फिल्मी चक्कर

🔥 ‘Chhaava Movie रिव्यू: शेर दिल संभाजी महाराज की गाथा या चूक गई एक बड़ी कहानी? 🔥

Chhaava Movie ‘सरदार उधम’ और ‘सैम बहादुर’ जैसी बायोपिक्स के बाद विक्की कौशल की तीसरी ऐतिहासिक फिल्म ‘छावा’ का इंतजार दर्शकों को बेसब्री से था। यह फिल्म मराठा योद्धा संभाजी महाराज की कहानी कहती है, जिनकी वीरता और बलिदान इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या फिल्म इस ऐतिहासिक गाथा के साथ पूरा न्याय कर पाई?

लक्ष्मण उतेकर द्वारा निर्देशित इस फिल्म में जबरदस्त परफॉर्मेंस, शानदार एक्शन और बेहतरीन सिनेमेटोग्राफी तो है, लेकिन स्क्रीनप्ले और गहराई में कई कमियां भी हैं।


🔥 कहानी का सार: शिवाजी के बाद संभाजी की अग्निपरीक्षा!

फिल्म की शुरुआत एक दिल दहला देने वाली घटना से होती है— छत्रपति शिवाजी महाराज का निधन। उनके निधन से मुगलों के क्रूर शासक औरंगजेब (अक्षय खन्ना) को लगता है कि अब दक्षिण भारत पर कब्जा करना आसान हो जाएगा। लेकिन उसकी यह खुशी ज्यादा देर टिकती नहीं, क्योंकि संभाजी महाराज (विक्की कौशल) अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का प्रण लेते हैं और मुगलों से लोहा लेने को तैयार हो जाते हैं।

संभाजी न सिर्फ मुगलों से टकराते हैं, बल्कि उनका सबसे अहम शहर बुरहानपुर तहस-नहस कर देते हैं। यह देखकर औरंगजेब बौखला जाता है और यह कसम खाता है कि जब तक वह संभाजी को खत्म नहीं कर देता, वह ताज नहीं पहनेगा।

इसके बाद नौ साल तक लगातार युद्ध चलता है। लेकिन अंततः छल और धोखे से संभाजी महाराज को बंदी बना लिया जाता है और उन पर अमानवीय अत्याचार किए जाते हैं। फिल्म का सबसे हृदयविदारक दृश्य वही है जब संभाजी महाराज को प्रताड़ित किया जाता है, लेकिन वह कभी हार नहीं मानते।

संभाजी महाराज की मृत्यु तो हो जाती है, लेकिन अंत में औरंगजेब खुद को हारा हुआ महसूस करता है। फिल्म का सबसे दमदार संवाद यहीं आता है—

“काश, संभाजी जैसा मेरा भी एक बेटा होता!”

यह संवाद सीधे दिल में उतर जाता है और इस ऐतिहासिक शख्सियत की महानता को रेखांकित करता है।


🔥 फिल्म की मजबूत कड़ियां: क्या है खास?

💥 विक्की कौशल की दमदार एक्टिंग

विक्की कौशल ने एक बार फिर साबित किया कि वह बायोपिक फिल्मों के बेताज बादशाह हैं। उनकी बॉडी लैंग्वेज, डायलॉग डिलीवरी और फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन लाजवाब हैं। संभाजी महाराज की जंजीरों में बंधी हुई पीड़ा, युद्ध के दौरान उनका जोश और यातनाओं के बावजूद उनकी दृढ़ता— हर फ्रेम में विक्की कौशल ने अपने अभिनय से जान डाल दी है।

💥 अक्षय खन्ना का क्रूर औरंगजेब

अक्षय खन्ना ने औरंगजेब के किरदार को पूरी शिद्दत से निभाया है। उनके एक्सप्रेशन्स, संवाद और आंखों की भाषा इतनी प्रभावशाली है कि वह फिल्म का सबसे दमदार किरदार बन जाते हैं। उनके डायलॉग्स सीमित हैं, लेकिन उन्होंने अपने हावभाव से ही औरंगजेब की क्रूरता को बखूबी उभारा है।

💥 बैकग्राउंड स्कोर और एक्शन सीक्वेंस

फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर बेहद प्रभावशाली है, खासकर सेकेंड हाफ में। एक्शन सीक्वेंस भी दमदार हैं और फिल्म के अंत में दिखाया गया युद्ध दृश्य फिल्म को एक अलग स्तर पर पहुंचा देता है।

💥 सिनेमेटोग्राफी और विजुअल ट्रीट

फिल्म की सिनेमेटोग्राफी जबरदस्त है। कैमरा वर्क इतना शानदार है कि हर सीन एक पेंटिंग की तरह लगता है। किले, युद्ध के मैदान और जंगलों की भव्यता को बखूबी दिखाया गया है।


🔥 फिल्म की कमजोर कड़ियां: कहां रह गई कमी?

❌ कमजोर स्क्रीनप्ले और आधा-अधूरा किरदार विकास

फिल्म का सबसे बड़ा नेगेटिव पॉइंट इसका स्क्रीनप्ले है। यह कहानी बेहद दमदार है, लेकिन इसे जिस तरह से पेश किया गया है, वह थोड़ा अधूरा लगता है।

  • संभाजी महाराज के बचपन पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है।
  • साइड कैरेक्टर्स को गहराई से नहीं गढ़ा गया है। खासतौर पर विनीत कुमार सिंह और आशुतोष राणा के किरदारों के साथ न्याय नहीं हुआ है।
  • रश्मिका मंदाना की परफॉर्मेंस बेहद औसत रही। उनकी संवाद अदायगी कमजोर लगी।

❌ पहले हाफ की सुस्त रफ्तार

फिल्म का पहला हाफ बहुत स्लो है। यहां कहानी को ज्यादा गहराई दी जा सकती थी।

❌ ज्यादा खून-खराबा

फिल्म में कुछ एक्शन सीन्स इतने ज्यादा हिंसक हैं कि कमजोर दिल वाले दर्शकों के लिए यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है।


🔥 क्या देखनी चाहिए ‘छावा’?

  • अगर आपको ऐतिहासिक फिल्में पसंद हैं, तो यह फिल्म आपको जरूर देखनी चाहिए।
  • विक्की कौशल और अक्षय खन्ना के जबरदस्त परफॉर्मेंस इस फिल्म को खास बनाते हैं।
  • अगर आपको एक मजबूत और गहराई से गढ़ी गई कहानी चाहिए, तो हो सकता है कि यह फिल्म आपको थोड़ी अधूरी लगे।

🔥 अंतिम फैसला: देखे या न देखे?

‘छावा’ एक शानदार विषय पर बनी फिल्म है, लेकिन यह उतनी प्रभावशाली नहीं बन पाई, जितनी उम्मीद थी।

पॉजिटिव: दमदार परफॉर्मेंस, ग्रैंड विजुअल्स, शानदार एक्शन
नेगेटिव: कमजोर स्क्रीनप्ले, सुस्त पहला हाफ, ज्यादा हिंसा

अगर आपको संभाजी महाराज की वीरता से जुड़ाव महसूस होता है, तो यह फिल्म जरूर देखिए। लेकिन अगर आप सिर्फ मनोरंजन के लिए देखने जा रहे हैं, तो थोड़ी उम्मीदें कम रखें।

👉 रेटिंग: ⭐⭐⭐✰✰ (2.5/5)

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