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Muzaffarnagar मंदिर विवाद: पुजारी आयुष बसालियाल पर समिति का कथित उत्पीड़न, जीर्णोद्धार के नाम पर शाश्वत अधिकारों पर संकट

Muzaffarnagar Temple Controversy आज के समय में धार्मिक संस्थाओं और स्थानीय समाज में चर्चा का मुख्य विषय बन गया है। मुजफ्फरनगर के रूडकी रोड स्थित प्राचीन शिव मंदिर में हाल ही में हुए विवाद ने मंदिर के पुजारी आयुष बसालियाल और मंदिर समिति के बीच तनातनी को बढ़ा दिया है। पुजारी आयुष बसालियाल ने आरोप लगाया है कि मंदिर समिति उनके खिलाफ षडयंत्र रच रही है और उन्हें मंदिर से हटाने की कोशिश की जा रही है।

पुजारी आयुष बसालियाल ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि उनके पिता दिवंगत नारायण दत्त बसालियाल पिछले 50 साल से अधिक समय तक मंदिर के पुजारी रहे। उनके इस पारंपरिक अधिकार और सेवाओं के बावजूद वर्तमान समिति उन्हें मंदिर से हटाने का प्रयास कर रही है। आयुष बसालियाल ने कहा कि वे खुद इस समय मंदिर में पूजा-अर्चना कर रहे हैं और मंदिर की दुकानों के किरायेदारों एवं पुजारी को हटाने का प्रयास समिति द्वारा किया जा रहा है।


मंदिर जीर्णोद्धार के नाम पर उठे विवाद

हाल ही में मंदिर के जीर्णोद्धार की योजना सामने आई है, जिसे लेकर विवाद ने और गंभीर रूप ले लिया। पुजारी आयुष बसालियाल का कहना है कि मंदिर समिति इस जीर्णोद्धार के बहाने उन्हें मंदिर परिसर से बाहर निकालने की योजना बना रही है। उन्होंने मांग की कि उनके और उनकी वृद्ध माता के लिए मंदिर में रहने की सुविधा बनाए रखी जाए और जीर्णोद्धार के बाद उन्हें मंदिर परिसर में स्थायी फ्लैट उपलब्ध कराया जाए।

पूर्व सभासद नीलम गौतम के पुत्र रवि गौतम ने भी इस मामले में कहा कि इस पूरे मामले की स्थानीय प्रशासन और संबंधित अधिकारियों द्वारा जांच होनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि पुजारी को मंदिर से निकालने की योजना बनाने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए।


समिति और पुजारी के बीच टकराव

मंदिर समिति के कुछ सदस्यों ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि जीर्णोद्धार केवल मंदिर के संरचनात्मक सुधार के लिए है और इसका पुजारी आयुष बसालियाल से कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं है। लेकिन संयुक्त हिन्दू मोर्चा और स्थानीय समाज के कई लोगों का मानना है कि यह विवाद केवल मंदिर की सम्पत्ति और अधिकारों को लेकर उत्पन्न हुआ है।

इस दौरान संयुक्त हिन्दू मोर्चा के अध्यक्ष मनोज सैनी, योगेन्द्र शर्मा, राजेश कश्यप और पीयूष बसालियाल भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि पुजारी और उनकी माता को मंदिर परिसर में रहने का पूरा अधिकार है और किसी भी तरह से उनके विरुद्ध षड्यंत्र नहीं होना चाहिए।


स्थानीय समाज में बढ़ती चिंता

मुजफ्फरनगर के नागरिक और स्थानीय भक्त इस विवाद को लेकर चिंतित हैं। मंदिर सिर्फ पूजा-अर्चना का केंद्र ही नहीं बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक भी है। पुजारी आयुष बसालियाल का कहना है कि मंदिर में उनकी उपस्थिति और पूजा-अर्चना जारी रहेगी, ताकि धार्मिक गतिविधियों में कोई बाधा न आए।

स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि यदि पुजारी और समिति के बीच विवाद का समाधान नहीं हुआ, तो इससे मंदिर की धार्मिक और सामाजिक प्रतिष्ठा पर असर पड़ सकता है।


मंदिर विवाद की संवेदनशीलता और प्रशासन की भूमिका

इस मामले में प्रशासन की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। सभी पक्ष चाहते हैं कि मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य के दौरान पुजारी को सुरक्षित रखा जाए और उनकी मां के रहने की उचित व्यवस्था हो। वहीं प्रशासन भी इस मामले में निष्पक्ष जांच और सटीक समाधान चाहता है ताकि विवाद बढ़कर सामाजिक तनाव का कारण न बन जाए।


मंदिर और पुजारी की सामाजिक भूमिका

मंदिर में पुजारी आयुष बसालियाल और उनके परिवार ने पिछले कई दशकों तक धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में अहम भूमिका निभाई है। उनका मानना है कि मंदिर के सभी भक्तों और स्थानीय समाज के लिए उनकी उपस्थिति जरूरी है। संयुक्त हिन्दू मोर्चा और समाज के कुछ प्रमुख नेताओं ने भी पुजारी के समर्थन में कदम उठाए हैं।


भविष्य की संभावनाएं और समाधान की राह

विशेषज्ञों का मानना है कि इस विवाद का समाधान सभी पक्षों के सहयोग और प्रशासन की निगरानी में ही संभव है। पुजारी आयुष बसालियाल ने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य केवल मंदिर और उसकी धार्मिक परंपराओं की रक्षा करना है।

मुजफ्फरनगर मंदिर विवाद में पुजारी आयुष बसालियाल का आरोप है कि उन्हें मंदिर से हटाने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने प्रशासन और स्थानीय नेताओं से मांग की है कि उन्हें और उनकी माता को मंदिर परिसर में रहने की सुविधा दी जाए। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय समाज और भक्तगण भी चिंतित हैं। मंदिर समिति और पुजारी के बीच शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण समाधान ही भविष्य में मंदिर और समाज की शांति सुनिश्चित कर सकता है।

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