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Simhachalam मंदिर हादसा: चंदनोत्सव की रात मची चीख-पुकार, दीवार गिरने से 8 की मौत, प्रशासन पर उठे सवाल

विशाखापत्तनम | Simhachalam  में चंदनोत्सव का उल्लास अचानक मातम में तब्दील हो गया, जब बुधवार तड़के श्री वराहालक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर परिसर में तेज हवाओं और बारिश के बीच हाल ही में बनाई गई दीवार अचानक गिर गई। यह हादसा उस समय हुआ जब हजारों श्रद्धालु चंदनोत्सव के खास दर्शन के लिए मंदिर परिसर में उमड़े थे। हादसे में 8 लोगों की मौत हो गई और कई गंभीर रूप से घायल हो गए।

हादसे की भयावहता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ ही पलों में पवित्र पर्व चीखों में तब्दील हो गया। मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए रातभर रेस्क्यू ऑपरेशन चलता रहा।


🧱 300 रुपये की विशेष टिकट की कतार बनी मौत का रास्ता

मंदिर प्रशासन द्वारा चंदनोत्सव के दौरान VIP दर्शन के लिए 300 रुपये की विशेष टिकट लाइन बनाई गई थी। इसी लाइन के लिए बनाए गए रास्ते की हाल ही में बनी दीवार अचानक तेज हवा और बारिश की वजह से ढह गई। घटना सुबह 2:15 बजे हुई जब भक्त कतार में खड़े थे।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, “जैसे ही हवा तेज़ हुई, दीवार से आवाज़ आई और कुछ ही सेकंड में वह भरभराकर गिर गई। किसी को भागने का मौका भी नहीं मिला। लोग चीखते रहे, मदद मांगते रहे, लेकिन दीवार के नीचे सब दब चुके थे।”


🆘 रेस्क्यू में जुटीं NDRF और SDRF की टीमें

घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन हरकत में आ गया। NDRF और SDRF की टीमें घटनास्थल पर पहुंचीं और मलबा हटाने का कार्य युद्धस्तर पर शुरू किया गया। घटनास्थल से सात शव तुरंत बरामद कर लिए गए, जबकि एक व्यक्ति की मौत अस्पताल में इलाज के दौरान हुई।

रातभर चले रेस्क्यू अभियान में करीब एक दर्जन से अधिक घायलों को निकाला गया और उन्हें विशाखापत्तनम के किंग जॉर्ज अस्पताल और अन्य निजी अस्पतालों में भर्ती कराया गया।


🧑‍⚕️ प्रशासन और सरकार अलर्ट मोड में

जिला कलेक्टर एमएन हरेनधीर प्रसाद और पुलिस कमिश्नर शंखब्रत बागची ने घटनास्थल का दौरा किया। गृह मंत्री वंगालापुडी अनिता और सांसद एम. श्रीभारत भी मौके पर पहुंचे और हालात का जायज़ा लिया।

गृह मंत्री ने स्पष्ट कहा कि, “दीवार हाल ही में बनाई गई थी, उसकी गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। जांच कराई जाएगी कि निर्माण में कोई लापरवाही हुई या नहीं।”


😔 मृतकों की पहचान और उनके परिवारों का विलाप

हादसे में जान गंवाने वाले लोगों की पहचान इस प्रकार हुई:

  1. रामाराव (52) – विशाखापत्तनम

  2. लक्ष्मी (48) – श्रीकाकुलम

  3. गोविंद राव (35) – विजयवाड़ा

  4. गीता देवी (40) – राजम

  5. रमेश बाबू (28) – तेनाली

  6. सरस्वती (60) – पश्चिम गोदावरी

  7. प्रकाश (26) – हैदराबाद

  8. अंबिका (32) – कुरनूल

परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। कई ने आरोप लगाए कि भीड़ का सही प्रबंधन नहीं था और दीवार निर्माण घटिया था।


🏥 मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की संवेदना और मदद का वादा

मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, “यह हादसा बेहद दर्दनाक है। हम पीड़ितों के साथ हैं और हर संभव मदद की जाएगी।”

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि घायल श्रद्धालुओं का इलाज सर्वोत्तम सुविधा के साथ हो और पीड़ित परिवारों को तत्काल मुआवजा दिया जाए। उन्होंने निर्माण की गुणवत्ता की जांच के लिए एक विशेष समिति गठित करने के भी आदेश दिए।


📿 श्रद्धालुओं के लिए नए इंतजाम, सुरक्षा को लेकर सख्ती

हादसे के बाद मंदिर प्रशासन ने तत्काल 300 रुपये की विशेष कतार को दूसरी दिशा में डायवर्ट कर दिया। मंदिर में भीड़ नियंत्रित करने के लिए विशेष बैरिकेडिंग, CCTV, कंट्रोल रूम और हेल्पलाइन नंबर की व्यवस्था शुरू की गई है।

आगामी दिनों में लगने वाले त्योहारों और उत्सवों के लिए भी SOP (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) तैयार करने की योजना है ताकि कोई ऐसी अनहोनी फिर न हो।


🔍 दीवार गिरने का जिम्मेदार कौन? जांच होगी गहन

दीवार हाल ही में बनाई गई थी। सूत्रों के अनुसार इसका निर्माण कार्य जल्दीबाज़ी में बिना स्थायी मंजूरी के किया गया था। अब इस बात की भी जांच होगी कि निर्माण की निगरानी किसने की, किस ठेकेदार को ठेका दिया गया और क्या सभी निर्माण नियमों का पालन किया गया था।

भ्रष्टाचार, लापरवाही और जल्दबाज़ी का नतीजा क्या श्रद्धालुओं की जान से हुआ? यह सवाल आज हर ओर गूंज रहा है।


🔮 पहले भी हो चुके हैं मंदिरों में हादसे

यह कोई पहली बार नहीं है कि किसी मंदिर में लापरवाही से हादसा हुआ हो। भारत में श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते समय-समय पर ऐसी घटनाएं होती रही हैं:

  • 2008: राजस्थान के चामुंडा मंदिर में भगदड़ से 250 की मौत

  • 2013: मध्यप्रदेश के रतनगढ़ मंदिर हादसे में 115 श्रद्धालु मारे गए

  • 2019: केरल के सबरीमाला मंदिर में भीड़ नियंत्रण को लेकर विवाद

सवाल यह है कि क्या हर हादसे के बाद सिर्फ संवेदनाएं जताकर बात खत्म हो जाएगी या फिर असल बदलाव लाया जाएगा?


⚠️ आगे की राह: सुरक्षा को लेकर जागरूकता जरूरी

यह घटना एक चेतावनी है। मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर भीड़ नियंत्रण, निर्माण की गुणवत्ता, आपदा प्रबंधन और तकनीकी निगरानी बेहद आवश्यक हैं। श्रद्धा के नाम पर जान का जोखिम नहीं उठाया जा सकता।

अब प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट दोनों की जिम्मेदारी है कि हर श्रद्धालु सुरक्षित महसूस करे और ऐसे पवित्र स्थानों पर उसकी आस्था टूटे नहीं।

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