उत्तर प्रदेश

बालिग जोड़े को वैयक्तिक स्वतंत्रता है, केस चलाने का कोई औचित्य नहीं: Allahabad High Court

प्रेम विवाह का मुद्दा अधिकांशत: परंपरागत सोच और आधुनिकता के बीच का संघर्ष है। बहुत से व्यक्तियों के लिए, विवाह एक परंपरागत और सामाजिक प्रतीति है, जिसमें परिवार की स्थायिता और समर्थन महत्वपूर्ण होते हैं। दूसरी ओर, युवा पीढ़ी के लिए, विवाह एक व्यक्तिगत और स्वतंत्रता का प्रतीक है, जो उन्हें अपने जीवन के साथी का चयन करने की स्वतंत्रता देता है।

जब तक प्रेम विवाह समाज में स्वीकार्य नहीं होता, हमारे समाज में एक परंपरागत और आधुनिक सोच के बीच द्वंद्व होता है। यह सोच हमें विभाजित करती है, और युवा पीढ़ी को एक उत्तेजना प्रदान करती है कि वे अपनी इच्छाओं और सपनों का पालन करें, परंतु समाज और परिवार के आशीर्वाद के बिना यह संभव नहीं होता।

Allahabad High Court ने प्रेम विवाह करने वाले लड़के के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराने वालों पर तल्ख टिप्पणी करते हुए खिंचाई की है. हाईकोर्ट ने कहा है कि देश की आजादी के 75 साल बाद भी समाज में ऐसी शादियों की स्वीकार्यता नहीं बन सकी है. समाज में इसकी जड़ें गहरी बनी हुई है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कई बार कहा है कि बालिग जोड़े को वैयक्तिक स्वतंत्रता है, यानि वह अपनी मर्जी से अपना जीवनसाथी चुन सकते हैं और जीवन जी सकते हैं.

हाईकोर्ट ने कहा है कि दोनों पति-पत्नी की तरह राजी खुशी से साथ रह रहे हैं. उनके बच्चा भी पैदा हुआ है. अब शादी को स्वीकार कर लेने में कोई अवरोध नहीं है. लड़की के परिवार ने नाबालिग लड़की के अपहरण का केस दर्ज कराया है. पुलिस चार्जशीट पर अदालत ने सम्मन भी जारी किया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि केस चलाने का कोई औचित्य नहीं है.

कोर्ट ने नदी गांव थाने में दर्ज एफआईआर के तहत जालौन उरई की अपर सत्र अदालत/विशेष अदालत पाक्सो में विचाराधीन आपराधिक केस को रद्द कर दिया है. यह आदेश जस्टिस प्रशांत कुमार की सिंगल बेंच ने सागर सबिता व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है. याची का कहना था कि उसने विपक्षी से प्रेम विवाह किया, इससे विपक्षी के पिता खुश नहीं थे. तो अपहरण करने के आरोप में एफआईआर दर्ज करा दी. दोनों खुशहाल जीवन जी रहे हैं. ऐसे में आपराधिक केस चलाने का औचित्य नहीं है. जिस पर कोर्ट ने याचिका मंजूर कर ली और आपराधिक केस रद्द कर दिया.

आज के युग में, जब समाज धीरे-धीरे परंपरागत सोच से अलग होता जा रहा है, प्रेम विवाह एक बहुत ही व्यापक और महत्वपूर्ण समाजिक विषय बन चुका है। यह विषय न केवल एक व्यक्ति के व्यक्तित्व की स्वतंत्रता को प्रकट करता है, बल्कि समाज में परंपरागत धाराओं के खिलाफ भी उत्तेजना प्रदान करता है। नवजात भारत में, जहां तकनीकी उन्नति और शिक्षा के स्तर में वृद्धि हो रही है, ऐसे मुद्दे और भी अधिक महत्वपूर्ण हो रहे हैं।

विवाह एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कृति और समाजिक संरचना है, और इसकी विशेषता भारतीय समाज में उत्कृष्टता और परंपराओं की महत्वाकांक्षा में छिपी है। परंतु, हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि एक व्यक्ति का व्यक्तित्व, उनकी भावनाओं और उनकी स्वतंत्रता की आवश्यकता है, जो उन्हें एक स्वस्थ और संतुलित जीवन की दिशा में आगे बढ़ने में मदद कर सकती है।

इसलिए, हमें समाज में प्रेम विवाह की स्वीकृति को बढ़ावा देना चाहिए, परंतु इसके साथ ही, हमें विभिन्न परंपराओं, धाराओं और संस्कृतियों का भी सम्मान करना चाहिए। यह सामाजिक एकता और समरसता को बढ़ावा देगा, और हमें एक बेहतर और समृद्ध समाज की दिशा में ले जाएगा।

अंत में, हमें यह भी याद रखना चाहिए कि प्रेम विवाह एक व्यक्तिगत और संबंधों की बात है, और यह निर्णय किसी भी प्रकार के दबाव या मजबूरी के तहत लिया जाना चाहिए। हमें अपने बच्चों के साथ समर्पित और समर्थनात्मक होना चाहिए, ताकि वे स्वतंत्रता और सामर्थ्य के साथ अपने जीवन के साथी का चयन कर सकें, और खुद के सपनों को पूरा कर सकें।

प्रेम विवाह न केवल एक व्यक्ति के अधिकारों का प्रतीक है, बल्कि यह समाज की प्रगति और विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, हमें इसे स्वीकारने के लिए तैयार होना चाहिए, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समाज हमारे युवाओं को समर्थन और साहस प्रदान करता है, ताकि वे अपने सपनों को पूरा कर सकें और अपने जीवन को खुशी और संतोष से भर सकें।

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