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भारत को आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम की आवश्यकता: वैश्विक संघर्ष और सुरक्षा चुनौतियाँ- Indian Air Force

भारत, जो तेजी से बढ़ती वैश्विक ताकतों में से एक है, आज वैश्विक सुरक्षा संकटों और सैन्य संघर्षों के नए दौर का सामना कर रहा है। ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव और वैश्विक संघर्ष की स्थितियों को देखते हुए भारत को अपनी वायु सुरक्षा को आधुनिक बनाने की सख्त जरूरत है। Indian Air Force (IAF) के नव नियुक्त प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की आवश्यकता जताई है। उन्होंने इजरायल के अत्याधुनिक आयरन डोम की तरह एयर डिफेंस सिस्टम को अपनाने पर जोर दिया है ताकि देश की सुरक्षा को और अधिक मजबूती प्रदान की जा सके।

Indian Air Force की तैयारियाँ: एयर डिफेंस सिस्टम का महत्व

Indian Air Force प्रमुख अमर प्रीत सिंह ने कहा कि ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव से सीखते हुए भारत को भी अपनी हवाई सुरक्षा को उन्नत करने की आवश्यकता है। 92वें वायु सेना दिवस के अवसर पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय वायुसेना भविष्य में देश को सुरक्षित रखने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना पहले से ही आयरन डोम जैसे सिस्टम की खरीद कर रही है, लेकिन देश के व्यापक सामरिक हितों को सुरक्षित रखने के लिए इस दिशा में और कदम उठाने होंगे।

रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की प्राप्ति

भारत ने रूस के साथ एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता किया है, जिसके तहत अब तक तीन यूनिट भारत को मिल चुकी हैं। अगले वर्ष तक दो और यूनिट मिलने की संभावना है। लेकिन वर्तमान वैश्विक हालात और क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए यह पर्याप्त नहीं है। हमें अपने सामरिक और महत्वपूर्ण ठिकानों की पहचान कर इन्हें और सुरक्षित बनाना होगा।

वैश्विक सप्लाई चेन और सैन्य ऑपरेशन्स पर असर

Indian Air Force प्रमुख ने जोर देते हुए कहा कि दुनिया भर में चल रहे संघर्षों के कारण वैश्विक सप्लाई चेन बाधित हो रही है। इसका सीधा असर सैन्य ऑपरेशन्स पर पड़ा है और भारतीय सेना भी इससे अछूती नहीं है। सैन्य उपकरणों और तकनीकी संसाधनों की आपूर्ति में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, जिससे भारत के सुरक्षा हितों को नुकसान हो सकता है। ऐसे में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं ताकि देश को विदेशों पर निर्भर न रहना पड़े।

वायु सैनिकों की कौशल विकास और स्वदेशी उपकरणों का निर्माण

Indian Air Force न केवल सैन्य उपकरणों की खरीद पर ध्यान दे रही है, बल्कि वायु सैनिकों की कौशल वृद्धि पर भी जोर दे रही है। वायु शक्ति, गगन शक्ति, और तरंग शक्ति जैसे अभ्यासों के माध्यम से विचारों का आदान-प्रदान और सामरिक योजनाओं को उन्नत करने के लिए काम हो रहा है। इन अभ्यासों से वायुसेना अपनी युद्ध क्षमता को परख रही है और हवाई खतरों से निपटने के लिए तैयार हो रही है।

इसके साथ ही, भारतीय वायुसेना आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें देशी लड़ाकू विमान और अन्य साजो-सामान का निर्माण किया जा रहा है। तेजस, तेजस एमके 2, एएमसीए (Advanced Medium Combat Aircraft), अस्त्र, आकाश जैसी परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है।

स्वदेशी ड्रोन और एयर डिफेंस सिस्टम

वायुसेना प्रमुख ने यह भी जानकारी दी कि भारत स्वदेशी आधुनिक ड्रोन और एयर डिफेंस सिस्टम विकसित करने के प्रयास कर रहा है। इस दिशा में देशी तकनीक और संसाधनों का अधिकतम उपयोग किया जा रहा है ताकि देश की सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत किया जा सके। इसके साथ ही, भारतीय वायुसेना ने अंतरिक्ष आधारित रक्षा प्रणाली को भी उन्नत करने के लिए कदम उठाए हैं।

स्पेस आधारित सिस्टम और इसरो के साथ सहयोग

वायुसेना की भविष्य की योजनाओं में स्पेस आधारित सिस्टम (SPS-3) को भी शामिल किया गया है। अमर प्रीत सिंह ने बताया कि भारतीय वायुसेना को नए सैटेलाइट की जरूरत है, और इस संबंध में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ बातचीत चल रही है। स्पेस आधारित तकनीक भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

चीन के साथ बढ़ता तनाव और लद्दाख में तैयारी

चीन के साथ सीमा विवाद और उसकी आक्रामकता को देखते हुए भारतीय वायुसेना ने भी पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को बढ़ा दिया है। एडवांस लैंडिंग ग्राउंड और नए एयरबेस का निर्माण तेजी से किया जा रहा है ताकि चीन की किसी भी आक्रामक कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। चीन अपनी सीमा पर तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत कर रहा है, जिसका सामना करने के लिए भारत को भी अपने हवाई और जमीनी संसाधनों को मजबूत करना जरूरी है।

अंतर्राष्ट्रीय रणनीतिक सहयोग और अभ्यास

भारत अपनी सुरक्षा रणनीति को मजबूत करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर भी ध्यान दे रहा है। विभिन्न देशों के साथ किए जा रहे सामरिक अभ्यासों से भारतीय वायुसेना की ताकत और अनुभव में वृद्धि हो रही है। इसके अलावा, भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों और देशों के साथ साझेदारी कर रहा है ताकि घरेलू स्तर पर रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके।

भारत के सामने आज सुरक्षा के नए आयाम और चुनौतियाँ हैं, जिनसे निपटने के लिए वायुसेना तेजी से आधुनिक तकनीक और सामरिक योजनाओं को अपनाने पर काम कर रही है। चाहे वह एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम हो, आयरन डोम जैसा सुरक्षा कवच, या फिर स्वदेशी ड्रोन और मिसाइलें, भारतीय वायुसेना हर मोर्चे पर देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए तैयार है। वायुसेना के कौशल विकास, आत्मनिर्भरता, और स्पेस आधारित सिस्टम को अपनाने की दिशा में उठाए जा रहे कदम निश्चित रूप से आने वाले वर्षों में भारत की सुरक्षा क्षमता को एक नई ऊंचाई पर ले जाएंगे।

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