Indian Olympic Association पर CAG के आरोप: पीटी उषा की प्रतिक्रिया का इंतजार
Indian Olympic Association (IOA) इन दिनों विवादों के घेरे में है। देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने IOA पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जो सीधे तौर पर संगठन की वित्तीय गड़बड़ियों की ओर इशारा करते हैं। इन आरोपों के केंद्र में 2022 से 2030 तक आयोजित होने वाले प्रमुख खेल आयोजनों की स्पॉन्सरशिप डील है, जिसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के साथ हुए करार को लेकर सवाल उठाए गए हैं। यह करार 10 प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों के लिए हुआ था, जिनमें ओलिंपिक, एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और यूथ ओलिंपिक शामिल थे।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद भारतीय ओलिंपिक एसोसिएशन की अध्यक्ष पीटी उषा से CAG ने जवाब मांगा है। रिपोर्ट के अनुसार, IOA को इस डील से 59 करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे, लेकिन उन्हें केवल 35 करोड़ रुपये मिले हैं। यह अंतर IOA की वित्तीय गड़बड़ियों और प्रबंधन पर सवाल खड़ा करता है। सूत्रों के अनुसार, पीटी उषा इस मामले में 8 अक्टूबर को अपना पक्ष रख सकती हैं।
10 प्रमुख खेल आयोजन और विवादित डील
2022 से 2030 के बीच होने वाले 10 मेगा इवेंट्स की सूची में दो समर ओलिंपिक (2024 और 2028), दो एशियन गेम्स (2022 और 2026), दो कॉमनवेल्थ गेम्स (2022 और 2026), दो विंटर ओलिंपिक (2026 और 2030), और दो यूथ ओलिंपिक (2026 और 2030) शामिल हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इन इवेंट्स के लिए IOA से स्पॉन्सरशिप अधिकार खरीदे थे।
CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि जब 2022 में रिलायंस के साथ यह डील की गई थी, तब इसमें केवल 6 मेगा इवेंट्स शामिल थे, और इसके लिए 35 करोड़ रुपये का करार हुआ था। हर इवेंट के लिए 6 करोड़ रुपये की दर से रकम तय की गई थी। लेकिन 2023 में चार और इवेंट्स को इस डील में जोड़ा गया, जिसमें दो विंटर ओलिंपिक और दो यूथ ओलिंपिक शामिल थे। लेकिन इन चार अतिरिक्त इवेंट्स के लिए IOA ने रिलायंस से कोई अतिरिक्त रकम नहीं ली, जिसके कारण 24 करोड़ रुपये की संभावित आय का नुकसान हुआ।
स्पॉन्सरशिप डील में गलती या धोखाधड़ी?
IOA के अधिकारी अजय कुमार नारंग ने इस विवाद पर संगठन का पक्ष रखा है। नारंग ने बताया कि स्पॉन्सरशिप डील में एक तकनीकी गलती के कारण रिलायंस को चार अतिरिक्त इवेंट्स दिए गए थे। प्रारंभिक एग्रीमेंट में यह शर्त थी कि रिलायंस ओलिंपिक के दौरान इंडिया हाउस का निर्माण कर सकेगा और उसका नाम “रिलायंस इंडिया हाउस” रखा जाएगा। लेकिन इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी (IOC) के नियमों में बदलाव के कारण किसी भी देश के हाउस के नाम के साथ स्पॉन्सर का नाम लगाने पर रोक लगा दी गई। इस बदलाव के बाद रिलायंस ने मुआवजा मांगा, और उसे चार अतिरिक्त इवेंट्स दिए गए।
हालांकि, नारंग ने यह भी कहा कि विंटर ओलिंपिक और यूथ ओलिंपिक की लोकप्रियता भारत में समर ओलिंपिक और एशियन गेम्स जितनी नहीं है, इसलिए इनकी स्पॉन्सरशिप राशि भी उतनी अधिक नहीं हो सकती थी। इसके बावजूद सवाल यह उठता है कि IOA ने बिना किसी अतिरिक्त मुआवजे के चार और इवेंट्स क्यों दिए?
पीटी उषा का मौन और 8 अक्टूबर की तारीख
भारतीय ओलिंपिक एसोसिएशन की अध्यक्ष पीटी उषा ने अभी तक इस मामले पर कोई खुला बयान नहीं दिया है। लेकिन यह स्पष्ट है कि 8 अक्टूबर को उनका बयान आने की उम्मीद है। IOA के शीर्ष अधिकारियों से उम्मीद की जा रही है कि वे इस मामले में स्पष्ट जवाब देंगे और CAG की रिपोर्ट में उठाए गए सवालों का उचित समाधान प्रस्तुत करेंगे।
क्या यह पहली बार हुआ है?
इससे पहले भी IOA पर वित्तीय गड़बड़ियों और पारदर्शिता की कमी के आरोप लगे हैं। खेल संगठनों में प्रायोजन राशि के आवंटन और उपयोग को लेकर अकसर सवाल उठते रहे हैं। भारत जैसे देश में, जहां खेलों का विकास और खिलाड़ियों को बेहतर संसाधन उपलब्ध कराने की ज़रूरत है, इस प्रकार की गड़बड़ियां न केवल संगठन की छवि खराब करती हैं, बल्कि खिलाड़ियों और खेल प्रशंसकों का विश्वास भी हिला देती हैं।
खेल संगठनों में पारदर्शिता की कमी
खेल संगठनों में वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव कोई नई बात नहीं है। IOA और अन्य खेल संगठनों पर पहले भी खिलाड़ियों की सुविधाओं और संसाधनों के साथ समझौता करने के आरोप लगते रहे हैं।
खेल संगठनों में प्रायोजकों के साथ डील्स और कॉन्ट्रैक्ट्स अक्सर विवादों का केंद्र बन जाते हैं। खासकर जब बात बड़ी रक़म की हो, तो पारदर्शिता का अभाव सार्वजनिक आलोचना का कारण बनता है। यह स्थिति केवल IOA तक सीमित नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी खेल संगठनों में गड़बड़ियों की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं।
आगे की राह
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि IOA और पीटी उषा इस विवाद का कैसे सामना करते हैं। क्या वे CAG के आरोपों का स्पष्ट और ठोस जवाब दे पाएंगे, या फिर यह मामला और गहराता जाएगा? इसके साथ ही यह भी सवाल है कि क्या IOA भविष्य में अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करेगा और खेल संगठनों में वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित कर पाएगा?
भारत जैसे देश में, जहां खेलों को बढ़ावा देने की सख्त जरूरत है, ऐसे विवाद खिलाड़ियों और खेल प्रशंसकों के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। खेल संगठनों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्पॉन्सरशिप और वित्तीय लेन-देन पूरी तरह पारदर्शी हों और उनका उद्देश्य खेल और खिलाड़ियों के विकास के लिए हो।

