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📢 चुप्पी तोड़ो, खुलकर बोलो! – जैन कन्या डिग्री कॉलेज Muzaffarnagar में विधिक जागरूकता शिविर, छात्राओं को मिला अधिकारों का ज्ञान

मुजफ्फरनगर।(Muzaffarnagar) समाज में महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से जैन कन्या डिग्री कॉलेज, मुजफ्फरनगर में राष्ट्रीय लोक अदालत के प्रचार-प्रसार हेतु विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम जनपद न्यायाधीश डॉ. अजय कुमार के निर्देशन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा संचालित किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि अपर जनपद न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रितिश सचदेवा मौजूद रहे, जिन्हें विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती सीमा जैन द्वारा पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर की गई। इस दौरान उपस्थित छात्राओं को महिला सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता एवं सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी दी गई। सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न हेल्पलाइन नंबरों जैसे महिला हेल्पलाइन 1090, सखी वन स्टॉप सेंटर 181, पुलिस प्रशासन 112 और वरिष्ठ नागरिक हेल्पलाइन 15100 के बारे में विस्तार से बताया गया, ताकि जरूरत पड़ने पर इनका उपयोग कर महिलाएँ अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।


💡 क्या है राष्ट्रीय लोक अदालत और कैसे मिलता है मुफ्त कानूनी लाभ?

मुख्य अतिथि रितिश सचदेवा ने छात्राओं को राष्ट्रीय लोक अदालत की कार्यप्रणाली के बारे में समझाया। उन्होंने बताया कि जिन लोगों की विवादित मामले न्यायालय में प्रचलित हैं और जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं, वे फ्री में वकील की सेवा प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे लोग, जिनकी वार्षिक आय तीन लाख से कम है, उन्हें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा निःशुल्क अधिवक्ता प्रदान किया जाता है

इसके अलावा, राष्ट्रीय लोक अदालत में मामले आसानी से और कम खर्च में निपटाए जाते हैं, जिससे न्याय की प्रक्रिया सरल और सुगम बनती है। यह भी बताया गया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में लिए गए फैसलों की अपील किसी अन्य न्यायालय में नहीं की जा सकती, जिससे लोगों को शीघ्र न्याय मिलता है और वे लंबी अदालती कार्यवाही से बच सकते हैं।


👩‍🎓 छात्राओं को मिला आत्मरक्षा और कानूनी अधिकारों की जानकारी

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को अपने कानूनी अधिकारों और आत्मरक्षा के साधनों के प्रति जागरूक करना था। इस दौरान छात्राओं को बताया गया कि यदि वे कोई अपराध होते हुए देखें या खुद किसी परेशानी में हों, तो तुरंत सरकारी हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करें।

मुख्य अतिथि ने कहा कि समाज में अपराधों को रोकने के लिए सबसे जरूरी है जागरूकता। उन्होंने छात्राओं को यह संदेश दिया कि वे अपने अधिकारों को जानें और दूसरों को भी जागरूक करें। उन्होंने सभी छात्राओं से “चुप्पी तोड़ो, खुलकर बोलो” का नारा दिया, ताकि कोई भी महिला या लड़की डर के साए में न जिए और अपने अधिकारों के लिए खुलकर आवाज उठा सके।


🚨 हेल्पलाइन नंबर जो हर लड़की और महिला को पता होने चाहिए

कार्यक्रम में महिलाओं के लिए विशेष हेल्पलाइन नंबरों पर भी जोर दिया गया, जिनका उपयोग किसी भी आपात स्थिति में किया जा सकता है:

  • महिला हेल्पलाइन:1090 (महिलाओं के लिए 24×7 सहायता)
  • सखी वन स्टॉप सेंटर:181 (घरेलू हिंसा या किसी भी तरह की हिंसा की स्थिति में सहायता)
  • पुलिस सहायता:112 (किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए)
  • सीनियर सिटीजन हेल्पलाइन:15100 (वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा और सहायता के लिए)

इन हेल्पलाइन नंबरों के बारे में बताया गया कि महिलाओं को किसी भी प्रकार के शोषण, उत्पीड़न, या हिंसा का सामना करना पड़े तो वे तुरंत सहायता मांग सकती हैं


🏫 विद्यालय प्राचार्य ने दी जागरूकता अभियान को और आगे बढ़ाने की प्रेरणा

कार्यक्रम के समापन पर विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती सीमा जैन ने मुख्य अतिथियों को सम्मानित किया और इस तरह के जागरूकता कार्यक्रमों को समय-समय पर आयोजित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और जागरूकता ही समाज की सच्ची प्रगति है

विद्यालय के शिक्षकगण, पैरालीगल वॉलंटियर धनीराम और गौरव मालिक भी इस अवसर पर उपस्थित रहे, जिन्होंने छात्राओं को कानूनी सहायता के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं।


🔥 क्यों जरूरी है इस तरह के जागरूकता कार्यक्रम?

1️⃣ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना: इस तरह के कार्यक्रम उन्हें सशक्त बनाते हैं और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने का आत्मविश्वास देते हैं।
2️⃣ कानूनी सहायता की जानकारी: कई महिलाएँ अपने कानूनी अधिकारों और सरकारी सहायता योजनाओं के बारे में नहीं जानतीं। इस तरह के शिविर उन्हें इन सेवाओं से जोड़ते हैं।
3️⃣ आत्मरक्षा के उपाय: हेल्पलाइन नंबर और अन्य सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाने से महिलाएँ किसी भी आपात स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया कर सकती हैं।
4️⃣ समाज में बदलाव: जब महिलाएँ जागरूक होंगी, तो समाज में होने वाले अपराधों की संख्या में कमी आएगी और एक सुरक्षित वातावरण बनेगा।


📢 निष्कर्ष नहीं, बल्कि एक नया संकल्प!

यह विधिक साक्षरता शिविर सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक अभियान था, जो हर लड़की और महिला को अपनी सुरक्षा और अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए प्रेरित करता है। यह संदेश सिर्फ जैन कन्या डिग्री कॉलेज तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि हर गली, हर मोहल्ले, और हर गाँव तक पहुँचना चाहिए।

“चुप्पी तोड़ो, खुलकर बोलो!” – यह नारा केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि हर लड़की और महिला की ताकत बनना चाहिए। जागरूक रहें, सतर्क रहें, और अपने अधिकारों के लिए हमेशा खड़े रहें!

 

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