Farmers Protest: शंभू बॉर्डर पर किसानों का उग्र प्रदर्शन, दिल्ली मार्च की नई योजना, सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
Farmers Protest: देश में किसान आंदोलन का स्वरूप एक बार फिर गरमाया हुआ है। पंजाब और हरियाणा से दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिशों में जुटे किसान शंभू बॉर्डर पर अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं। रविवार को किसानों ने एक बार फिर दिल्ली मार्च का प्रयास किया, लेकिन पुलिस के विरोध और सुरक्षा बलों द्वारा रोकने के कारण यह प्रयास असफल हो गया। किसानों ने कहा कि उनकी समस्याओं का समाधान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास ही है, और वह उनकी आवाज़ को सुनें।
किसानों का दिल्ली मार्च: प्रयास और चुनौती
शंभू बॉर्डर पर किसानों की जमें हुई भीड़ में गहमागहमी का माहौल था। किसानों ने दिल्ली जाने के लिए पूरी योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया। इस दौरान पुलिस ने पहले तो फूलों से किसानों का स्वागत किया, लेकिन जब किसान नहीं माने तो आंसू गैस के गोले छोड़े गए। इस दौरान एक किसान घायल हो गया और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने मीडिया से कहा कि पुलिस का यह बर्ताव अन्यायपूर्ण है और किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए यह एक गैर-कानूनी कार्रवाई है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका: क्या मिलेगा न्याय?
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होगी। 7 नवंबर को एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें शंभू बॉर्डर समेत सभी हाईवे को खोलने की अपील की गई थी। याचिका में कोर्ट से यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार और पंजाब-हरियाणा सरकार को आदेश दिया जाए कि वे राष्ट्रीय राजमार्गों को खाली करें। याचिका देने वाले गौरव लूथरा ने कहा कि सीमा को बंद करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मामले पर क्या फैसला लिया जाएगा, यह देखने वाली बात होगी। कोर्ट की सुनवाई में किसानों के हितों की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे, यह पूरे देश को दिलचस्पी के साथ देखना है।
किसान नेता की तीव्र प्रतिक्रिया
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि हमें दिल्ली जाने से रोका जा रहा है, जबकि हमारी समस्याओं का समाधान केंद्र सरकार के पास ही है। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि केंद्र ने हमारी समस्याओं का हल नहीं किया तो हम और भी बड़े कदम उठाने के लिए तैयार हैं। पंधेर ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हम किसी भी प्रकार के बलिदान के लिए तैयार हैं। यह आंदोलन केवल हमारे हक के लिए नहीं है, बल्कि देश के हर किसान के भविष्य के लिए है।”
किसानों की मांगें: एमएसपी से लेकर मुआवजा तक
किसानों के इस आंदोलन की मांगें स्पष्ट हैं। सबसे प्रमुख मांगों में से एक है, एमएसपी (मिनिमम सपोर्ट प्राइस) पर कानूनी गारंटी। किसान चाहते हैं कि उन्हें उनके उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुनिश्चितता मिले। इसके अलावा, वे स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार उचित मूल्य की भी मांग कर रहे हैं।
किसानों की अन्य प्रमुख मांगों में शामिल हैं- किसानों की कर्ज माफी और आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को उचित मुआवजा। यह आंदोलन उस समय और भी तीव्र हो गया है जब देश के कई हिस्सों से किसानों की आवाज़ें एकजुट हो रही हैं।
सुरक्षा और प्रशासन का रुख
बॉर्डर पर सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है और उन्हें किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रखा गया है। पुलिस ने किसानों को दिल्ली में प्रवेश से रोकने के लिए बैरिकेड्स लगाए हैं और विशेष सुरक्षा प्रबंध किए हैं। सुरक्षा बलों द्वारा किए गए आंसू गैस के हमले ने किसानों की ओर से गुस्से की लहर को और बढ़ा दिया है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उनकी जिम्मेदारी है कि वे कानून और व्यवस्था बनाए रखें और किसी भी असामाजिक तत्वों को प्रवेश की अनुमति न दें। लेकिन किसान नेता और उनके समर्थक इसे किसानों के अधिकारों का उल्लंघन मानते हैं।
दिल्ली में किसानों की स्थिति और आगे की योजना
हालांकि रविवार का दिन किसानों के लिए संघर्षपूर्ण रहा, लेकिन उनके मनोबल में कोई कमी नहीं आई। वे बैठकें कर रहे हैं और अपनी रणनीति को नया रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि वे अपने हक के लिए संघर्ष करेंगे, चाहे जो भी कीमत चुकानी पड़े।
वहीं, दिल्ली में किसान नेताओं ने योजना बनाई है कि वे आगामी दिनों में फिर से अपनी कोशिशें करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो आंदोलन और भी तेज हो सकता है।
किसान आंदोलन का भविष्य: क्या होगा समाधान?
अब सवाल यह है कि इस आंदोलन का भविष्य क्या होगा? सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और सरकार की ओर से दी जाने वाली प्रतिक्रिया से ही इसका उत्तर मिल सकेगा। इस आंदोलन के परिणाम केवल किसानों के लिए नहीं, बल्कि देश की राजनीति और समाज के लिए भी महत्वपूर्ण होंगे।
किसान आंदोलन की गूंज पूरे देश में है और इसके असर से न केवल पंजाब और हरियाणा, बल्कि देश के हर हिस्से में बदलाव की उम्मीदें हैं।

