Author: Anchal Agarwal (Advocate)

उत्तर प्रदेश

आधुनिक भारत में बुनियादी मानवाधिकारों को समझने पर श्रीराम कॉलेज ऑफ लॉ, Muzaffarnagar में आयोजित हुआ सेमिनार

Muzaffarnagar कार्यक्रम समाज में मानवाधिकारों के महत्व को समझने और उसे बढ़ावा देने के लिए बेहद जरूरी हैं। ये सेमिनार न केवल छात्रों के लिए एक पाठशाला साबित हुए बल्कि समाज के हर तबके के लिए एक प्रेरणा बनकर सामने आए। यही कारण है कि इस तरह के सेमिनारों का आयोजन नियमित रूप से किया जाना चाहिए ताकि मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता और शिक्षा का स्तर बढ़ सके।

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Featureवैश्विक

Supreme Court का ऐतिहासिक फैसला: अवैध विवाह से जन्मे बच्चों को भी मिलेगा पैतृक संपत्ति में अधिकार

Supreme Court की बेंच, जिसमें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे, ने इस मामले में अपने फैसले को स्पष्ट रूप से रखते हुए बताया कि अमान्य विवाह से जन्मे बच्चों को माता-पिता की संपत्ति में पूरा अधिकार मिलेगा। यह फैसला हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 16(3) के तहत दिया गया है, जिसके अनुसार, अवैध विवाह से जन्मे बच्चे अपने माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने के हकदार होंगे, चाहे वह संपत्ति स्वअर्जित हो या पैतृक।

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Muzaffarnagar और आसपास से प्रमुख खबरें

Muzaffarnagar News- महिला अधिवक्ता की हत्या के विरोध में प्रदर्शन

Muzaffarnagar News स्व.श्रीमति मोहिनी तोमर के परिवारजनो को आर्थिक सहायता हेतू कम से कम एक करोड रू. मुआवजा सरकार द्वारा दिया जाये तथा परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। अधिवक्ताओं की सुरक्षा एवं मान-सम्मान के हित मे मध्य प्रदेश की भांति उ.प्र. मे भी अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम पारित किया जाये।

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Feature

Domestic Violence in India: Analyzing Social Dynamics and Legal Responses

Domestic violence remains a pervasive issue in India, affecting women across various socio-economic backgrounds. Defined as abusive behavior directed at a partner within the domestic setting, domestic violence can manifest in physical, emotional, sexual, and economic forms.

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Feature

Women Empowerment: भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति, समस्याएँ और संघर्ष?

महिलाओं के सशक्तिकरण (Women Empowerment) के बारे में बहुत बात होती है, लेकिन जब कोई महिला घर से बाहर निकलकर कुछ अच्छा करने की कोशिश करती है, तो पुरुष-प्रधान समाज की मानसिकता उसे नीचे गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ती। अगर कोई महिला विरोध करती है, तो उसे अत्यधिक शोषण का सामना करना पड़ता है।

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