकर बेहद सजग है।
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा का सबसे बड़ा फोकस लिथियम पर रणनीतिक समझौते हैं। सूत्रों के मुताबिक, भारत और अर्जेंटीना के बीच एक बहुस्तरीय समझौता तैयार है, जिसके तहत भारत को लंबे समय तक लिथियम की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। इससे भारत की बैटरी निर्माण और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी इंडस्ट्री को जबरदस्त ताकत मिलेगी।
⚔️ रक्षा और सुरक्षा पर नई शुरुआत: साझा युद्धाभ्यास संभव! ⚔️
पीएम मोदी और राष्ट्रपति मिलेई के बीच होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में रक्षा सहयोग पर गहन चर्चा होने की संभावना है। भारत अर्जेंटीना के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास, रक्षा तकनीक ट्रांसफर और प्रशिक्षण कार्यक्रम पर काम करना चाहता है।
अर्जेंटीना ने भारत की तेजस लड़ाकू विमान तकनीक और ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली में गहरी रुचि दिखाई है। वहीं भारत भी अर्जेंटीना के ड्रोन और निगरानी टेक्नोलॉजी को लेकर साझेदारी का इच्छुक है।
🌾 कृषि, ऊर्जा और खनन: बहुस्तरीय सहयोग की दिशा में कदम 🌾
कृषि, अर्जेंटीना की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। भारत और अर्जेंटीना के बीच बीज तकनीक, जैविक खेती और खाद्य निर्यात को लेकर कई अहम MoU (समझौता ज्ञापन) साइन किए जा सकते हैं।
वहीं खनन और ऊर्जा क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच तेल, गैस, कोयला, और ग्रीन एनर्जी से जुड़े समझौते बनने की संभावना है। अर्जेंटीना के पास प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है और भारत की ऊर्जा ज़रूरतें तेज़ी से बढ़ रही हैं — यह संयोजन दोनों देशों को साझा ऊर्जा शक्ति बनने की दिशा में ले जा सकता है।
👥 जनसंपर्क और सांस्कृतिक संबंध: भारत का प्रभाव बढ़ा 👥
प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अब लैटिन अमेरिका तक फैल चुकी है। ब्यूनस आयर्स में भारतीय समुदाय ने गुलदस्तों और नृत्य के साथ उनका स्वागत किया।
मोदी सरकार की “एक्ट ईस्ट और लुक वेस्ट” नीति के तहत अब लैटिन अमेरिका भी कूटनीतिक नक्शे पर केंद्र में आ गया है। ट्रिनिडाड और टोबैगो में पीएम मोदी को भारतीय मूल के लोगों से मिले सम्मान ने पूरे कैरिबियन में भारत की छवि को मजबूत किया है।
🎯 मिलेट्स और योग: भारतीय सॉफ्ट पॉवर की चमक अर्जेंटीना में भी फैली 🎯
भारत की सॉफ्ट पावर — यानि योग, आयुर्वेद और मिलेट्स (मोटा अनाज) — अब अर्जेंटीना में भी चमकने लगी है। दोनों देशों के बीच इस यात्रा में स्वास्थ्य और पोषण को लेकर भी MoU की संभावना है।
विशेषकर “International Year of Millets” के संदर्भ में अर्जेंटीना भारत के साथ मिलकर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर मॉडल पर काम करना चाहता है।
🇮🇳 वैश्विक मंच पर भारत की धमक: मोदी की रणनीति से बदले समीकरण 🇮🇳
प्रधानमंत्री मोदी की यह Argentina यात्रा सिर्फ एक देश का दौरा नहीं, बल्कि भारत की वैश्विक रणनीति का हिस्सा है। चीन और अमेरिका की पकड़ वाले क्षेत्र में भारत की मजबूत उपस्थिति यह साबित करती है कि भारत अब केवल विकासशील देश नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति केंद्र बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।
📸 पीएम मोदी की एक्स पोस्ट और अर्जेंटीना में वायरल हुआ वीडियो 📸
पीएम मोदी ने Argentina पहुंचकर एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा:
“द्विपक्षीय यात्रा के लिए ब्यूनस आयर्स पहुंचा हूं, जिसका फोकस अर्जेंटीना के साथ संबंधों को बढ़ाने पर होगा। मैं राष्ट्रपति जेवियर माइली से मिलने और उनके साथ विस्तृत बातचीत करने के लिए उत्सुक हूं।”
उनकी यह पोस्ट कुछ ही घंटों में अर्जेंटीना और भारत दोनों जगह ट्रेंड करने लगी।
📊 भारत-अर्जेंटीना साझेदारी: आने वाले वर्षों में नई ऊंचाइयां तय 📊
भारत और अर्जेंटीना की यह बढ़ती निकटता अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, कूटनीति और वैश्विक नेतृत्व के हर क्षेत्र में नए रास्ते खोलने वाली है।
इस दौरे के दौरान जिन समझौतों पर मुहर लगने वाली है, वे आने वाले दशकों में भारत की ऊर्जा, तकनीक और रक्षा रणनीति को नई दिशा देंगे।

