Kerala Cashew Scam: 24 करोड़ की ठगी, मनी लॉन्ड्रिंग और अनीश बाबू की पूछताछ ने खोले चौंकाने वाले राज़
Kerala की शांत राजनीतिक और कारोबारी धरातल पर एक बार फिर से भूचाल आया है। इस बार केंद्र में है करोड़ों के काजू आयात घोटाले से जुड़ा “केरल काजू घोटाला”, जिसमें मुख्य आरोपी अनीश बाबू और उनके परिवार पर ₹24 करोड़ की ठगी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे संगीन आरोप हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की गहरी जांच ने इस घोटाले की परतें खोल दी हैं, जिसमें वित्तीय धोखाधड़ी, विदेशी मुद्रा का दुरुपयोग और जांच एजेंसियों को गुमराह करने की कोशिशें शामिल हैं।
ED की सख्त कार्यवाही: पूछताछ में सामने आए हैरान करने वाले खुलासे
प्रवर्तन निदेशालय ने 30 मई 2025 को अनीश बाबू को समन भेजकर दिल्ली ऑफिस में पेश होने को कहा था। यह आदेश केरल हाईकोर्ट के निर्देशों पर जारी हुआ था, लेकिन वे तय तारीख को पेश नहीं हुए। दोबारा समन भेजा गया और 6 जून को वे ईडी कार्यालय पहुंचे। इस बार उनके बयान CCTV निगरानी और ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग के तहत लिए गए।
बयान में अनीश बाबू ने स्वीकारा कि उन्होंने ‘विल्सन’ नाम के एक व्यक्ति से 100 से ज्यादा बार वॉट्सऐप कॉल्स पर बातचीत की, लेकिन कोई भी ठोस सबूत देने में विफल रहे।
ईडी का बड़ा दावा: आरोपी खुद घोटाले में संलिप्त, जांच को भटकाने की कोशिश
ईडी के सूत्रों का कहना है कि अनीश बाबू और उनके माता-पिता – अनीता बाबू और बाबू जॉर्ज – खुद केरल पुलिस के कई चीटिंग केसों में आरोपी हैं। आरोप है कि इन्होंने अफ्रीका से काजू आयात के नाम पर फॉरेन एक्सचेंज में हेराफेरी की, जिसकी राशि लगभग ₹24 करोड़ बताई जा रही है।
इतना ही नहीं, अनीश बाबू ने बोहरा कमोडिटीज नामक फर्म के एक बैंक खाते में ₹50,000 ट्रांसफर किए, जिसे बाद में उन्हें लौटा भी दिया गया। लेकिन ईडी को शक है कि यह लेन-देन महज़ एक नकली ट्रांजेक्शन था।
केरल विजिलेंस पर भी सवाल: क्या ईडी की छवि खराब करने की हो रही साजिश?
जांच एजेंसी को इस बात के संकेत भी मिले हैं कि केरल विजिलेंस की टीम अनीश बाबू को गाइड कर रही है, ताकि वे ईडी की पूछताछ से कैसे बचें और मीडिया में एजेंसी की छवि खराब की जा सके, इस दिशा में रणनीति बनाई जाए। ईडी ने साफ कर दिया है कि जिन लोगों को केरल विजिलेंस ने गिरफ्तार किया है, वे ईडी से जुड़े अफसर नहीं हैं।
जांच में सहयोग न करने पर भी सवाल
अब तक की जांच में ईडी ने पाया कि अनीश बाबू बार-बार अदालतों का दरवाजा खटखटाते रहे लेकिन उनके सारे प्रयास हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए गए। हर बार जब उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया, वे मीडिया में बयान देकर जांच को भटकाने और जनता की सहानुभूति बटोरने की कोशिश करते रहे।
परिवार पर भी गंभीर आरोप: सामूहिक साजिश की आशंका
ईडी के अनुसार, ये मामला सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक सुनियोजित परिवारिक साजिश का हिस्सा है। अनीश बाबू के साथ उनकी मां और पिता भी इस योजना में शामिल रहे, जिसमें विदेशों से काजू के आयात के नाम पर मोटी रकम विदेशी खातों में भेजी गई और फिर उसी को भारत में मनी लॉन्ड्रिंग कर वापस लाया गया।
ईडी की कार्रवाई से हड़कंप, अब आगे क्या?
सूत्रों के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय अब इस केस में फॉरेन ट्रांजेक्शन की ट्रेसिंग, संबंधित कंपनियों के बैंक स्टेटमेंट्स, और मोबाइल डेटा की गहन फॉरेंसिक जांच करने की तैयारी में है। साथ ही, जल्द ही कुछ और बड़े नामों के सामने आने की संभावना भी जताई जा रही है।
मीडिया की भूमिका पर उठे सवाल: क्या बन रहे हैं बचाव का हथियार?
ईडी के सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया कि अनीश बाबू जानबूझकर मीडिया का उपयोग कर रहे हैं ताकि वे खुद को पीड़ित के रूप में पेश कर सकें। मीडिया के ज़रिए एजेंसी की निष्पक्षता पर सवाल उठाए जा रहे हैं, जिससे आम जनता में भ्रम फैलाया जा सके। लेकिन ईडी ने यह भी साफ कर दिया है कि सबूतों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी और कानून से बचना आसान नहीं होगा।
कौन है अनीश बाबू और क्यों है वो जांच एजेंसियों के निशाने पर?
अनीश बाबू एक कारोबारी हैं, जो पहले केरल में कई विदेशी व्यापारों से जुड़े रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उनपर विदेशी कनेक्शन के नाम पर पैसा ठगने और उसे भारत में हवाला या मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से लाने के आरोप लगे हैं। उनकी कंपनियों के खाते, लेन-देन और कॉल रिकॉर्ड अब ईडी के रडार पर हैं।
ईडी की कड़ी चेतावनी: जांच से भागना अब नामुमकिन
एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि जांच में सहयोग न करने की कोशिशों से मामला और पेचीदा होता जा रहा है। अनीश बाबू पर आने वाले समय में गिरफ्तारी की तलवार लटक सकती है, यदि वे जांच में सहयोग नहीं करते।

