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IPL final 2025 chaos बना ‘शर्म का फाइनल’: नरेंद्र मोदी स्टेडियम में अव्यवस्था, भीड़ और जानलेवा लापरवाही ने क्रिकेट को शर्मसार किया

अहमदाबाद के भव्य नरेंद्र मोदी स्टेडियम में 5 जून 2025 को हुए आईपीएल 2025 के फाइनल मैच को भले ही स्कोरबोर्ड ने एक टीम की जीत से जोड़ दिया हो, लेकिन असल हार वहां मौजूद जनता की थी — वह जनता जो खेल प्रेम से खिंच कर आई थी, लेकिन बदले में मिली बदइंतज़ामी, लाठीचार्ज, धक्कामुक्की और जानलेवा उपेक्षा (IPL final 2025 chaos)

इस आयोजन ने सिर्फ आईपीएल नहीं, बल्कि पूरे देश के आयोजन प्रबंधन की पोल खोल दी। और अब सवाल सिर्फ यह नहीं है कि मैच कौन जीता — असली सवाल यह है कि क्या हम ऐसे आयोजनों में लोगों की जान की कीमत समझते हैं?


भीड़ में घुटता उत्साह: जश्न के नाम पर पीड़ा-

‘हम स्टेडियम मैच देखने नहीं, पीड़ा झेलने गए थे’

जिस मैच को “क्रिकेट का महाकुंभ” कहा जा रहा था, वह भीड़ के लिए त्रासदी में बदल गया। स्टेडियम के बाहर लगी किलोमीटर लंबी लाइनों में छोटे-छोटे बच्चे बेहोश होते दिखे। बूढ़े लोगों के लिए बैठने या छांव तक की व्यवस्था नहीं थी।

भीड़ को रोकने के लिए सुरक्षा कर्मियों की लाठियां थीं, लेकिन मदद के लिए कोई नहीं था। कई दर्शक स्टेडियम के गेटों पर गिर पड़े — महिलाएं चिल्ला रही थीं, बच्चे रो रहे थे, और स्टाफ मूकदर्शक बना खड़ा था।


फोटो जो जला रही हैं ज़मीर

📸 एक मां की चीखती आंखें:
एक महिला अपने बेहोश बच्चे को उठाए मदद के लिए गुहार लगाती रही, लेकिन चारों तरफ बस चुप्पी थी।

📸 फर्श पर बिछे दर्शक:
स्टेडियम के बाहर धूप में बेहोश हुए दर्शकों को छाया देने वाला भी कोई नहीं। सोशल मीडिया पर वायरल हुई इन तस्वीरों ने देशभर में आक्रोश भड़का दिया है।

📸 पानी नहीं, वॉशरूम बंद:
हज़ारों लोग वॉशरूम और पानी के लिए तड़पते रहे। आयोजकों ने इतनी भीड़ का अनुमान भी नहीं लगाया था?


सिस्टम की शर्मनाक नाकामी

‘जब सुरक्षा ही सबसे बड़ी कमजोरी बन जाए’

  • स्टेडियम में कुल टिकटों से अधिक दर्शक मौजूद थे — कैसे?

  • एक गेट पर तीन गेट की भीड़ — प्लानिंग कहां थी?

  • इमरजेंसी के लिए कोई मार्ग तय नहीं — क्या कोई हादसा इंतज़ार कर रहा था?

  • पहली बार नहीं, पर हर बार माफ़ी तक नहीं।

BCCI और आयोजकों के पास प्रचार-प्रसार और टिकट बिक्री के लिए हर रणनीति है, पर दर्शकों की सुरक्षा पर मौन क्यों?


जनता का गुस्सा, सिस्टम की चुप्पी

🎙 घायल दर्शक:
“हमने मैच देखने के लिए महीनों पहले टिकट लिया था। परिवार के साथ लंबा सफर तय कर स्टेडियम पहुंचे, लेकिन वहां पहुंचकर ऐसा लगा जैसे किसी जंग के मैदान में हैं। कोई पूछने वाला नहीं था। यह अपमान है — खेल नहीं।”

सोशल मीडिया पर अब ये आवाज़ें आंधी की तरह फैल रही हैं:

#ShameOnIPL #UnsafeStadiumFinal #IPLMismanagement


BCCI की खामोशी पर सवाल

इतनी बड़ी अव्यवस्था के बाद भी न BCCI ने कोई आधिकारिक बयान जारी किया, न आयोजनकर्ताओं ने माफी मांगी। IPL के करोड़ों की ब्रांड वैल्यू के बीच इंसान की बुनियादी सुरक्षा बेमानी हो गई।

क्या टिकट बेच देना ही आयोजकों की जिम्मेदारी है? क्या दर्शकों की सुरक्षा कोई मूल्य नहीं रखती?


