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Eid-al-Adha 2025: Morocco के राजा ने भेड़ों की कुर्बानी पर लगाई रोक, जानें क्यों लिया यह बड़ा फैसला

रबात: Morocco के किंग मोहम्मद VI ने इस साल ईद-उल-अजहा (बकरीद) के मौके पर देशवासियों से अपील की है कि वे भेड़ों की कुर्बानी से बचें। इस अपील के पीछे मुख्य वजह है देश में मवेशियों की भारी कमी और पिछले सात वर्षों से जारी सूखा।

Morocco  में पशुधन की संख्या में भारी गिरावट आई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले दशक में भेड़ों की तादाद 38% तक कम हो गई है। इस साल भी औसत से 53% कम बारिश हुई है, जिससे चरागाहों की स्थिति बेहद खराब हो गई है। इसका असर सीधे तौर पर पशुओं के चारे की उपलब्धता और मांस उत्पादन पर पड़ा है।

बकरीद इस्लाम में एक बेहद महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें मुस्लिम समुदाय परंपरागत रूप से भेड़, बकरी या अन्य जानवरों की कुर्बानी देता है और इसका मांस गरीबों में वितरित किया जाता है। लेकिन इस बार, मोरक्को के किंग ने हालात को देखते हुए जनता से इस परंपरा में बदलाव करने की अपील की है।


किंग मोहम्मद VI का संदेश: धर्म और हालात दोनों का रखें ध्यान

मोरक्को के धार्मिक मामलों के मंत्री अहमद तौफीक ने बुधवार को किंग मोहम्मद VI का संदेश राष्ट्रीय टेलीविजन पर पढ़कर सुनाया। उन्होंने कहा:

“हमारी प्राथमिकता है कि धार्मिक परंपराओं को सुगम बनाया जाए, लेकिन हमें जलवायु और आर्थिक चुनौतियों को भी ध्यान में रखना होगा।”

सरकार ने इस अपील को जनता तक पहुंचाने के लिए कई मीडिया चैनलों का सहारा लिया है, ताकि लोग इसके पीछे के कारणों को सही तरीके से समझ सकें।


मांस की कीमतों पर असर: सरकार ने उठाए बड़े कदम

मवेशियों की संख्या में भारी गिरावट और लगातार बढ़ती मांस की कीमतों पर नियंत्रण पाने के लिए मोरक्को सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं। सरकार ने ऑस्ट्रेलिया से 100,000 भेड़ों के आयात का समझौता किया है, जिससे घरेलू बाजार में आपूर्ति संतुलित रहे। इसके अलावा:

  • मवेशियों, भेड़ों, ऊंटों और रेड मीट पर आयात शुल्क और वैट हटा दिया गया है ताकि आम जनता को राहत मिल सके।
  • सरकार ने पशुपालन और चारा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को आर्थिक सहायता देने की योजना बनाई है
  • मांस बाजार में बढ़ती कीमतों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है ताकि कालाबाजारी और जमाखोरी को रोका जा सके।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय आर्थिक और सामाजिक संतुलन बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि मांस की बढ़ती कीमतें गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए एक बड़ी समस्या बन सकती हैं।


ऐसा पहली बार नहीं हुआ! इतिहास में भी सामने आ चुके हैं ऐसे हालात

यह पहली बार नहीं है जब मोरक्को के शासक ने जनता से कुर्बानी न करने की अपील की हो। 1966 में किंग हसन II ने भी इसी तरह की अपील की थी, जब देश को लंबे सूखे और खाद्य संकट का सामना करना पड़ा था। उस समय भी सरकार ने आयात और अन्य उपायों के जरिए स्थिति को संभालने की कोशिश की थी।

अब 2024 में, जब जलवायु परिवर्तन और सूखे की समस्या ने देश को फिर से प्रभावित किया है, किंग मोहम्मद VI ने एक बार फिर धार्मिक परंपराओं और वर्तमान परिस्थितियों के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है।


कैसे प्रभावित होंगे आम लोग? जनता की राय क्या है?

मोरक्को में लोग इस फैसले को लेकर अलग-अलग राय रख रहे हैं। जहां कुछ लोग इसे आर्थिक संकट और पर्यावरणीय स्थिति के अनुकूल मान रहे हैं, वहीं कई लोग इसे धार्मिक मामलों में सरकार का हस्तक्षेप मानकर नाराजगी जता रहे हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता यूसुफ अल-खतीब का कहना है,
“मोरक्को में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव साफ देखा जा सकता है। अगर पशुधन की संख्या में लगातार गिरावट होती रही, तो भविष्य में बड़े खाद्य संकट का सामना करना पड़ सकता है। किंग का फैसला सही दिशा में उठाया गया कदम है।”

वहीं दूसरी ओर, स्थानीय किसान अली बिन हमीद का कहना है,
“हमारे लिए यह मुश्किल समय है। कुर्बानी हमारी परंपरा है, लेकिन पशुधन की संख्या में गिरावट हमारी रोजी-रोटी पर भी असर डाल रही है। हमें सरकार से और ज्यादा मदद की जरूरत है।”

कई नागरिकों ने सरकार के ऑस्ट्रेलिया से भेड़ों के आयात के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन कुछ धार्मिक संगठनों का मानना है कि कुर्बानी से जुड़ी परंपराओं में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।


आगे क्या? मोरक्को के पशुपालन और कृषि क्षेत्र में सरकार की नई योजनाएं

मोरक्को सरकार आने वाले वर्षों में देश के पशुपालन और कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार लाने की योजना बना रही है। इसके तहत:

  • सूखे से निपटने के लिए जल संचयन और कृत्रिम बारिश की तकनीक पर काम किया जाएगा।
  • पशुपालकों को अनुदान और सस्ते चारे की आपूर्ति दी जाएगी।
  • विदेशों से मांस और मवेशियों का आयात बढ़ाने पर विचार किया जाएगा।
  • स्थानीय स्तर पर चारे और अनाज के उत्पादन को बढ़ाने के लिए आधुनिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।

इन प्रयासों का मुख्य उद्देश्य भविष्य में मोरक्को को खाद्य संकट और पशुधन की कमी से बचाना है, ताकि धार्मिक परंपराएं और आर्थिक स्थिरता दोनों को संतुलित रखा जा सके।


 क्या इस फैसले से मोरक्को को फायदा होगा?

मोरक्को के किंग मोहम्मद VI का यह फैसला देश के पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और सामाजिक संतुलन को बनाए रखने के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि लोग इसे किस हद तक स्वीकार करते हैं और आने वाले वर्षों में सरकार इस संकट से निपटने के लिए किस तरह के और कदम उठाती है।

बकरीद पर कुर्बानी न देने की अपील निश्चित रूप से एक बड़ा बदलाव है, लेकिन इसे जलवायु परिवर्तन, पशुधन संरक्षण और आर्थिक स्थिरता के नजरिए से देखा जाना चाहिए। अब देखना यह होगा कि जनता इस अपील को किस तरह अपनाती है और आने वाले दिनों में सरकार के फैसले का क्या असर पड़ता है।

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