Muzaffarnagar News: मशरूम की वैज्ञानिक खेती विषय पर अतिथि व्याख्यान का हुआ आयोजन
मुजफ्फरनगर। (Muzaffarnagar News) श्री राम कॉलेज मुजफ्फरनगर के सभागार में मशरूम की वैज्ञानिक खेती विषय पर एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया । इस व्याख्यान का संचालन श्री राम कॉलेज की प्राचार्या डॉ प्रेरणा मित्तल एवं श्री राम कॉलेज के निदेशक डॉ अशोक कुमार के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीराम ग्रुप ऑफ कॉलिजेज के संस्थापक चेयरमैन डॉ एससी कुलश्रेष्ठ रहे।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ गोपाल सिंह वनस्पति रोग विज्ञान, संयुक्त निदेशक सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि यूनिवर्सिटी मोदीपुरम मेरठ, बताया कि गांव में मशरूम को सांप की छतरी बोलते हैं तथा मशरूम को वेजिटेबल मीट भी कहते हैं क्योंकि मीट में जितना प्रोटीन पाया जाता है वह मशरूम में भी पाया जाता है। भारत में मशरूम की २०००० प्रजातियां हैं जिसमें १८००० प्रजातियां जहरीली होती हैं
जिसमें से केवल २००० प्रजातियां दवा के रूप में इस्तेमाल होती हैं । उन्होने यह भी बताया कि मशरूम को खून से संबंधित बिमारी के लिए तथा बंतकलबमचे ेच.कैंसर के लिए भी इस्तेमाल होता है। मशरूम शाकाहारीओं का हाई प्रोटीन फूड है जिसे कई लोग खाना पसंद करते ह,ैं साथ ही मशरूम को कई प्रकार से खाते और बनाते हैं क्योंकि मशरूम हर किसी के लिए इम्यूनिटी बूस्टर फूड है इसमें हाई एंटी ऑक्सीडेंट हैं।
कई विटामिन और खनिज है साथ ही इसमें प्रोटीन इमजं-बंतवजमदम और ग्लूकोन पोषक तत्व होते हैं कि ऊर्जा बढ़ाने के लिए मशरूम या मशरूम पाउडर का उपयोग सेंडविच और ब्रेड को स्वादिष्ट बनाने के लिए भी किया जा सकता है मशरूम का उपयोग आमतौर पर पिज्जा टॉपिंग के रूप में किया जाता है पिज्जा तैयार करते समय आप मशरूम के साथ पनीर और अन्य सब्जियों को भी मिला सकते हैं मशरूम का उपयोग अंडे के साथ भी किया जा सकता है आप मशरूम और अंडे का आमलेट बना सकते हैं मशरूम को अन्य सब्जियों के साथ उबालकर भी खाया जा सकता है।
यदि हम दवा के साथ लेते हैं मशरूम को ४०ः स्वास्थ्य में जल्दी सुधार करता है तथा अचार सब्जी सलाद बिस्किट के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होने मशरूम के बारे में यह भी बताया कि अथर्ववेद में लिखा है कि देवताओं के सोमरस मशरूम से बनते थे क्योंकि इसमें एंटी एजिंग इफेक्ट होता है जिसमें लोग जल्दी बूढ़े नहीं होते थे। मिल्की मशरूम ओयस्टर मशरूम बटन मशरूम धींगरी मशरूम की प्रजाति के नाम से भी जानते हैं गोपाल जी ने बताया कि २००७ में सात हजार मैट्रिक टन उत्पादन हुआ तथा २०२३ में २१००० टन उत्पादन हुआ।
तथा मशरूम के उत्पादन के लिए फार्म के अवशेष का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जैसे कि भूसा गोबर की खाद इत्यादि। ओयस्टर मशरूम का तापमान की आवश्यकता अधिक होती है जिसमें मार्च-अप्रैल में उत्पादन ज्यादा होता है मई-जून में उत्पादन कम होता है । ओयस्टर मशरूम का उत्पादन ४० किलोग्राम होता है बटन मशरूम ६० किलोग्राम उत्पादन होता है। मिल्की मशरूम ४० किलोग्राम पादन होता है जहां खेती नहीं होती है वहां भी इसकी खेती कर सकते हैं, तथा अपेडा के माध्यम से दूसरे देशों में भी हम मशरुम को हम बेंच सकते हैं।
इस अवसर पर प्रबन्धन विभाग के डीन डॉ अशफाक, बायोसाइंसेज विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विपिन सैनी, तथा बेसिक साइंस विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ पूजा तोमर जी ने विद्यार्थियों को मशरूम की विशेषताओं के बारे में तथा मशरूम को बाजार में कैसे बेच सकते हैं इसके बारे में बताया। इस अवसर पर कार्यक्रम में प्रशिक्षण प्राप्त किए हुए ६८ छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम के समन्वयक सूरज सिंह ने बताया कि कैसे छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण दिया गया तथा कार्यक्रम में प्रशिक्षित किए गए बीएससी कृषि संकाय के द्वितीय एवं तृतीय वर्ष के छात्र-छात्राओं ने भी अपने अनुभव शेयर किए जिसमें नीतू दिनकर अंजली चांदनी राजनंदनी शंकर आदि ने अपने अनुभव को साझा किया तथा गोपाल जी से छात्र छात्राओं ने प्रश्न पूछ कर ज्ञान अर्जन किया ।
कार्यक्रम के अंत में राम कॉलेज कृषि विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ नईम राजपूत ने मुख्य अतिथि जी का धन्यवाद किया तथा श्रीराम ग्रुप आफ कालिजेज के संस्थापक डा एस सी कुलश्रेष्ठ जी का अभिवादन किया तथा बच्चों के लिए यह भी बताया कि उद्यमिता विकास के लिए भी हम मशरूम प्रशिक्षण का कैसे उपयोग कर सकते हैं तथा अपने जीवन को कैसे एक उद्यम स्थापित कर सकते हैं जिससे हम अत्यधिक मुनाफा कमा सकते हैं ।

