Hamirpur में बाढ़, सांसद लापता! सोशल मीडिया पर वायरल हुआ पोस्ट, खोजने वाले को मिलेगा ₹150 का इनाम?
Hamirpur , महोबा और तिंदवारी लोकसभा क्षेत्र के लोग इन दिनों बाढ़ की दोहरी मार झेल रहे हैं — एक तरफ प्राकृतिक आपदा का संकट और दूसरी तरफ जनप्रतिनिधि की चुप्पी। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद अजेंद्र सिंह राजपूत इस संकट की घड़ी में अपने क्षेत्र से लापता हैं। बाढ़ पीड़ितों को राहत देने की जगह सांसद के न दिखने पर जनता का गुस्सा फूट पड़ा है, और यही गुस्सा अब सोशल मीडिया पर बवाल बनकर वायरल हो रहा है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ “लापता सांसद” का पोस्ट, मिला इनाम का ऐलान
बाढ़ से त्रस्त जनता ने फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर एक मीम पोस्ट वायरल कर दिया है, जिसमें लिखा है कि “हमारे सांसद अजेंद्र सिंह लापता हैं, जो भी उन्हें खोजकर लाएगा, उसे ₹150 का नकद इनाम दिया जाएगा।”
इस पोस्ट में तस्वीर के साथ तंज भरे शब्दों में लिखा गया है, “बाढ़ आई, मंत्री आए, विधायक आए, नगर पालिका अध्यक्ष आए, लेकिन हमारे माननीय सांसद जी कहां हैं?” यह पोस्ट हमीरपुर के हर गली-मोहल्ले, चौपालों और मोबाइल स्क्रीन पर चर्चा का विषय बन चुका है।
बाढ़ से तबाही, मंत्री-नेता कर रहे दौरे – लेकिन सांसद का कोई अता-पता नहीं!
हमीरपुर और उसके आसपास के क्षेत्र पिछले तीन दिनों से बाढ़ की मार झेल रहे हैं। जलभराव, आवागमन बाधित, बिजली कटौती और राशन की कमी जैसी समस्याएं आम हो चुकी हैं। इन विषम परिस्थितियों में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, राज्य मंत्री रामकेश निषाद, सदर विधायक डॉ. मनोज प्रजापति, और नगर पालिका अध्यक्ष कुलदीप निषाद लगातार बाढ़ ग्रस्त इलाकों का निरीक्षण कर रहे हैं। वे बाढ़ पीड़ितों से मिलकर मदद का आश्वासन भी दे रहे हैं।
लेकिन सांसद अजेंद्र सिंह राजपूत न तो बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दिखाई दिए, न ही उनकी ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने आया है। इस चुप्पी और दूरी ने आम जनता को बुरी तरह नाराज़ कर दिया है।
पक्ष-विपक्ष दोनों भड़के, सोशल मीडिया बना भड़ास का मंच
इस वायरल पोस्ट के नीचे पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ के कार्यकर्ता खुलकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कोई कह रहा है कि “जनता ने वोट देकर जिन्हें चुना, वो मुसीबत में गायब हैं”, तो कोई पूछ रहा है “क्या सिर्फ चुनाव के समय ही नेता दिखाई देंगे?”
वहीं सपा के कुछ कार्यकर्ताओं ने इस तरह की पोस्ट को विपक्षी साजिश बताया है, लेकिन जनता का गुस्सा किसी साजिश से ज्यादा वास्तविकता झलकाता है।
राजनीति में गंभीरता की कमी या जनता की अनदेखी?
एक सांसद का क्षेत्र से आपदा के समय नदारद रहना सिर्फ राजनीतिक असंवेदनशीलता नहीं, बल्कि अपने दायित्वों की अनदेखी है। जब बाकी नेता खुद जमीन पर उतरकर राहत कार्यों का जायजा ले रहे हैं, तो सांसद की अनुपस्थिति लोगों को निर्दयी राजनीति की मिसाल नजर आ रही है।
क्या सांसद किसी खास रणनीति के तहत चुप हैं? या वे वाकई में स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ पा रहे? सवाल कई हैं, लेकिन जवाब कहीं नहीं।
जनता का तंज – ‘150 रुपये ही सही, नेता की कीमत तो लगी!’
इस ₹150 का इनाम एक मजाक नहीं, बल्कि जनता की नाराज़गी और हताशा का प्रतीक है। यह एक सीधा संदेश है कि आम लोग अब नेताओं को उनकी ज़िम्मेदारियों के लिए कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। सोशल मीडिया ने आम जनता को ऐसा मंच दिया है, जहां वो नेताओं की अनुपस्थिति पर खुलकर सवाल उठा सकते हैं।
क्या आएगा सांसद का जवाब? या फिर ये चुप्पी और भारी पड़ेगी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐसी स्थिति में सांसद को तुरंत सामने आकर जनता को आश्वस्त करना चाहिए, अन्यथा आने वाले समय में जनता का यह गुस्सा चुनाव में सियासी नुकसान में बदल सकता है।
हमीरपुर, महोबा और तिंदवारी जैसे इलाकों में जनता की उम्मीदें अब सोशल मीडिया पोस्ट से बंध चुकी हैं, और जब तक सांसद सामने नहीं आते, यह पोस्ट उन्हें खोजता ही रहेगा।

