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केंद्र सरकार ने Broadcasting Bill के लिए मांगा सुझाव

भारत में प्रसारण सेवाओं का नियमन और प्रबंधन एक अत्यंत महत्वपूर्ण और जटिल विषय है। यह न केवल सूचना और मनोरंजन की आपूर्ति को नियंत्रित करता है, बल्कि देश के सांस्कृतिक और सामाजिक ढांचे को भी प्रभावित करता है। हाल ही में, भारत सरकार ने प्रसारण सेवा विनियमन विधेयक का नया मसौदा प्रस्तुत किया है, जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र में सुधार लाना और इसे अधिक प्रभावी बनाना है। इस विधेयक पर जनता और विशेषज्ञों से सुझाव मांगने की प्रक्रिया चल रही है, और सरकार ने 15 अक्टूबर तक सभी सुझाव प्राप्त करने की समय सीमा निर्धारित की है। इस लेख में हम इस विधेयक, इसके महत्त्व, और इस क्षेत्र में अन्य देशों द्वारा उठाए गए कदमों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

प्रसारण सेवा विनियमन विधेयक का इतिहास और विकास

भारत में प्रसारण सेवाओं का इतिहास बहुत पुराना है। 20वीं सदी की शुरुआत में रेडियो प्रसारण के रूप में इसकी नींव पड़ी, जो धीरे-धीरे टेलीविजन, केबल टीवी, सैटेलाइट टीवी, और अब डिजिटल मीडिया तक विस्तारित हो गया है। वर्तमान समय में, इंटरनेट और ओटीटी (ओवर-द-टॉप) सेवाओं के माध्यम से भी प्रसारण की नई विधाएं सामने आई हैं। इस क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों और नई तकनीकों के आगमन ने सरकार को प्रसारण सेवाओं के नियमन के लिए नए कानून बनाने की आवश्यकता महसूस कराई है।

सरकार द्वारा 2023 में प्रस्तुत किया गया प्रसारण सेवा विनियमन विधेयक, इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस विधेयक का उद्देश्य प्रसारण सेवाओं के लिए एक समग्र और सुव्यवस्थित फ्रेमवर्क तैयार करना है, जो सभी प्रकार की प्रसारण सेवाओं को कवर करता है, चाहे वह रेडियो, टेलीविजन, या डिजिटल प्लेटफॉर्म हो। विधेयक का मसौदा इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि कैसे प्रसारण सामग्री का नियमन किया जाए, ताकि इसे देश के सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप बनाया जा सके।

Broadcasting Bill/ विधेयक के प्रमुख प्रावधान

प्रसारण सेवा विनियमन विधेयक के प्रमुख प्रावधानों में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:

  1. लाइसेंसिंग और विनियमन: सभी प्रसारण सेवाओं को लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक होगा। इसके तहत केबल टीवी, सैटेलाइट टीवी, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स, और इंटरनेट आधारित प्रसारण सेवाओं का नियमन किया जाएगा।
  2. सामग्री का नियमन: प्रसारण सामग्री की गुणवत्ता और उसकी उपयुक्तता का ध्यान रखा जाएगा। इसमें अश्लीलता, हिंसा, और समाज में नफरत फैलाने वाली सामग्री के प्रसारण पर रोक लगाने के प्रावधान होंगे।
  3. डिजिटल मीडिया का समावेशन: डिजिटल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को भी इस विधेयक के दायरे में लाया जाएगा। इसके तहत डिजिटल मीडिया कंपनियों को भी सरकार द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।
  4. सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों की सुरक्षा: प्रसारण सामग्री को देश के सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप बनाने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।

ऐसे कदमों का महत्त्व

इस Broadcasting Bill का उद्देश्य प्रसारण सेवाओं के क्षेत्र में एक संतुलन स्थापित करना है, जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समाज की सुरक्षा के बीच सामंजस्य हो। इसके अलावा, यह विधेयक भारत में प्रसारण सेवाओं के क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

दुनिया भर के विभिन्न देशों ने अपने प्रसारण सेवाओं के लिए ऐसे ही नियम और कानून लागू किए हैं। जैसे कि अमेरिका में एफसीसी (Federal Communications Commission) का गठन किया गया है, जो देश की प्रसारण सेवाओं का नियमन करता है। इसी तरह, यूके में ऑफकॉम (Ofcom) इस क्षेत्र का प्रमुख नियामक निकाय है। इन निकायों का मुख्य उद्देश्य प्रसारण सामग्री की गुणवत्ता और समाज पर उसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, उसे नियंत्रित करना है। भारत में भी इस प्रकार के नियामक प्राधिकरण की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी, जिसे यह विधेयक पूरा कर सकता है।

सरकारी नीतियां और अन्य पहल

भारत सरकार द्वारा प्रसारण सेवाओं के क्षेत्र में समय-समय पर कई नीतियां और पहल की गई हैं। पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने डिजिटल मीडिया को भी नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। 2021 में, आईटी नियम, 2021 (IT Rules, 2021) को लागू किया गया, जिसका उद्देश्य सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित होने वाली सामग्री का नियमन करना था।

इन नीतियों के माध्यम से सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह प्रसारण सेवाओं के क्षेत्र में न केवल पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना चाहती है, बल्कि समाज के हितों की भी रक्षा करना चाहती है। प्रसारण सेवा विनियमन विधेयक इसी दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।

सुझाव और प्रतिक्रियाएं

सरकार ने इस विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की है, जिसमें विशेषज्ञों, प्रसारण सेवाओं से जुड़े हितधारकों, और आम जनता से सुझाव मांगे जा रहे हैं। इस प्रक्रिया के तहत 15 अक्टूबर तक सभी सुझाव प्राप्त करने की समय सीमा निर्धारित की गई है।

अनेक विशेषज्ञों का मानना है कि इस विधेयक में कुछ और सुधार किए जाने चाहिए, जैसे कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए विशेष दिशा-निर्देशों का समावेशन, डिजिटल मीडिया के लिए और अधिक पारदर्शिता के प्रावधान, और प्रसारण सेवाओं के लिए स्व-नियमन (self-regulation) की अनुमति।

प्रसारण सेवा विनियमन विधेयक भारत में प्रसारण सेवाओं के क्षेत्र में सुधार और इसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह विधेयक न केवल प्रसारण सेवाओं के नियमन के लिए एक समग्र फ्रेमवर्क प्रदान करता है, बल्कि समाज के हितों की रक्षा भी करता है। सरकार द्वारा इस विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की गई है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि इसका अंतिम स्वरूप समाज के सभी वर्गों के लिए उपयुक्त और लाभकारी हो। प्रसारण सेवाओं के क्षेत्र में इस प्रकार के सुधार आवश्यक हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत में सूचना और मनोरंजन का प्रसारण सही दिशा में हो और यह समाज के विकास में सहायक हो।

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