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Imran Khan की बहनों के साथ पुलिस की कथित मारपीट: अडियाला जेल के बाहर अलीमा, नोरीन और उज्मा को घसीटकर हिरासत में लेने का संगीन आरोप

पाकिस्तान की राजनीति एक बार फिर तनाव और टकराव के दौर में घिरती दिखी, जब Imran Khan  की बहनें—अलीमा खान, नोरीन नियाज़ी और डॉ. उज्मा खान—अडियाला जेल के बाहर कथित रूप से पुलिस कार्रवाई का शिकार बनीं। यह घटनाक्रम अचानक तब सामने आया जब वे अपने भाई, पूर्व प्रधानमंत्री और वर्तमान में जेल में बंद इमरान खान से होने वाली साप्ताहिक मुलाकात के लिए पहुँची थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुलाकात की अनुमति न मिलने के बाद हालात बिगड़ गए और पुलिस ने उन्हें जबरन उठाने की कोशिश की, जिसके चलते अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

इस घटना ने पाकिस्तान के राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचे पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या राज्य तंत्र विपक्षी नेताओं के परिवारों से कठोर और असामान्य व्यवहार अपना रहा है? क्या यह केवल कानून-व्यवस्था की कार्रवाई थी या वाकई किसी बड़े राजनीतिक उद्देश्य का हिस्सा? इन सवालों ने पाकिस्तान की राजनीतिक फिज़ा को एक बार फिर गरमा दिया है।


PTI का आरोप—जेल के बाहर शांतिपूर्वक बैठीं बहनों को सड़क पर घसीटा गया

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने दावा किया कि “Imran Khan sisters mistreatment” एक संगठित कार्रवाई थी।
पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि बहनें बिना किसी नारेबाज़ी या विरोध के शांतिपूर्वक फुटपाथ पर बैठी थीं, लेकिन अचानक भारी संख्या में पुलिसकर्मी आए और उन्हें जबरन उठाकर घसीटते हुए ले जाने की कोशिश की। PTI ने X (पूर्व ट्विटर) पर कई पोस्ट शेयर कर कहा कि यह “बदसलूकी और अनावश्यक बल प्रयोग” था।

अलीमा खान और उज्मा खान वीडियो में नोरीन को सहारा देते दिखती हैं। नोरीन काफी घबराई और शारीरिक रूप से तनावग्रस्त दिखाई देती हैं। अलीमा कहती हैं कि “हमें सड़क पर घसीटा गया। हम शांतिपूर्वक बैठे थे, लेकिन पुलिस ने हमें धक्का देना शुरू कर दिया।”
एक अन्य वीडियो में नोरीन बताती हैं, “मेरे बाल पकड़कर मुझे जमीन पर गिरा दिया गया। हमें समझ ही नहीं आया कि ऐसा अचानक क्यों किया गया।”

इन वीडियो ने सोशल मीडिया पर बड़ी बहस छेड़ दी है—क्या पुलिस द्वारा इस तरह का बल प्रयोग राजनीतिक उद्देश्यों के तहत किया गया? क्या पाकिस्तान में विपक्ष से जुड़े प्रभावशाली लोगों के परिवार भी सुरक्षा और सम्मान की गारंटी से वंचित हो चुके हैं?


खैबर प्रांत की मंत्री मीना खान अफरीदी और सांसद शाहिद खट्टक के साथ मारपीट का भी दावा

घटना केवल इमरान खान की बहनों तक सीमित नहीं रही। PTI ने गंभीर आरोप लगाया कि खैबर पख्तूनख्वा की मंत्री मीना खान अफरीदी, सांसद शाहिद खट्टक, और कई महिला कार्यकर्ताओं के साथ भी मारपीट की गई।
पार्टी ने यह भी कहा कि अडियाला जेल के आसपास का इलाका कई घंटों तक पुलिस चौकसी के तहत रहा, और आंदोलनकारी या पार्टी कार्यकर्ताओं को नज़दीक जाने नहीं दिया गया।

PTI ने जोर देकर कहा कि—

  • परिवार से मुलाकात का अधिकार अदालत द्वारा मान्य है

  • मुलाकातों को रोकना और हिंसक तरीका अपनाना “राजनीतिक प्रतिशोध” हो सकता है

  • पुलिस की कार्रवाई “अनुपातहीन और असंवैधानिक” थी

इस पूरे मामले ने पाकिस्तान की राजनीतिक स्थितियों में उस तनाव को फिर उजागर कर दिया है, जो इमरान खान की गिरफ्तारी से लेकर लगातार बढ़ता चला जा रहा है।


इमरान खान 100 से अधिक मामलों में घिरे, अगस्त 2023 से जेल में बंद

इमरान खान फिलहाल अगस्त 2023 से जेल में बंद हैं, और उन पर 100 से अधिक केस दर्ज हैं।
उनके खिलाफ कई बड़े आरोप शामिल हैं—

