रामपुर तिराहा कांड की बरसी पर मुख्यमंत्री Pushkar Singh Dhami ने भाजपा के प्रयासों की सराहना की, शहीदों को दी श्रद्धांजलि
रामपुर तिराहा कांड की 31वीं बरसी पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने शहीद स्मारक पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने भाजपा के प्रयासों की विशेष रूप से सराहना की, जिनकी मदद से रामपुर तिराहा गोलीकांड के पीड़ितों को न्याय दिलाने का रास्ता साफ हुआ।
रामपुर तिराहा कांड – एक काला अध्याय
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभा में कहा कि रामपुर तिराहा कांड उत्तराखंड और देश के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। उन्होंने कहा, “यह घटना समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार के दौरान घटी थी, और इसके लिए जनता कभी सपा सरकार को माफ नहीं करेगी। शांतिपूर्ण तरीके से चल रहे राज्य आंदोलन को बर्बरता से कुचला गया, और यह घटना जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी ज्यादा क्रूर थी।”
सपा सरकार की दमनकारी नीतियां और न्याय की तलाश
धामी ने इस दौरान बताया कि यह घटना सपा सरकार की दमनकारी नीतियों का हिस्सा थी, और इसकी शुरुआत 1992 में खटीमा और मसूरी गोलीकांड से हो चुकी थी। 2 अक्टूबर 1994 को, रामपुर तिराहा कांड के दौरान निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाई गईं और महिलाओं की आबरू से खिलवाड़ किया गया। इस कांड के बाद, न्याय की उम्मीदें लगभग खत्म हो गई थीं, लेकिन भाजपा और राज्य सरकार ने इसे फिर से जीवित किया और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए निरंतर प्रयास किए।
भा.ज.पा. और डॉ. संजीव बालियान का योगदान
मुख्यमंत्री धामी ने भाजपा और डॉ. संजीव बालियान का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया, जिन्होंने मुजफ्फरनगर से सांसद रहते हुए इन मामलों को मजबूती से उठाया और उनकी पैरवी की। उन्होंने कहा, “डॉ. बालियान ने केंद्र सरकार में मंत्री रहते हुए इन मुकदमों की पैरवी को और मजबूत किया, जिससे न्याय मिलने का रास्ता साफ हुआ।”
उत्तम कार्यों के लिए भाजपा का आभार
धामी ने भाजपा के प्रयासों को सराहा और कहा कि आज उन्हीं प्रयासों के कारण रामपुर तिराहा कांड के पीड़ितों को न्याय मिल रहा है। यह भाजपा के समर्पण और उनके संघर्ष का परिणाम है कि राज्य आंदोलन के बलिदानियों को न्याय मिला और उनके बलिदान को साकार किया गया।
न्याय की जीत और भविष्य की प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री धामी ने यह भी कहा कि उत्तराखंड सरकार और भाजपा का उद्देश्य उन शहीदों के सपनों को पूरा करना है जिनके बलिदान से उत्तराखंड राज्य का गठन संभव हुआ। उन्होंने शहीदों की शहादत को याद करते हुए कहा कि हमारी सरकार उन शहीदों के समर्पण और संघर्ष को हमेशा याद रखेगी और उनके योगदान के लिए हमेशा कृतज्ञ रहेगी।

