वैक्सीन की दोनों खुराकें लेने के बाद भी कोरोना वायरस डेल्टा वैरिएंट का असर, 40 से 50 फीसदी ज्यादा संक्रामक है
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (National Center of Disease Control) ने अपने एक अध्ययन में बताया है कि वैक्सीन की दोनों खुराकें लेने के बाद भी कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट अपना असर दिखा रहा है। इसका खतरा कम नहीं हो रहा है। हालांकि इस अध्ययन रिपोर्ट की अभी समीक्षा होनी बाकी है।
एम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रिटेन में मिले अल्फा वेरियंट के मुकाबले डेल्टा वेरियंट 40 से 50 फीसदी ज्यादा संक्रामक है। भारत में डेल्टा वेरिएंट की वजह से वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमण मिले हैं।
खास बात यह है कि यह दोनों तरह के वैक्सीन (कोविशील्ड और कोवैक्सीन) लेने के बाद भी हो रहा है। आशंका है कि इसी वजह से केसेज बढ़े हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के अलावा वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) ने भी अध्ययन किया है।
अध्ययन में पाया गया कि कोवैक्सीन और कोविशील्ड टीका लगवाने वाले लोगों में अल्फा और डेल्टा दोनों वेरिएंट से संक्रमण हुआ है, लेकिन ज्यादा दुष्प्रभाव डेल्टा का ही मिला है। अध्ययन के दौरान 63 संक्रमित मरीजों की स्थितियों की जांच की गई। ये ऐसे लोग थे, जिन्हें वैक्सीन लगने के बाद तेज बुखार की वजह से अस्पताल के इमर्जेंसी वार्ड में भर्ती किया गया था।
अध्ययन में पता चला कि डेल्टा वेरियंट से ऐसे लोग ज्यादा संक्रमित हुए, जिन्हें कोविशील्ड दी गई थी। डेल्टा वेरियंट संक्रमण उन 27 मरीजों को हुआ, जिन्होंने वैक्सीन लगवाई थी, इनकी संक्रमण दर 70.3 फीसदी रही।
इनमें से 53 को कोवैक्सीन की और बाकी को कोविशील्ड की एक खुराक दी गई थी। 36 लोग ऐसे थे, जिन्हें वैक्सीन के दोनों डोज दिए जा चुके थे। इस दौरान देखा गया कि जिन्हें वैक्सीन की एक खुराक दी गई थी, उनमें डेल्टा वेरियंट संक्रमण के 76.9 फीसदी केस मिले। दोनों डोज़ लेने वालों में 60 फीसदी संक्रमित मिले।