उत्तर प्रदेश

दिल्ली-एनसीआर में Pollution का खतरा: AQI के खतरनाक स्तर पर पहुँचने के बाद GRAP-3 के प्रतिबंध लागू

दिल्ली और एनसीआर में इस समय एक बड़ी Pollution संकट की स्थिति बनी हुई है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ने खतरनाक स्तर पर पहुंचकर जनता के स्वास्थ्य को गंभीर खतरे में डाल दिया है। इस स्थिति को काबू करने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने 11 नवंबर 2025 को ग्रेप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के तीसरे चरण के तहत कई कठोर प्रतिबंध लागू कर दिए हैं।

क्या है AQI और क्यों है यह महत्वपूर्ण?

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) एक ऐसा मानक है जिसका उपयोग वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए किया जाता है। यह 0 से लेकर 500 तक के पैमाने पर मापा जाता है। AQI के 0 से 50 तक के स्तर को “अच्छा” माना जाता है, 51 से 100 तक को “संतोषजनक”, और 101 से 200 तक को “मध्यम” और उससे ऊपर के स्तर को “खराब”, “बहुत खराब“, और “गंभीर” श्रेणियों में रखा जाता है। दिल्ली में सोमवार को AQI 362 था, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है, और मंगलवार को यह बढ़कर 425 तक पहुँच गया, जो “गंभीर” श्रेणी में आता है।

मुज़फ्फरनगर में GRAP-3 लागू होते ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ताबड़तोड़ कार्रवाई

Uppcb Officers Muzaffarnagar
गीतेश चंद्रा (Ro)और कुंवर संतोष कुमार (Aee)

मुज़फ्फरनगर और आसपास के इलाकों में भी प्रदूषण का असर बढ़ने से लोगों को सांस की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है । स्थानीय प्रशासन ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है। मुज़फ्फरनगर में, बिल्डिंग मटेरियल और कोल्हू उद्योगों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नोटिस जारी किया गया। यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) के मुज़फ्फरनगर क्षेत्रीय अधिकारी गीतेश चंद्रा और सहायक पर्यावरण अभियंता कुंवर संतोष कुमार ने प्रदूषण नियंत्रण के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन कराते हुए इन उद्योगों को तुरंत नोटिस जारी किए। गीतेश चंद्रा और कुंवर संतोष कुमार ने सुनिश्चित किया कि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जाए और प्रदूषण नियंत्रण के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।

 

ग्रेप-3 के तहत लागू किए गए प्रतिबंध

GRAP-3 के तहत वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई कड़े कदम उठाए गए हैं। इनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. गैर-जरूरी निर्माण कार्यों पर रोक: निर्माण और विध्वंस कार्यों को स्थगित किया गया है, जिसमें मिट्टी खोदना, पाइलिंग और रेडी-मिक्स कंक्रीट संयंत्रों का खुले में संचालन शामिल है।

  2. विकृति गतिविधियों पर प्रतिबंध: निर्माण कार्यों के दौरान कच्ची सड़कों पर रेत और सीमेंट जैसे सामग्री का परिवहन भी प्रतिबंधित किया गया है। साथ ही, स्टोन क्रशर और हॉट-मिक्स संयंत्रों को भी बंद करने का आदेश दिया गया है।

  3. वहनीय वाहन प्रतिबंध: BS-3 पेट्रोल और BS-4 डीजल वाहनों के संचालन पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही, दिल्ली और एनसीआर में डीजल जनरेटर सेट का उपयोग केवल आपातकालीन सेवाओं तक सीमित किया गया है।

  4. निजी कंपनियों को सलाह: निजी कंपनियों को घर से काम करने या हाइब्रिड मोड लागू करने की सलाह दी गई है, ताकि सड़क पर वाहनों की संख्या कम हो सके और प्रदूषण का स्तर घट सके।

  5. कक्षा 5 तक की शारीरिक कक्षाओं को ऑनलाइन करना: बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए, कक्षा 5 तक की शारीरिक कक्षाएं ऑनलाइन करने की सलाह दी जा रही है।

दिल्ली में सबसे खराब वायु गुणवत्ता

दिल्ली में इस मौसम की सबसे खराब वायु गुणवत्ता देखी गई। 11 नवंबर को सुबह 9 बजे AQI 425 दर्ज किया गया, जो कि गंभीर श्रेणी में आता है। इस कारण से राजधानी में सांस की बीमारियों, जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर इतना खतरनाक है कि यह जीवन के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।

एनसीआर के अन्य इलाकों में प्रदूषण स्तर

दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर के अन्य हिस्सों में भी प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ चुका है। यहां के प्रमुख क्षेत्रों के AQI का विवरण इस प्रकार है:

  • आनंद विहार: 442 (गंभीर)

  • आईटीओ: 433 (गंभीर)

  • मुंडका: 455 (गंभीर)

  • रोहिणी: 451 (गंभीर प्लस)

  • वजीरपुर: 460 (गंभीर प्लस)

  • पंजाबी बाग: 451 (गंभीर प्लस)

  • चांदनी चौक: 420 (गंभीर)

  • अलीपुर: 434 (गंभीर प्लस)

  • बवाना: 462 (गंभीर प्लस)

  • नोएडा सेक्टर-125: 00 (गंभीर)

  • गाजियाबाद, वसुंधरा: 00 (गंभीर)

  • गुरुग्राम सेक्टर-51: 408 (गंभीर)

इन क्षेत्रों में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि लोगों को घर से बाहर निकलने में भी कठिनाई हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रदूषण का प्रभाव बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है।

बढ़ते प्रदूषण के कारण और समाधान

इस संकट के पीछे मुख्य कारणों में वाहनों का बढ़ता संख्या, निर्माण कार्यों की निरंतरता और कचरे को जलाना प्रमुख है। प्रदूषण की स्थिति को सुधारने के लिए सीएक्यूएम और अन्य संबंधित अधिकारियों को कड़ी कार्रवाई करनी होगी। साथ ही, नागरिकों को भी प्रदूषण से बचने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।

दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण ने एक बार फिर गंभीर संकट पैदा कर दिया है। इस प्रदूषण से बचने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार और प्रशासन के सख्त कदमों के बावजूद, अगर नागरिकों को प्रदूषण के प्रभाव से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, तो ही हम इस समस्या को हल कर सकते हैं। प्रदूषण की समस्या का समाधान न केवल प्रशासन, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है।

प्रदूषण की बढ़ती समस्या ने दिल्ली और एनसीआर के निवासियों के लिए गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। इस संकट से निपटने के लिए सरकार और प्रशासन को जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को सख्ती से लागू करना होगा और लोगों को भी जागरूक करना होगा ताकि हम इस खतरनाक स्थिति से बाहर निकल सकें।

Shyama Charan Panwar

एस0सी0 पंवार (वरिष्ठ अधिवक्ता) टीम के निदेशक हैं, समाचार और विज्ञापन अनुभाग के लिए जिम्मेदार हैं। पंवार, सी.सी.एस. विश्वविद्यालय (मेरठ)से विज्ञान और कानून में स्नातक हैं. पंवार "पत्रकार पुरम सहकारी आवास समिति लि0" के पूर्व निदेशक हैं। उन्हें पत्रकारिता क्षेत्र में 29 से अधिक वर्षों का अनुभव है। संपर्क ई.मेल- [email protected]

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