हर साल वही लापरवाही: कब सुधरेगा तंत्र?

यह कोई पहली बार नहीं है जब भारत में किसी बड़े आयोजन में भीड़ के चलते जानलेवा परिस्थितियां बनी हों। चाहे कुंभ मेला हो, रामलीला मैदान की रैली, या अब आईपीएल फाइनल — हर बार भीड़ नियंत्रण की अनदेखी, सुरक्षा स्टाफ की अयोग्यता और प्लानिंग का अभाव सामने आता है।

और हर बार की तरह, फिर से सिर्फ जनता को भुगतना पड़ता है।


क्या है स्टेडियम प्रबंधन का जवाब?

‘मौन से नहीं, जवाबदेही से चलेगा सिस्टम’

जब पत्रकारों ने सुरक्षा और सुविधा पर सवाल उठाए, तो आयोजकों की तरफ से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। सवाल हैं:

  • स्टेडियम की क्षमता से ज़्यादा लोगों को कैसे प्रवेश मिला?

  • कितने सुरक्षा गार्ड ऑन ग्राउंड मौजूद थे?

  • वॉशरूम और मेडिकल सुविधा के लिए कितनी तैयारी थी?

इन सवालों के जवाब ना सिर्फ आयोजकों, बल्कि पूरे सिस्टम को देने होंगे।


एक चेतावनी, एक जिम्मेदारी

‘अगर अब नहीं चेते, तो अगली बार हादसे की तस्वीर और भी भयावह होगी’

IPL जैसे आयोजनों में जो लोग आते हैं, वो सिर्फ दर्शक नहीं — देश की उम्मीदें, सपने और सम्मान लेकर आते हैं। अगर उनकी जान, सुविधा और गरिमा की सुरक्षा नहीं हो सकती, तो फिर ऐसा आयोजन किसलिए?

यह हादसा नहीं, एक संकेत है — कि भारत को अब ‘इवेंट मैनेजमेंट’ नहीं, ‘ह्यूमन मैनेजमेंट’ सीखने की ज़रूरत है।


क्या अब BCCI उठाएगा जवाबदेही का भार?

IPL के करोड़ों फॉलोअर्स और दर्शकों को सिर्फ क्रिकेट नहीं, इज़्ज़त और सुरक्षा भी चाहिए। अब वक्त आ गया है जब BCCI को पारदर्शिता, जवाबदेही और मानवीयता को प्राथमिकता देनी चाहिए।

जब तक आयोजनों में केवल कमाई को केंद्र में रखा जाएगा, और जनता को ‘भीड़’ समझा जाएगा, तब तक ऐसा हर आयोजन ‘फाइनल ऑफ शर्म’ ही बनता रहेगा।


आखिरी सवाल जो हर दर्शक पूछ रहा है:

– क्या मेरा टिकट सिर्फ पैसे का सौदा था, या मेरी सुरक्षा की गारंटी भी थी?
– क्या मैं एक इंसान हूं, या बस एक संख्या जो स्टेडियम को भरती है?
– क्या IPL अब खेल से ज़्यादा एक अनुत्तरदायी उद्योग बन गया है?


IPL 2025 का फाइनल भले ही स्कोरबोर्ड पर दर्ज हो गया हो, लेकिन इतिहास में यह दिन एक बदनुमा दाग की तरह याद रहेगा। जब लाखों दर्शक भावनाओं से भरे स्टेडियम पहुंचे थे, और लौटे सिर्फ दर्द, गुस्से और निराशा के साथ। अगर अब भी कोई नहीं जागा — तो अगला फाइनल खेल का नहीं, जीवन-मृत्यु का बन जाएगा।

 

यह लेख लेखक द्वारा एकत्रित कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और सोशल मीडिया इनपुट पर आधारित है। इसमें प्रस्तुत जानकारी का उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना है।

Shashank Goel

शशांक गोयल एक अनुभवी मैकेनिकल ऑडिटर हैं, जो एक प्रमाणित लाइफ कोच, मोटिवेशनल स्पीकर, करियर काउंसलर, गाइड और मेंटर के रूप में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। सामाजिक कार्यों में गहरी रुचि रखने वाले शशांक एक संवेदनशील कवि, रचनात्मक कंटेंट राइटर और लोकप्रिय ब्लॉगर भी हैं। उनकी कविताएं, लेख और प्रेरक विचार प्रबुद्ध पाठकों और युवा वर्ग के बीच विशेष रूप से सराहे जाते हैं।

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