फिल्मी चक्कर

IFFK के नाम पर विवाद: पूर्व विधायक व चर्चित फिल्म निर्देशक Kunju Muhammed पर छेड़खानी का आरोप, होटल से गिरफ्तारी, अग्रिम जमानत पर रिहाई

Kunju Muhammed case ने केरल की राजनीति और सिनेमा—दोनों गलियारों में हलचल मचा दी है। केरल के कैंटोनमेंट पुलिस ने मंगलवार को पूर्व विधायक और चर्चित फिल्म निर्देशक Kunju Muhammed को अंतरराष्ट्रीय केरल फिल्म महोत्सव (IFFK) से जुड़ी फिल्म चयन प्रक्रिया के दौरान होटल में कथित छेड़खानी के मामले में गिरफ्तार किया।
हालांकि, पहले से मिली अग्रिम जमानत के चलते उन्हें औपचारिक गिरफ्तारी के तुरंत बाद रिहा कर दिया गया। Kunju Muhammed case सामने आने के बाद केरल के सांस्कृतिक और राजनीतिक हलकों में तीखी बहस शुरू हो गई है।


होटल में बुलाने का आरोप, महिला की शिकायत से खुला मामला

पुलिस के अनुसार, पीड़ित महिला ने शिकायत दर्ज कराई कि IFFK से जुड़े कार्य के दौरान कुंजू मुहम्मद ने उसे होटल के कमरे में बुलाया और वहां कथित रूप से गलत व्यवहार किया। महिला की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया गया और प्राथमिक जांच के बाद पुलिस ने गिरफ्तारी की कार्रवाई की।
Kunju Muhammed case में यह पहलू इसलिए भी संवेदनशील माना जा रहा है क्योंकि यह मामला एक अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव जैसे प्रतिष्ठित आयोजन से जुड़ा है, जहां पेशेवर और नैतिक आचरण की अपेक्षा सबसे अधिक होती है।


अग्रिम जमानत पहले से मंजूर, गिरफ्तारी के बाद तुरंत रिहाई

Kunju Muhammed case में कानूनी मोड़ 20 दिसंबर को आया, जब कोच्चि की एक अदालत ने कुंजू मुहम्मद को अग्रिम जमानत प्रदान की थी। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि यदि उनकी गिरफ्तारी होती है तो उन्हें तुरंत जमानत पर रिहा किया जाए।
मंगलवार को पुलिस ने जांच के दौरान औपचारिक गिरफ्तारी दर्ज की, लेकिन अदालत के आदेश के चलते उन्हें हिरासत में नहीं रखा गया। इस घटनाक्रम ने मामले को और अधिक चर्चा में ला दिया है।


अभियोजन का विरोध, अदालत ने लगाईं शर्तें

अभियोजन पक्ष ने अदालत में Kunju Muhammed case की गंभीरता को रेखांकित करते हुए अग्रिम जमानत का विरोध किया। अभियोजन का तर्क था कि आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और जांच को प्रभावित किए जाने की आशंका है।
हालांकि, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रेखा आर ने सभी तथ्यों और दलीलों पर विचार करने के बाद अग्रिम जमानत मंजूर कर ली। जमानत आदेश में यह शर्त भी जोड़ी गई कि जांच में पूरा सहयोग करना होगा और कानून द्वारा निर्धारित सीमाओं का पालन करना अनिवार्य रहेगा।


बीएनएस की धाराओं में मामला दर्ज, जांच जारी

पुलिस ने Kunju Muhammed case में बीएनएस की धारा 74 और 75(1) के तहत मामला दर्ज किया है। अधिकारियों के अनुसार, जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और सभी पहलुओं की बारीकी से पड़ताल की जा रही है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि शिकायतकर्ता के बयान, परिस्थितिजन्य साक्ष्य और अन्य तकनीकी पहलुओं की जांच के बाद ही आगे की विधिक कार्रवाई तय होगी।


IFFK की साख पर भी असर, फिल्म जगत में असहजता

Kunju Muhammed case ने International Film Festival of Kerala (IFFK) की चयन प्रक्रिया को लेकर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
हालांकि महोत्सव प्रशासन की ओर से इस मामले पर कोई औपचारिक टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन फिल्म जगत में यह चर्चा तेज है कि ऐसे आरोप अंतरराष्ट्रीय स्तर के सांस्कृतिक आयोजनों की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
कई फिल्मकार और कलाकार यह भी कह रहे हैं कि आरोपों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके और किसी भी पक्ष के साथ अन्याय न हो।


कुंजू मुहम्मद का पक्ष: आरोप बेबुनियाद

कुंजू मुहम्मद ने Kunju Muhammed case में अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है कि यह मामला तथ्यहीन और बदनाम करने की साजिश है।
उन्होंने दावा किया कि वे जांच में पूरा सहयोग करेंगे और उन्हें न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है। उनके समर्थकों का कहना है कि अंतिम निष्कर्ष जांच के बाद ही निकाला जाना चाहिए।


कुंजू मुहम्मद कौन हैं? सिनेमा और राजनीति का लंबा सफर

कुंजू मुहम्मद मलयालम सिनेमा के एक जाने-माने निर्देशक और निर्माता रहे हैं। उनकी पहली फिल्म ‘मगरीब’ (1993) थी, जिसने उन्हें अलग पहचान दिलाई। इसके बाद ‘गर्शोम’ (1998) और ‘परदेशी’ (2007) जैसी फिल्मों को आलोचकों की सराहना मिली।
वे Kairali TV के संस्थापक निदेशक भी रहे हैं।
राजनीति में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही—वे दो बार (1994 और 1996) वामपंथी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में केरल विधानसभा के सदस्य चुने गए। Kunju Muhammed case के चलते अब उनके लंबे सार्वजनिक जीवन पर भी सवाल उठ रहे हैं।


केरल में सामाजिक बहस, ‘मीटू’ के बाद फिर उठे सवाल

Kunju Muhammed case ने केरल में एक बार फिर कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा, शक्ति संतुलन और जवाबदेही जैसे मुद्दों को चर्चा के केंद्र में ला दिया है।
सोशल और सांस्कृतिक हलकों में यह बहस तेज है कि प्रतिष्ठित पदों पर बैठे लोगों पर लगे आरोपों की जांच निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए, ताकि न तो पीड़िता के अधिकारों का हनन हो और न ही किसी को बिना प्रमाण दोषी ठहराया जाए।

Kunju Muhammed case ने केरल के सांस्कृतिक, राजनीतिक और फिल्मी परिदृश्य को एक साथ झकझोर दिया है। अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव जैसे मंच से जुड़ा यह मामला अब न्यायिक प्रक्रिया के अधीन है, जहां निष्पक्ष जांच और कानून के अनुसार निर्णय ही सच्चाई को सामने ला सकेगा। इस घटनाक्रम पर पूरे राज्य की निगाहें टिकी हैं।

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