रूस-यूक्रेन युद्ध में रूस के केमिकल-रेडिएशन प्रमुख Igor Kirillov की मौत, यूक्रेन का बड़ा दावा
रूस-यूक्रेन युद्ध में एक और घातक मोड़ आया जब मंगलवार को यूक्रेन ने दावा किया कि उसने रूस के केमिकल-रेडिएशन और बॉयोलॉजिकल ट्रूप्स के प्रमुख Igor Kirillov को मार गिराया है। इस हमले ने युद्ध के समीकरण को एक नया आयाम दिया है। यूक्रेन की खुफिया एजेंसी के अनुसार, किरिलोव को उस समय निशाना बनाया गया जब वह एक बिल्डिंग में प्रवेश कर रहे थे। हमला स्कूटर में रखे गए 300 किलो विस्फोटक के जरिये किया गया, जिससे किरिलोव को उड़ा दिया गया।
Igor Kirillov वही शख्स थे, जिन्होंने कुछ समय पहले यह दावा किया था कि यूक्रेन मच्छरों से जैविक हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है, जो विश्वभर में खौफ का कारण बन सकता था। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस दावे से बुरी तरह डर गए थे और वे किसी भी कीमत पर यूक्रेन से इस खतरनाक हथियार को छीनने की योजना बना रहे थे। तो क्या था वह खतरनाक हथियार जिसे किरिलोव यूक्रेन से छीनने की कोशिश कर रहे थे? यह सवाल अब पूरी दुनिया में गूंज रहा है।
किरिलोव का पहले का दावा: बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2022 में किरिलोव ने दावा किया था कि अमेरिका यूक्रेन में जैविक हथियार बनाने के लिए लैब स्थापित कर रहा है। इन लैब्स में काम करने वाली कुछ टीमों को रूस की सेनाओं ने अपने कब्जे में भी ले लिया था। इसके बाद किरिलोव ने यह भी कहा कि यूक्रेन एक ‘डर्टी बम’ (गंदा बम) बनाने की योजना बना रहा है। उन्होंने बताया कि इस काम के लिए दो अलग-अलग टीमों को जिम्मेदारी दी गई थी।
#Russia लेफ्टिनेंट जनरल इगोर किरिलोव की मौत मास्को में एक इमारत के प्रवेश द्वार के पास रखे गए दूर से विस्फोटित बम से हुई है
किरिलोव रूस के परमाणु, जैविक, रासायनिक रक्षा बलों (एनबीसी) के प्रमुख थे
यूक्रेन ने उस पर 24 घंटे पहले रासायनिक युद्ध अपराधों का आरोप लगाया था। pic.twitter.com/syEYwgzHcQ
— News & Features Network (@newsnetmzn) December 17, 2024
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि यदि रूस इस तरह के आरोप लगा रहा है, तो इसका मतलब यह है कि पुतिन खुद इस प्रकार के हथियार बना रहे हैं।
किरिलोव के सबूत: कुछ दिनों बाद, किरिलोव ने एक और बयान में कहा कि यूक्रेन के अवदिवका शहर के पास जैविक और रासायनिक हथियारों की लैब बनाई गई थी। इनमें केमिकल वेपन्स जैसे BZ (केमिकल वार एजेंट), हाइड्रोसायनिक एसिड और सायनोजेन क्लोराइड का इस्तेमाल किया जा रहा था। उनका दावा था कि यूक्रेन मच्छरों को मलेरिया से संक्रमित कर उन्हें जैविक हथियारों के रूप में इस्तेमाल कर रहा था, जो रूसी सैनिकों के लिए घातक साबित हो सकते थे।
कैसे मच्छर बन सकते थे हथियार: किरिलोव ने स्पष्ट किया था कि इन मच्छरों को एक खतरनाक दवा दी जाती जो किसी के शरीर से चिपकते ही उसे बीमार कर देती और धीरे-धीरे उसकी मौत का कारण बनती। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यूक्रेन के हाथ यह हथियार लग जाता, तो रूस के लिए यह अत्यधिक नुकसानदायक साबित हो सकता था। हालांकि, अब तक इस सब के पुख्ता सबूत सामने नहीं आए हैं, लेकिन इन दावों ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी थी।
इगोर किरिलोव का रहस्यपूर्ण व्यक्तित्व: इगोर किरिलोव रूस के केमिकल-रेडिएशन और बॉयोलॉजिकल ट्रूप्स के प्रमुख थे। उनका नाम सुनते ही एक डर का माहौल बन जाता था। वे रूस के सबसे भरोसेमंद अधिकारियों में से एक थे और पुतिन के करीबी मित्रों में उनकी गिनती होती थी। उनका कहना था कि रूस जैविक हथियारों के खतरे को नष्ट करने के लिए तत्पर था और इसके लिए उन्होंने कई योजनाएं बनाई थीं।
- किरिलोव के आदेश पर रूस जैविक और रासायनिक हथियारों से लड़ने की योजना बना रहा था।
- उनका नाम अमेरिका और यूरोप तक डर के साये में था। इन देशों ने उन्हें अपनी सीमा में प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया था।
- ब्रिटेन का आरोप था कि किरिलोव ने यूक्रेन में कई बार केमिकल वेपन्स से हमले किए थे।
- एक दिन पहले ही यूक्रेन ने दावा किया था कि किरिलोव यूक्रेन पर हमला करने की योजना बना रहे थे, लेकिन अब उनकी मौत ने इस योजना पर पूर्ण विराम लगा दिया है।
विश्वभर में किरिलोव की मौत का असर: किरिलोव की मौत से रूस और यूक्रेन के बीच तनाव और बढ़ सकता है। रूस के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है क्योंकि किरिलोव ने कुछ बेहद खतरनाक जैविक हथियारों के विकास की दिशा में काम किया था। अब सवाल यह उठता है कि रूस इस नुकसान को कैसे पार करेगा और क्या इस घटना का युद्ध के आगे के मोर्चे पर कोई असर पड़ेगा।
इसके अलावा, अमेरिका और यूरोप सहित पूरी दुनिया इस घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यह घटना युद्ध के एक नए दौर की शुरुआत हो सकती है, जिसमें रासायनिक और जैविक हथियारों का इस्तेमाल और भी बढ़ सकता है। यूक्रेन की खुफिया एजेंसियों के इस कदम को अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एक गेम चेंजर माना जा रहा है।