चंद्रयान-2: चांद से 35 किलोमीटर दूर लैंडर विक्रम
चंद्रमा की सतह पर ऐतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग के और करीब पहुंचते हुए चंद्रयान दो अंतरिक्ष यान को निचली कक्षा में उतारने का दूसरा चरण बुधवार को तड़के सफलतापूर्वक पूरा हो गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बयान में कहा कि इस प्रक्रिया के साथ ही यान उस कक्षा में पहुंच गया, जो लैंडर विक्रम को चंद्रमा की सतह की ओर नीचे ले जाने के लिए आवश्यक है।इसरो ने बताया कि चंद्रयान को निचली कक्षा में ले जाने का कार्य बुधवार तड़के करीब पौने चार बजे किया गया।
#ISRO
The second de-orbiting maneuver for #Chandrayaan spacecraft was performed successfully today (September 04, 2019) beginning at 0342 hrs IST.For details please see https://t.co/GiKDS6CmxE
— ISRO (@isro) September 3, 2019
इस प्रक्रिया में नौ सेकंड का समय लगा। इसके लिए प्रणोदन प्रणाली का प्रयोग किया गया।इससे पहले यान को चंद्रमा की निचली कक्षा में उतारने का पहला चरण मंगलवार को पूरा किया गया था। यह प्रक्रिया चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर विक्रम के अलग होने के एक दिन बाद संपन्न की गई।सोमवार को लैंडर विक्रम ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हुआ था। अगर सब कुछ ठीक रहा तो विक्रम और उसके भीतर मौजूद रोवर ‘प्रज्ञान’ के शनिवार देर रात 1 बजकर 30 मिनट से 2 बजकर 30 मिनट के बीच चांद की सतह पर उतरने की उम्मीद है।
चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर उसी दिन सुबह 3 बजकर 30 मिनट से 6 बजकर 30 मिनट के बीच निकलेगा और चांद की सतह पर रहकर परीक्षण करेगा। इसरो के मुताबिक, प्रज्ञान एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर चांद की सतह का परीक्षण करेगा। लैंडर का मिशन एक चंद्र दिवस होगा, जबकि ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि चांद पर लैंडर के उतरने का क्षण ‘खौफनाक’ होगा क्योंकि एजेंसी ने पहले ऐसा कभी नहीं किया है जबकि चंद्रयान-1 मिशन में यान को निचली कक्षा में ले जाने का काम पहले भी सफलतापूर्वक किया गया था।
चांद पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले केवल चीन, अमेरिका और रूस ही ऐसा कर सके हैं। भारत ने 22 जुलाई को 3,840 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 को जीएसएलवी मैक-3 रॉकेट से प्रक्षेपित किया था। इस योजना पर कुल 978 करोड़ रुपये की लागत आई है।