Paschimanchal को अलग राज्य बनाने की आग भड़की! संयुक्त मोर्चा की हुंकार: हर गांव, हर शहर में तेज़ होगा आंदोलन 🔥
Paschimanchal /पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फिर से अलग राज्य की माँग को लेकर माहौल गरमा गया है। मेरठ में पश्चिमांचल निर्माण पार्टी के शिविर कार्यालय में आयोजित एक अहम बैठक में इस मुद्दे पर फिर से बिगुल बजा दिया गया है। इस बैठक में दर्जनों संगठनों के शीर्ष पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया और संयुक्त मोर्चा के गठन पर मुहर लगा दी। बैठक ने ना केवल एकजुटता का संदेश दिया, बल्कि एक बेहद रणनीतिक योजना की नींव भी रखी।
बैठक की अध्यक्षता में दिखा दम, मंच पर बोले आंदोलन के धुरंधर
बैठक की अध्यक्षता पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगतसिंह वर्मा ने की, जबकि संचालन किया गया राष्ट्रीय प्रवक्ता संजीव मासूम द्वारा। इस बैठक में पश्चिम प्रदेश निर्माण मोर्चा के केंद्रीय महासचिव कर्नल सुधीर कुमार ने स्पष्ट कहा कि “अब समय आ गया है कि हम सब एकजुट होकर इस आंदोलन को निर्णायक मोड़ पर पहुंचाएं।”
भारी समर्थन के बीच मोर्चे के नाम पर बनी सहमति
उत्तम प्रदेश निर्माण संगठन के प्रदेश सचिव इमरान राव ने प्रस्ताव रखा कि इस संयुक्त आंदोलन का नाम “पश्चिमांचल प्रदेश संयुक्त मोर्चा” होना चाहिए। इस प्रस्ताव का सभी उपस्थित संगठनों ने ज़ोरदार स्वागत किया।
नदी की पीड़ा से आंदोलन का दर्द जोड़ा गया
हिन्द आर्मी संगठन के अध्यक्ष नितिन स्वामी वैरागी ने बताया कि वह पिछले एक महीने से काली नदी को स्वच्छ करने के लिए क्षेत्र के ग्रामीणों के साथ कार्य कर रहे हैं। उनका कहना है कि “नदी के दूषित जल के कारण क्षेत्र में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियाँ फैल रही हैं।” इस विषय को आंदोलन से जोड़कर यह स्पष्ट कर दिया गया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपेक्षा अब स्वास्थ्य और जीवन पर भी असर डाल रही है।
जात-पात से ऊपर उठने की अपील, ज़ोरदार भाषणों ने भरी ऊर्जा
जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय संयोजक यशपाल मलिक ने बेहद ज़ोरदार ढंग से सभा को संबोधित किया। उनका कहना था कि “हमें सभी भेदभाव भुलाकर एकजुट होकर पश्चिम उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने की लड़ाई तेज करनी चाहिए।” उनकी बातों से सभा में जोश भर गया और कार्यकर्ताओं ने तालियों की गूंज से समर्थन जताया।
शांति से संघर्ष का मंत्र, गाँव-गाँव जाकर फैलाने की रणनीति
पश्चिमांचल निर्माण पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सतेन्द्र सिंह ने कहा कि “संयुक्त प्रयास के बिना यह आंदोलन अधूरा है। सभी संगठन एक होकर ग्राम स्तर तक पहुंचें और आंदोलन को ज़मीनी स्तर पर मजबूत करें।”
पूर्व लोकसभा प्रत्याशी व डासना चेयरमैन डॉ. चौधरी मुजाहिद हुसैन ने भी विचार रखते हुए कहा कि “हमें शांति और संयम से आंदोलन को आगे बढ़ाना चाहिए। गाँव-गाँव जाकर लोगों को जागरूक करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”
सैकड़ों कार्यकर्ताओं की उपस्थिति बनी बड़ी ताकत
इस बैठक में शामिल नामों ने इस आंदोलन की गंभीरता को और अधिक मजबूत किया। वरीस अहमद (राष्ट्रीय महासचिव), डॉ. राजेश कुमार, डॉ. राजेश त्रिवेदी, अनंत चौहान, अरुण कुमार, फ़िरोज़ खान (सम्भल), डॉ. आमिर हसन, असद खान, ओमवीर सिंह, डॉ. राजेश सिंह, हंसबीर सिंह, राजीव उज्जवल, अमृत कुमार राठी, शुभम शर्मा, ओमपाल सिंह, लोकेश पाल, मो. इमरान राव, वेदप्रकाश शर्मा, चौ. समीर शाहिद नाहल सहित सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
इनकी उपस्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब यह आंदोलन सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह जन आंदोलन का स्वरूप ले चुका है।
जनता को जोड़ने की योजना: डिजिटल से लेकर धरातल तक आंदोलन
अब संयुक्त मोर्चा ने यह तय किया है कि गाँव-गाँव, शहर-शहर जाकर लोगों को आंदोलन से जोड़ा जाएगा। सोशल मीडिया, पंपलेट्स, शांति मार्च, और जन जागरूकता रैलियों के माध्यम से यह संदेश फैलाया जाएगा कि “अब वक्त आ गया है, पश्चिमांचल को अलग राज्य बनाने का!”
राजनीतिक रणनीति भी बनी: सभी दलों पर पड़ेगा दबाव
यह तय किया गया कि अब इस आंदोलन को केवल सामाजिक स्तर पर नहीं, बल्कि राजनीतिक दबाव के रूप में भी आगे बढ़ाया जाएगा। सभी राजनीतिक दलों से प्रश्न किया जाएगा कि “क्या वे पश्चिमांचल के लिए अपना समर्थन देते हैं या नहीं?” इस सवाल को जनता के बीच ले जाकर उन्हें सोचने पर मजबूर किया जाएगा।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपेक्षा: आंकड़ों से किया गया खुलासा
बैठक में वक्ताओं ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कृषि, उद्योग, और शिक्षा के संसाधनों की कमी लगातार बढ़ रही है। जबकि यह क्षेत्र राजस्व में बड़ा योगदान देता है, फिर भी विकास योजनाओं में पिछड़ापन साफ नज़र आता है। यह भेदभाव ही अलग राज्य की माँग को मजबूती देता है।
आगामी योजना: दिल्ली तक होगी आवाज़ बुलंद
संयुक्त मोर्चे ने यह भी स्पष्ट किया कि अब यह आंदोलन दिल्ली तक पहुंचेगा। संसद सत्र के दौरान शांतिपूर्ण प्रदर्शन, ज्ञापन सौंपना, और मीडिया के माध्यम से दबाव बनाना इस रणनीति का हिस्सा होगा।

