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कैथोलिक चर्च पर खूनी हमला: Congo में ISIS समर्थित ADF आतंकियों की नृशंसता से दहशत, 38 की मौत

Congo पूर्वी डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) एक बार फिर आतंक की आग में झुलस गया है। रविवार की सुबह-सुबह जब कोमांडा शहर का एक शांत कैथोलिक चर्च भक्तों की प्रार्थनाओं से गूंज रहा था, उसी समय इस्लामिक स्टेट (ISIS) से जुड़े खतरनाक आतंकवादी समूह एलाइड डेमोक्रेटिक फोर्सेस (ADF) ने हमला बोल दिया। इस खौफनाक हमले में 38 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं।

कोमांडा में हुए इस हमले के बाद न सिर्फ कांगो बल्कि पूरी दुनिया में दहशत फैल गई है। चर्च परिसर और उसके आसपास के इलाकों को जलाकर राख कर दिया गया, दर्जनों दुकानों को लूटा गया और कई घरों को आग के हवाले कर दिया गया।


🔫कायराना हमला: प्रार्थना सभा में जुटे लोगों को गोलियों से भूना, चाकुओं से काटा

प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक, हमलावरों ने पहले से योजना बनाकर इस वारदात को अंजाम दिया। वे पूरी तैयारी के साथ आए थे — बंदूकें, चाकू और आगजनी के उपकरणों से लैस। जैसे ही चर्च में प्रार्थना सभा शुरू हुई, चारों दिशाओं से हमलावरों ने घेराबंदी की और लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं।

मानवाधिकार कार्यकर्ता क्रिस्टोफ मुन्यांडेरू ने बताया, “आतंकियों ने विशेष रूप से उन ईसाइयों को निशाना बनाया जो चर्च में रात भर रुके हुए थे। यह हमला किसी धर्म पर नहीं बल्कि मानवता पर हमला है।”


💣कांगो के मचोंगानी गांव में भी कहर: 5 और लोगों की निर्मम हत्या, कई अगवा

इस खूनी हमले से कुछ समय पहले, पास के मचोंगानी गांव में भी ADF ने आतंक मचाया था। वहां 5 लोगों की हत्या कर दी गई, और दर्जनों को अगवा कर जंगलों में ले जाया गया। अभी तक उनका कुछ पता नहीं चल पाया है, जिससे परिजनों में गहरी चिंता और भय का माहौल है।


🔥आग में झुलसीं ज़िंदगियाँ: घर-घर उजड़े, दुकानों की राख उड़ती रही हवा में

हमलावरों ने ना सिर्फ इंसानों की जान ली बल्कि उनकी पूरी जिंदगी की मेहनत को राख में तब्दील कर दिया। कम से कम 30 से ज़्यादा घर और दुकानें पूरी तरह जला दी गईं। स्थानीय निवासी डियूडोने दुरंतबो के अनुसार, “हमने कई जले हुए शव देखे और दर्जनों घरों को जलते हुए अपनी आंखों से देखा। पीड़ितों के शव अभी भी घटनास्थल पर पड़े हैं, जिन्हें स्वयंसेवक दफनाने की तैयारी कर रहे हैं।”


⚔️विद्रोही संगठनों से बेहाल कांगो: ADF और M23 के निशाने पर मासूम जनता

कांगो के पूर्वी हिस्से में ADF और M23 जैसे आतंकवादी और विद्रोही संगठन लंबे समय से सक्रिय हैं। ADF की क्रूरता अब तक हजारों लोगों की जान ले चुकी है। ये संगठन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “इस्लामिक स्टेट-संबद्ध आतंकी समूह” माने जाते हैं और खासतौर पर ईसाई अल्पसंख्यकों पर हमले करते हैं।

M23 विद्रोही गुट, जिसे रवांडा का समर्थन बताया जाता है, कांगो की सेना के साथ लगातार संघर्ष में है। इसके चलते हजारों नागरिक विस्थापित हो चुके हैं, स्कूल और अस्पताल बंद हो चुके हैं और लोग रोज़मर्रा की ज़रूरतों से भी वंचित हो रहे हैं।


🧨ADF का इतिहास: युगांडा से शुरू होकर कांगो तक पहुंचा खूनी सफर

ADF की स्थापना 1990 के दशक के अंत में युगांडा में हुई थी। उस समय इसका मकसद युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी की सरकार के खिलाफ लड़ाई था। लेकिन समय के साथ इस समूह ने खुद को एक आतंकी संगठन के रूप में ढाल लिया, जिसका इरादा सिर्फ सत्ता विरोध नहीं बल्कि धार्मिक आधार पर हिंसा फैलाना बन गया।

युगांडा की सेना द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई के बाद ADF ने युगांडा छोड़कर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC) में शरण ली, जहां अब यह संगठन आतंक का दूसरा नाम बन चुका है। संयुक्त राष्ट्र ने ADF के हालिया हमलों को “मानवता के खिलाफ अपराध” और “नरसंहार” की संज्ञा दी है।


🚨सरकार और सेना की चिंता बढ़ी: सख्त कदमों की मांग

हमले के तुरंत बाद सेना ने इलाके में गश्त बढ़ा दी है, लेकिन स्थानीय नागरिकों का भरोसा लगातार टूटता जा रहा है। लोग पूछ रहे हैं — जब उन्हें सबसे ज़्यादा सुरक्षा की ज़रूरत थी, तब सुरक्षा बल कहां थे?

कांगो सरकार ने हमले की निंदा की है और दोषियों को पकड़ने की बात कही है। लेकिन ADF और अन्य विद्रोही संगठनों पर लगाम लगाने में अब तक सरकार असफल रही है। लगातार हो रहे नरसंहारों से यह स्पष्ट होता जा रहा है कि आतंकियों का नेटवर्क गहराई तक फैला हुआ है और यह सिर्फ कांगो ही नहीं, पूरे क्षेत्रीय स्थायित्व के लिए खतरा बन चुका है।


🙏अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील: इस बर्बरता के खिलाफ एकजुटता ज़रूरी

मानवाधिकार संगठनों और चर्च प्रतिनिधियों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ADF जैसे संगठनों को आतंकवादी घोषित कर वैश्विक प्रतिबंध लगाने की मांग की है। यह वक्त केवल संवेदना प्रकट करने का नहीं, बल्कि कार्रवाई करने का है। कांगो के मासूम नागरिकों को न्याय चाहिए, और वह तभी मिलेगा जब आतंक के इस जाल को पूरी तरह समाप्त किया जाएगा।


📢कांगो के चर्च पर हुए इस नरसंहार ने फिर से याद दिला दिया है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। यह मानवता का सबसे घिनौना रूप है, और इसे जड़ से उखाड़ फेंकना जरूरी है।


अंतिम जानकारी के अनुसार, कोमांडा और आसपास के गांवों में अभी भी सुरक्षा बलों की भारी तैनाती है। लोग अपने प्रियजनों को खोकर सदमे में हैं। सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को जल्द से जल्द ठोस कार्रवाई करनी होगी, ताकि फिर किसी चर्च की घंटी मातम में न बदले।

 

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