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पंच परिवर्तन से राष्ट्रीय परिवर्तन: Muzaffarnagar में सनातन धर्म महाविद्यालय का अद्भुत आयोजन

मुजफ्फरनगर।(Muzaffarnagar) उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर स्थित सनातन धर्म महाविद्यालय में हाल ही में एक विशिष्ट कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय समाज में सकारात्मक और समग्र परिवर्तन लाना था। इस कार्यक्रम का शीर्षक था “पंच परिवर्तन से राष्ट्रीय परिवर्तन” जो राष्ट्रीय स्तर पर बदलाव की नींव रखने के लिए प्रेरणा प्रदान करता है। कार्यक्रम का आयोजन इंडस्ट्रियल एकेडेमिया इंटीग्रेशन एंड स्किल डेवलपमेंट सेल एवं विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान, मेरठ प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

इस कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर सुधीर कुमार पुंडीर के मार्गदर्शन में की गई। कार्यक्रम के समन्वयक और आयोजक, डॉ पीयूष शर्मा, जो महाविद्यालय में प्राध्यापक और जंतु विज्ञान विभाग से जुड़े हैं, ने पूरे आयोजन का सफल संचालन किया। इस प्रेरणादायक आयोजन में विभिन्न वक्ताओं ने अपनी अंतर्दृष्टि और अनुभवों से श्रोताओं को नई दृष्टि प्रदान की।

पांच स्तंभ: पंच परिवर्तन की अनूठी पहल

इस कार्यक्रम में विशेष रूप से पाँच महत्वपूर्ण परिवर्तनों पर ध्यान केंद्रित किया गया। इन पांच स्तंभों को भारत के भविष्य की कुंजी के रूप में प्रस्तुत किया गया, जिनमें शामिल हैं:

  1. स्वदेशी का समर्थन – भारत में निर्मित उत्पादों को अपनाने और उनकी गुणवत्ता को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया गया। वक्ताओं ने बताया कि स्वदेशी अपनाने से न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि देशवासियों के आत्मविश्वास में भी वृद्धि होगी।
  2. नागरिक कर्तव्य – वक्ताओं ने बताया कि हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वे अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने सामाजिक जिम्मेदारियों को भी समझें और उनका पालन करें। इससे न केवल एक मजबूत समाज की स्थापना होगी, बल्कि भारतीय नागरिकों का नैतिक उत्थान भी होगा।
  3. पर्यावरण संरक्षण – प्रकृति और पर्यावरण की सुरक्षा पर विशेष जोर दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि यदि हमें एक सुरक्षित और स्वच्छ भविष्य चाहिए तो पर्यावरण के प्रति जागरूकता और उससे जुड़ी जिम्मेदारियों को निभाना आवश्यक है।
  4. सामाजिक समरसता – वक्ताओं ने बताया कि समाज में एकता और भाईचारे का माहौल बनाकर ही हम एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। सामाजिक समरसता से किसी भी राष्ट्र की आधारशिला मजबूत होती है, और यही पंच परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
  5. कुटुंब प्रबोधन – परिवार की भूमिका समाज की आधारशिला के रूप में अहम होती है। इस परिवर्तन के अंतर्गत कुटुंब प्रबोधन को राष्ट्रीय विकास के साथ जोड़कर एक नई दिशा दी गई है।

मुख्य वक्ता और उनकी अंतर्दृष्टि

कार्यक्रम में डॉ. सचिन कुमार, डॉ. सुशील कुमार, डॉ. मनीष कुमार, डॉ. धर्मेंद्र यादव, डॉ. सोनिया गुप्ता, डॉ. उपदेश वर्मा, और डॉ. नीलेंद्र बदल जैसे प्रमुख वक्ताओं ने पंच परिवर्तन पर गहन चर्चा की। उन्होंने सरल भाषा में इस बात की व्याख्या की कि कैसे इन बदलावों को समाज में लागू किया जा सकता है। वक्ताओं ने उदाहरणों और ठोस तथ्यों के माध्यम से बताया कि इन पंच परिवर्तनों के माध्यम से समाज में स्थायी और सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं।

वक्ताओं ने विशेष रूप से समाज के हर वर्ग से पंच परिवर्तन के इन पहलुओं को अपनाने की अपील की। उन्होंने बताया कि इन परिवर्तनों के जरिए हम एक ऐसे समाज की स्थापना कर सकते हैं जो न केवल आत्मनिर्भर हो, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बने।

कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट व्यक्ति और उनकी भूमिका

इस कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित शिक्षाविद् और प्राध्यापकगण मौजूद रहे जिन्होंने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। उनमें प्रफेसर विजय लक्ष्मी, प्रफेसर अजयपाल सिंह, डॉ नवीन कुमार, डॉ प्रमोद कुमार मिश्र, डॉ निशा चौहान, मानविंद्र, पवन तिवारी, पवन कुमार, सुश्री शालिनी कुशवाह, डॉ सुधीर कुमार, डॉ अरुण रत्न, सुश्री आशना गुप्ता, सुश्री सोनाक्षी, डॉ खुशबू यादव, डॉ अंशुल शर्मा जैसे जाने-माने शैक्षणिक हस्तियाँ उपस्थित थे।

प्रतिभागियों ने अपने प्रश्नों के माध्यम से पंच परिवर्तन पर गहन विचार-विमर्श किया। इस चर्चा ने सभी को नए दृष्टिकोण से सोचने के लिए प्रेरित किया और उन्हें अपने दैनिक जीवन में इन परिवर्तनों को अपनाने के लिए प्रेरित किया।

कार्यक्रम का सार और आगे की दिशा

कार्यक्रम के अंत में डॉ पीयूष शर्मा ने सभी मुख्य वक्ताओं और उपस्थित दर्शकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन समाज को जागरूक और शिक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डॉ शर्मा ने इस तरह के आयोजनों की निरंतरता और नियमितता पर बल दिया ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी अपने समाज और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझ सकें।

उन्होंने बताया कि यह आयोजन न केवल शैक्षिक संस्थानों तक सीमित रहेगा बल्कि इसे समाज के विभिन्न हिस्सों में भी प्रसारित किया जाएगा। इसके माध्यम से पंच परिवर्तन के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने सुझाव दिया कि महाविद्यालय और संस्थान नियमित रूप से ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करें ताकि युवा पीढ़ी में राष्ट्र निर्माण की भावना को सुदृढ़ किया जा सके।

पंच परिवर्तन के माध्यम से भारत के भविष्य की नींव

इस आयोजन के माध्यम से सनातन धर्म महाविद्यालय ने यह संदेश दिया कि सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर परिवर्तन लाने के लिए किसी एक व्यक्ति का प्रयास नहीं, बल्कि सामूहिक पहल की आवश्यकता होती है। पंच परिवर्तन जैसे कार्यक्रम समाज को एक नई दिशा देने में सहायक होते हैं।

मुजफ्फरनगर के इस आयोजन ने भारतीय समाज के समग्र विकास और प्रगति के लिए एक प्रभावी मंच प्रदान किया। पंच परिवर्तन के माध्यम से राष्ट्रीय परिवर्तन की जो भावना व्यक्त की गई है, वह संपूर्ण समाज के लिए एक प्रेरणा बन सकती है। इसके माध्यम से हम न केवल आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार कर सकते हैं, बल्कि एक ऐसी मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं, जो वैश्विक स्तर पर भी एक मिसाल कायम करे।

 

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