Rani Rampal का ऐतिहासिक हॉकी सफर: संन्यास के साथ खत्म हुआ 16 साल का सुनहरा अध्याय
भारतीय महिला हॉकी की शान Rani Rampal ने हाल ही में अपने करियर से संन्यास लेने का ऐलान किया। इस घोषणा के साथ ही उनका 16 साल का एक अद्भुत सफर समाप्त हो गया। रानी, जो केवल 14 साल की उम्र में ओलिंपिक क्वालिफायर में भारत का प्रतिनिधित्व करने निकली थीं, ने अपनी कड़ी मेहनत, लगन और अद्वितीय कौशल से भारतीय हॉकी को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। आइए, जानते हैं रानी रामपाल के सफर के विभिन्न पहलुओं के बारे में।
Rani Rampal का अद्वितीय सफर
2008 में Rani Rampal ने भारतीय टीम में पदार्पण किया था। इस युवा खिलाड़ी ने अपने करियर में 254 मैचों में 205 गोल किए, जो न केवल उनके व्यक्तिगत कौशल का परिचायक है, बल्कि भारतीय महिला हॉकी की वृद्धि का भी संकेत है। हरियाणा के छोटे से गाँव से आने वाली रानी ने अपने संघर्ष के दिनों में गरीबी का सामना किया, लेकिन उनके दिल में हमेशा देश का प्रतिनिधित्व करने की चाह बनी रही। उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए गए बयान में उन्होंने कहा, “यह एक शानदार यात्रा रही है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं भारत के लिए इतने लंबे समय तक खेलूंगी।”
ओलंपिक और अन्य उपलब्धियाँ
रानी की कप्तानी में, भारतीय महिला हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में एक ऐतिहासिक चौथा स्थान हासिल किया। यह भारतीय महिला हॉकी के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी, और टीम की यह रैंकिंग अब तक की सबसे सर्वोच्च है। इसके अलावा, रानी ने 2017 में महिला एशियाई कप में सिल्वर मेडल और 2018 के एशियन गेम्स में भी सिल्वर मेडल जीतकर अपने करियर को और भी संजीवनी दी।
पुरस्कार और सम्मान
रानी रामपाल को उनके अद्वितीय प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया। 2016 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार, 2020 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और भारत का चौथा सबसे बड़ा सम्मान पद्म श्री मिला। इसके अतिरिक्त, रानी को 2010 के महिला हॉकी विश्व कप में सर्वश्रेष्ठ युवा खिलाड़ी और 2013 के जूनियर वर्ल्ड कप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब भी प्राप्त हुआ।
टीम से बाहर रहने की वजहें
हालांकि रानी रामपाल ने अपने करियर में कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं, लेकिन टोक्यो ओलंपिक के बाद से वह भारतीय महिला हॉकी टीम से बाहर चल रही हैं। यह स्थिति तब बनी जब तत्कालीन कोच श्योर्ड मरीन्ये ने अपने पद से इस्तीफा दिया और उनकी जगह यानेक शॉपमैन ने जिम्मेदारी संभाली। रानी और यानेक के बीच संबंधों में तनाव की खबरें आईं, जिससे रानी को चोट के कारण भी टीम से बाहर रहना पड़ा। ऐसे में 2022 में गुजरात में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में रानी ने 6 मुकाबलों में 18 गोल किए, फिर भी उनकी टीम इंडिया में वापसी नहीं हो सकी।
कोच और मेंटर के रूप में नई भूमिका
हालांकि रानी रामपाल को टीम इंडिया में वापसी करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्हें पिछले साल जूनियर विमेंस टीम का कोच नियुक्त किया गया। इसके अलावा, हॉकी इंडिया की विमेंस लीग में उन्हें सूरमा क्लब ने बतौर मेंटर और हॉकी कोच चुना है। इस नई भूमिका में रानी अपने अनुभव का लाभ नई पीढ़ी की खिलाड़ियों को देने का प्रयास कर रही हैं, जिससे भारतीय महिला हॉकी का भविष्य और भी उज्ज्वल हो सके।
रानी रामपाल का संन्यास निश्चित रूप से भारतीय हॉकी के लिए एक बड़ा नुकसान है, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य और उपलब्धियाँ हमेशा याद रखी जाएँगी। उन्होंने न केवल खेल में अपने लिए एक अद्वितीय स्थान बनाया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बनीं। उनका सफर हमें सिखाता है कि कठिनाइयाँ चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, यदि मन में लक्ष्य और उसे पाने का जुनून हो, तो सफलता अवश्य मिलती है।
रानी रामपाल का करियर अब एक नया मोड़ ले रहा है, और उम्मीद है कि वह भविष्य में भी भारतीय हॉकी को अपनी अद्वितीय शैली और अनुभव से समृद्ध करती रहेंगी।