  • तोशाखाना केस में सरकारी उपहार बेचने का आरोप

  • सरकारी दस्तावेज़ लीक करने का मामला

  • अल-कादिर ट्रस्ट जमीन सौदे में कथित गड़बड़ी

  • भ्रष्टाचार और लाभ पहुँचाने के गंभीर मामले

तोशाखाना केस में उन्हें 14 साल की सजा सुनाई जा चुकी है, जबकि अल-कादिर ट्रस्ट केस में दिसंबर 2023 में NAB ने उन्हें, उनकी पत्नी बुशरा बीबी और 6 अन्य पर मुकदमा दर्ज किया था।
हालांकि यह मुकदमा दर्ज होने से पहले भी वे पहले से ही अडियाला जेल में बंद थे।

यह पूरा प्रकरण पाकिस्तान की राजनीति में एक लंबे और लगातार उभरते संकट का हिस्सा बन चुका है, जहाँ सत्ता संघर्ष, संस्थाओं के बीच टकराव और विपक्ष के प्रति कठोर रुख लगातार सुर्खियाँ बना रहा है।


Imran Khan Sisters Mistreatment मामला—क्या यह बड़े राजनीतिक तनाव का नया अध्याय?

पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक इस घटना को केवल “जेल के बाहर की धक्का-मुक्की” नहीं मान रहे। उनका कहना है कि यह उन बढ़ते तनावों का हिस्सा है जो—

  • न्यायपालिका

  • सेना

  • सरकार

  • विपक्ष

—के बीच लंबे वक्त से मौजूद हैं।

इमरान खान पहले भी कई मौकों पर दावा कर चुके हैं कि उनकी पार्टी और परिवार को निशाना बनाया जा रहा है। दूसरी ओर, सरकार का पक्ष है कि कानून अपना काम कर रहा है और कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है।

लेकिन सवाल यह उठता है—
यदि अदालत ने मुलाकात का अधिकार दिया है, तो फिर अडियाला जेल के बाहर इतनी कड़ी कार्रवाई क्यों?
क्या यह “सुरक्षा कारण” था या कुछ और?


महिला पुलिसकर्मियों पर आरोप—‘बाल पकड़कर जमीन पर गिराया’

नोरीन नियाज़ी का बयान इस घटना का सबसे चौंकाने वाला हिस्सा है। उनके अनुसार, महिला पुलिसकर्मियों ने—

  • बाल खींचे

  • जमीन पर गिराया

  • शारीरिक रूप से नुकसान पहुँचाने की कोशिश की

नोरीन का कहना है कि वे केवल मिलने आई थीं और पूरी घटना ने उन्हें मानसिक रूप से काफी विचलित कर दिया।

वीडियो में उन्हें रोते और सहमी हुई हालत में देखा जा सकता है, जबकि अलीमा और उज्मा लगातार उन्हें संभालने की कोशिश करती दिखती हैं।

यह दृश्य जनता के मन में कई सवाल पैदा करता है—
क्या एक पूर्व प्रधानमंत्री की बहनों के साथ भी पाकिस्तान में ऐसा व्यवहार किया जा सकता है?
यदि हाँ—तो फिर आम नागरिकों की स्थिति कैसी होगी?


अंतरराष्ट्रीय मीडिया और मानवाधिकार संगठनों की प्रतिक्रियाएँ भी संभव

इस तरह की घटनाएँ अक्सर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचती हैं।
पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में तो यह बवाल बन ही चुका है, लेकिन कूटनीतिक हलकों में भी Pakistan police action को लेकर चर्चा की उम्मीद बढ़ गई है।
यह मामला—

  • मानवाधिकार

  • राजनीतिक स्वतंत्रता

  • विपक्षी नेताओं के अधिकार

  • जेल प्रशासन की पारदर्शिता

—जैसे मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय सवाल खड़ा कर सकता है।


What Next? PTI ने की न्यायिक जांच की मांग, सरकार चुप

PTI ने इस पूरे “Imran Khan sisters mistreatment” मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।
पार्टी चाहती है कि—

  1. पूरी घटना की वीडियो आधारित जाँच हो

  2. पुलिस अधिकारियों की पहचान की जाए

  3. जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो

  4. इमरान खान की साप्ताहिक मुलाकात बिना रुकावट जारी रखी जाए

सरकार की ओर से फिलहाल कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि “स्थिति संवेदनशील थी, इसलिए कार्रवाई की गई।”
हालाँकि, जनता और मीडिया दोनों इस दावे की सत्यता पर सवाल उठा रहे हैं।


अडियाला जेल के बाहर हुई यह घटना पाकिस्तान की राजनीति में एक और उथल-पुथल को जन्म दे रही है। इमरान खान की बहनों के साथ हुई कथित कार्रवाई ने न सिर्फ सत्ता और विपक्ष के बीच तनाव को फिर से हवा दी है, बल्कि यह भी दिखा दिया है कि देश का मौजूदा राजनीतिक माहौल कितना अस्थिर और संवेदनशील हो चुका है। आने वाले दिनों में यह मामला किस दिशा में जाता है, यह पाकिस्तान की राजनीति और जनता की भावनाओं—दोनों को प्रभावित करेगा।

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