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Muzaffarnagar और आसपास से प्रमुख खबरें

शाहपुर Muzaffarnagar में श्रद्धा और भक्ति का संगम: श्री एकांकश्वर जुड्‌डी वाले मंदिर में नामदेव महाराज की मूर्ति स्थापना, डॉ. संजीव बालियान बने मुख्य अतिथि

Muzaffarnagar कार्यक्रम के अंत में मंदिर समिति ने सभी अतिथियों, भक्तों और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। समिति के सदस्यों ने कहा कि मंदिर परिसर में आने वाले समय में ध्यान कक्ष, सामूहिक भंडारा स्थल, और सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण किया जाएगा ताकि श्रद्धालु शांतिपूर्वक पूजा-अर्चना कर सकें।

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Muzaffarnagar और आसपास से प्रमुख खबरें

गोवर्धन पूजा के अवसर पर अखण्डानंद आश्रम Muzaffarnagar में श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम

Muzaffarnagar आयोजन न केवल गोवर्धन पूजा का पर्व था, बल्कि यह एक संजीवनी शक्ति के रूप में हमारी सांस्कृतिक पहचान और आस्था को पुनः जीवित करने का अवसर था। आश्रम के वातावरण में घुली भक्ति और श्रद्धा ने इसे एक अविस्मरणीय आयोजन बना दिया।

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Muzaffarnagar और आसपास से प्रमुख खबरें

विजयदशमी पर धूं-धूं कर जल गया अहंकारी रावण, रामलीला के मंचन से Muzaffarnagar शहर में छाया उत्सव

Muzaffarnagar दुकानदारों ने बताया कि रामलीला के दौरान उनकी बिक्री दोगुनी हो जाती है, और यह छोटे व्यापारियों के लिए लाभकारी साबित होता है। रामायण के पात्रों से प्रेरित खिलौने और मुखौटे बच्चों के बीच बेहद लोकप्रिय थे। इसके अलावा, महिलाओं ने धार्मिक कैलेंडर और गृहसज्जा से जुड़ी छोटी वस्तुएं भी खरीदीं, जो इस मेले का हिस्सा बनीं।

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Muzaffarnagar और आसपास से प्रमुख खबरें

Muzaffarnagar तालड़ा गांव में मोक्षदा एकादशी पर कान्हा जी की शोभायात्रा, विधायक मिथलेश पाल और मनीष चौधरी ने किया उद्घाटन!

Muzaffarnagar शोभायात्रा के आयोजन में उपस्थित अन्य गणमान्य लोगों में राजीव शेरावत, मनिंदर शेरावत और सैकड़ों महिलाएं और क्षेत्रीय लोग शामिल थे। इन सभी ने मिलकर इस धार्मिक आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हर कोई इस आयोजन को लेकर बहुत उत्साहित था और इसमें अपनी भागीदारी निभाने को लेकर गौरवान्वित महसूस कर रहा था।

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Feature

Kartik Purnima Mela: गढ़ मुख्तेश्वर का ऐतिहासिक धार्मिक मेला और तालुकदारों की भूमिका?

कार्तिक पूर्णिमा मेला (Kartik Purnima Mela) गढ़ मुख्तेश्वर की एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर है। यह मेला न केवल धार्मिक आयोजनों का केंद्र है, बल्कि यह क्षेत्रीय राजनीति, संघर्षों और सामूहिक जिम्मेदारियों का गवाह भी रहा है। आज भी, यह मेला लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है और इस क्षेत्र की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को जीवित रखता है।

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