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Jammu and Kashmir विधानसभा चुनाव: अनुच्छेद 370 निरस्तीकरण के बाद पहली बार हुआ चुनाव

Jammu and Kashmir में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद पहली बार हो रहे विधानसभा चुनावों ने देशभर में राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से नया मोड़ ला दिया है। इन चुनावों का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसके माध्यम से जम्मू-कश्मीर के लोग अपने राज्य की नवनिर्मित राजनीतिक संरचना में अपनी आवाज बुलंद कर सकते हैं। बुधवार को जम्मू क्षेत्र के डोडा जिले में हुए मतदान में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला, जिससे यह साफ हो गया कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति लोगों का विश्वास आज भी मजबूत है।

अनुच्छेद 370 और राज्य का विशेष दर्जा

5 अगस्त 2019 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हो गया था। इसके परिणामस्वरूप राज्य का पुनर्गठन हुआ और इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। तब से राज्य में विभिन्न राजनीतिक दल और नागरिक इस मुद्दे पर चर्चा करते रहे हैं कि कब तक जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा प्राप्त होगा। इस विधानसभा चुनाव को इस दिशा में पहला कदम माना जा रहा है, जिससे यह उम्मीद बढ़ी है कि चुनाव के बाद राज्य का दर्जा बहाल किया जा सकता है।

आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि और चुनाव

विधानसभा चुनाव के पहले चरण में, जो डोडा और किश्तवाड़ जैसे संवेदनशील इलाकों में हो रहा है, हाल ही में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि दर्ज की गई है। जून से लेकर अब तक कई आतंकवादी हमलों में सुरक्षा बलों को निशाना बनाया गया है, जिनमें दो अधिकारियों सहित छह सैन्यकर्मी शहीद हुए और चार आतंकवादी मारे गए। इसके बावजूद, चुनाव के दिन मतदाताओं की भारी संख्या मतदान केंद्रों पर देखने को मिली, जो यह साबित करता है कि आतंकवाद के खौफ के बावजूद जनता लोकतंत्र और शांति की दिशा में कदम बढ़ाने को तत्पर है।

मतदाताओं का उत्साह

चुनाव के पहले चरण में 58 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज किया गया, जिससे जनता के बीच राजनीतिक जागरूकता और अपनी सरकार चुनने की उत्सुकता का अंदाजा लगाया जा सकता है।  घाटा गांव के निवासी ने कहा, “हमें खुशी है कि 10 साल के लंबे अंतराल के बाद आखिरकार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। हमें अपनी सरकार चुनने का मौका मिला है, और हमें उम्मीद है कि चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल हो जाएगा।”

युवाओं में भी इस चुनाव को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला। पहली बार मतदान करने वाली बहनों ने बताया कि उन्होंने बेहतर भविष्य के लिए अपने मताधिकार का उपयोग किया। वह पिछले 10 वर्षों में जम्मू-कश्मीर के लोगों पर हुए अन्याय के खिलाफ मतदान कर रहे हैं।

चुनाव और लोकतांत्रिक प्रक्रिया

जम्मू-कश्मीर के लोग एक लंबी राजनीतिक अनिश्चितता के बाद अब विधानसभा चुनाव के माध्यम से अपनी उम्मीदें बंधी देख रहे हैं। लंबे समय तक सुरक्षा चिंताओं और आतंकवादी हमलों के बीच, यह चुनाव राज्य की राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। लोगों की भारी भागीदारी यह संकेत देती है कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।

चिनोडे गांव के पूर्व सरपंच खालिद बशीर मुगल ने कहा, “मतदान की शुरुआत से ही मतदाताओं की भारी भीड़ दिखा रही है कि लोग अपनी सरकार चुनने के इच्छुक हैं।” भद्रवाह के अन्य निवासियों ने भी ऐसी ही भावनाओं को व्यक्त किया, जहां मतदान के दिन स्थानीय लोगों में खासा उत्साह देखा गया।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव: राजनीतिक दलों की भूमिका

जम्मू-कश्मीर में हो रहे इस विधानसभा चुनाव में कई प्रमुख राजनीतिक दल अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दल प्रमुख रूप से शामिल हैं। यह चुनाव जम्मू-कश्मीर के भविष्य की राजनीति को दिशा देने वाला साबित हो सकता है, क्योंकि राज्य के पुनर्गठन और अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद यह पहला अवसर है जब जनता अपनी सरकार चुनने जा रही है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस और PDP जैसी पार्टियां अनुच्छेद 370 को बहाल करने के पक्ष में हैं, जबकि भाजपा और कुछ अन्य दल अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को सही मानते हैं और राज्य में विकास और सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस संदर्भ में, यह चुनाव न केवल राजनीतिक दलों के लिए बल्कि जम्मू-कश्मीर के आम नागरिकों के लिए भी महत्वपूर्ण हो गया है।

जम्मू-कश्मीर का भविष्य

इस विधानसभा चुनाव का परिणाम राज्य की राजनीतिक दिशा को निर्धारित करेगा। जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति और विकास की दिशा में यह चुनाव एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। राज्य का विशेष दर्जा बहाल होगा या नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना निश्चित है कि इस चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर की राजनीति और सामाजिक संरचना में नए बदलाव आने तय हैं।

जम्मू-कश्मीर में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों के बावजूद, लोगों का मतदान के प्रति उत्साह दर्शाता है कि वे शांति और स्थिरता की ओर बढ़ने के लिए तैयार हैं। इस चुनाव के बाद राज्य की स्थिति क्या होगी, यह तो परिणाम बताएंगे, लेकिन एक बात निश्चित है कि जम्मू-कश्मीर के लोग अपने भविष्य के लिए आशान्वित हैं।

जम्मू-कश्मीर का यह विधानसभा चुनाव राज्य की राजनीतिक दिशा को निर्धारित करने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है। अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण और राज्य के पुनर्गठन के बाद से यह चुनाव जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने अधिकारों का उपयोग करने का अवसर प्रदान करता है। आतंकवादी गतिविधियों के बावजूद, जनता का भारी मतदान लोकतंत्र के प्रति उनकी आस्था को दर्शाता है। इस चुनाव के नतीजे न केवल जम्मू-कश्मीर के भविष्य को निर्धारित करेंगे, बल्कि देश की राजनीतिक स्थिति पर भी गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।

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