उत्तर प्रदेश

Lucknow में सिपाही की पिटाई और धमकी की सनसनी: ADG के बेटे का नाम, भाजपा नेता की दलित शोधार्थी को जान से मारने की धमकी ने मचाया हड़कंप

Lucknow में पुलिस प्रशासन की छवि पर बड़ा दाग लग गया है। एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक सिपाही की पुलिस चौकी के अंदर ही बेरहमी से पिटाई की गई और उसकी वर्दी तक फाड़ दी गई। सबसे सनसनीखेज बात यह है कि इस मारपीट कांड में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ADG का बेटा शामिल बताया जा रहा है।

पुलिस चौकी के अंदर की गुंडई: सिपाही अर्जुन चौरसिया के साथ मारपीट

केडी सिंह बाबू स्टेडियम पुलिस चौकी में 29 मई की रात को हुई इस घटना ने उत्तर प्रदेश पुलिस को कठघरे में खड़ा कर दिया है। पीड़ित सिपाही अर्जुन चौरसिया ने हजरतगंज थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर में साफ तौर पर बताया है कि जय प्रकाश सिंह, अभिषेक चौधरी और सुमित कुमार नामक युवकों ने चौकी के भीतर ही उसके साथ मारपीट की और वर्दी तक फाड़ दी।

तीनों आरोपी पुलिस संरक्षण में? निजी मुचलके पर बेल, ADG के बेटे की भूमिका पर सवाल

FIR दर्ज होने के बावजूद पुलिस ने इन तीनों आरोपियों को निजी मुचलके पर छोड़ दिया। सूत्रों के अनुसार, मारपीट करने वालों में से एक कथित रूप से ADG स्तर के अधिकारी का पुत्र है, जिस कारण पुलिस पर गंभीर आरोप लग रहे हैं कि वह पूरे मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। क्या वर्दी में रहकर न्याय मांगने वाले को भी अब पुलिस चौकी में सुरक्षा नहीं?

पुलिसिया लीपापोती या राजनीतिक दबाव?

पूरा मामला इसलिए और विवादास्पद हो गया क्योंकि जिस तरीके से आरोपियों को छोड़ा गया, वह एक सामान्य प्रक्रिया नहीं लगती। आरोपियों की पहचान के बावजूद गिरफ्तारी नहीं होना यह संकेत देता है कि या तो पुलिस पर भारी राजनीतिक दबाव है या फिर यह विभागीय भाई-भतीजावाद का एक और उदाहरण है।

ADG स्तर के अफसर का बेटा बताकर रोब झाड़ा गया?

घटनास्थल पर मौजूद कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि एक आरोपी ने खुद को ADG का बेटा बताते हुए पुलिस को धमकाया। हालांकि पुलिस की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सोशल मीडिया पर इस मसले ने जोर पकड़ लिया है।


दलित छात्र को धमकी देने का मामला: भाजपा नेता आलोक सिंह पर एफआईआर दर्ज

इस घटनाक्रम के साथ ही लखनऊ विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे एक दलित शोधार्थी दीपक कन्नौजिया के साथ भी गंभीर घटना हुई है। तुर्तीपार गांव निवासी दीपक ने आरोप लगाया है कि भाजपा नेता और खंड प्रमुख आलोक सिंह ने उन्हें फोन कर जान से मारने की धमकी दी और अपशब्दों का इस्तेमाल किया।

“प्रशासन से नहीं डरता”: भाजपा नेता की धमकी का ऑडियो वायरल

शिकायतकर्ता दीपक का कहना है कि 21 मई को आलोक सिंह ने उन्हें फोन कर कहा – “अगर चाहो तो बात रिकॉर्ड कर लो, मैं प्रशासन से नहीं डरता।” दीपक ने इसकी शिकायत उभांव थाने में की, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई है। आलोक सिंह का नाम इसलिए भी चर्चाओं में है क्योंकि वे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर के करीबी माने जाते हैं।

सवाल उठता है: दलितों और सिपाहियों को कब मिलेगा न्याय?

एक तरफ सिपाही को चौकी में मारा जाता है और आरोपी खुलेआम घूमते हैं, दूसरी तरफ दलित छात्र को जान से मारने की धमकी देने वाला राजनीतिक रसूख वाला नेता खुलेआम कानून को चुनौती देता है। क्या यह उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की असल तस्वीर है? क्या यहां कमजोर की आवाज उठाने पर उसे ही कुचल दिया जाता है?


क्या उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था रसूख के आगे बेबस है?

इन दोनों मामलों ने साफ कर दिया है कि जब रसूख वाले लोग कानून की धज्जियां उड़ाते हैं, तो पुलिस प्रशासन उनका बचाव करने में जुट जाता है। चाहे वह ADG के बेटे का मामला हो या भाजपा नेता की धमकी, पीड़ितों की आवाज दबाने की कोशिशें साफ दिखती हैं।

जनता में आक्रोश: सोशल मीडिया पर उठी कार्रवाई की मांग

घटना के बाद से सोशल मीडिया पर जनता का आक्रोश फूट पड़ा है। #JusticeForArjun और #StandWithDeepak जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि दोषियों को कड़ी सजा मिले और राजनीतिक दबाव में पुलिस काम करना बंद करे।

पुलिस की भूमिका पर उंगलियां: क्या कोई बड़ी जांच होगी?

वर्तमान में, लखनऊ पुलिस ने अभी तक ADG के बेटे के नाम पर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, न ही आलोक सिंह की गिरफ्तारी को लेकर कोई जानकारी दी गई है। मामले की निष्पक्ष जांच और न्याय के लिए अब प्रदेश सरकार पर जनता की निगाहें टिकी हैं।


अब जनता पूछ रही है: क्या वर्दी और संविधान सिर्फ आम लोगों के लिए हैं?

पुलिस चौकी में पुलिसकर्मी की पिटाई और दलित छात्र को धमकी जैसे मामले उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गहरा सवाल खड़ा करते हैं। अब जनता की उम्मीद है कि सरकार इन मामलों में हस्तक्षेप कर निष्पक्ष जांच करवाए और दोषियों को उनके रसूख के बावजूद सजा दिलवाए।


लखनऊ में सिपाही की पिटाई और भाजपा नेता द्वारा दलित छात्र को धमकी देने की घटनाएं यह स्पष्ट करती हैं कि जब तक कानून सबके लिए समान रूप से लागू नहीं होगा, तब तक ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ सिर्फ नारा बनकर रह जाएगा।
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