उत्तर प्रदेश

Meerut: नगर निगम में PCS अफसर का शर्मनाक करतूत: जन्म प्रमाण पत्र के नाम पर महिला को परेशान करने का मामला

Meerut नगर निगम के भीतर एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न केवल प्रशासन की छवि को धूमिल किया है बल्कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक पीसीएस अफसर ने जन्म प्रमाण पत्र बनवाने आई महिला से रिश्वत की बजाय यौन शोषण का दबाव बनाकर न सिर्फ उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई, बल्कि उनके साथ अभद्रता की भी पूरी कोशिश की। यह घटना न केवल स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्न चिह्न लगाती है, बल्कि सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार और यौन उत्पीड़न की एक कड़वी सच्चाई को भी उजागर करती है।


PCS अफसर की करतूत: आईएएस बनने का झूठा दावा और महिला के साथ अभद्रता

यह मामला करीब एक महीने पहले की है जब एक महिला अपनी मां के साथ जन्म प्रमाण पत्र बनवाने नगर निगम कार्यालय पहुंची। वहां की एक बैठक में एक PCS अफसर ने महिला को आईएएस बनने का झूठा दावा करते हुए दोस्ती करने को कहा और खुद पढ़ाने की बात तक कह डाली। अफसर ने कहा, “मैं एक नंबर कम रह गया, नहीं तो मैं आईएएस हो जाता।” इसके बाद महिला की पढ़ाई के बारे में पूछताछ करते हुए उसने दोस्ती का प्रस्ताव रखा।

शुरुआत में यह सब सामान्य बातचीत जैसी लगी, लेकिन फिर अफसर ने निगम परिसर के अंदर महिला के साथ अश्लील हरकत करना शुरू कर दिया। इसके बाद उसने मां-बेटी को अपनी कार से घर छोड़ने की बात कही और महिला का मोबाइल नंबर लेकर उनसे संपर्क साधना शुरू किया।


अफसर का लगातार गंदी बातें भेजना और महिला का तनाव

महिला ने जैसे ही जन्म प्रमाण पत्र के बारे में सवाल किया, तो अफसर ने गंदी और अश्लील मैसेज भेजने शुरू कर दिए। महिला ने कई बार इन मैसेजों को मना किया, लेकिन अफसर पर इसका कोई असर नहीं हुआ। उसने रात के समय भी व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल की कोशिशें कीं, जब महिला ने कॉल रिसीव नहीं की तो नाराजगी जताई।

रात के 2 बजे तक अफसर महिला को अश्लील मैसेज भेजता रहा, जिससे महिला मानसिक रूप से परेशान हो गई। अफसर की यह हरकतें महिला के लिए किसी खतरे से कम नहीं थीं। इसके अलावा, अफसर की दोस्ती की जिद्द ने महिला को तनाव और भय में डाल दिया।


महिला ने नगरायुक्त को शिकायत दर्ज कराई, जांच की मांग

यह सारी पीड़ा सहन करने के बाद महिला ने नगर आयुक्त सौरभ गंगवार को लिखित शिकायत की। शिकायत में महिला ने स्पष्ट किया कि कई बार भ्रष्ट अफसर रिश्वत मांगने की बजाय यौन उत्पीड़न का दबाव बनाते हैं। उन्होंने नगरायुक्त से इस मामले में त्वरित और कड़ी कार्रवाई की मांग की।

नगर आयुक्त सौरभ गंगवार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बताया कि जांच कराई जाएगी और दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि निगम परिसर में इस तरह की गंदगी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


सिस्टम में व्याप्त यौन उत्पीड़न: एक चिंताजनक तस्वीर

यह अकेला मामला नहीं है, बल्कि देश के कई हिस्सों में ऐसी घटनाएं प्रकाश में आती रहती हैं जहाँ सरकारी अफसर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए महिलाओं को परेशान करते हैं। अक्सर भ्रष्टाचार के साथ-साथ यौन शोषण की खबरें सामने आती हैं, जो महिलाओं की सुरक्षा की गंभीर समस्या को दर्शाती हैं।

महिलाएं अपनी जरूरतों के लिए कई बार ऐसे सिस्टम का सामना करती हैं जहाँ उनका सम्मान कम और शोषण ज्यादा होता है। नगर निगम जैसे सार्वजनिक कार्यालयों में भी महिला नागरिकों को सुरक्षित महसूस करना जरूरी है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि कभी-कभी यहां के अधिकारी इस भरोसे का गलत फायदा उठाते हैं।


कानूनी व्यवस्था और शिकायत प्रक्रिया: महिलाओं के लिए राहत की किरण

भारतीय कानून महिलाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा प्रदान करता है। 2013 में अधिनियमित ‘यौन उत्पीड़न से बचाव अधिनियम’ (POSH Act) कार्यालयों में महिलाओं के लिए एक संरक्षित वातावरण सुनिश्चित करता है। इसके बावजूद शिकायत दर्ज कराने में महिलाओं को कई तरह की बाधाओं और डर का सामना करना पड़ता है।

इस केस में भी महिला ने सीधे उच्च अधिकारी से शिकायत की, जो एक साहसिक कदम है। ऐसे मामलों में प्रशासन को त्वरित और पारदर्शी जांच के साथ न्याय सुनिश्चित करना चाहिए ताकि न केवल दोषी को सजा मिले, बल्कि पीड़ितों को भी न्याय मिले।


जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के नाम पर होती धोखाधड़ी और उत्पीड़न की बढ़ती घटनाएं

जन्म प्रमाण पत्र जैसी अहम दस्तावेज़ी प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और उत्पीड़न की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। अक्सर आम जनता, खासकर महिलाओं को ऐसे अफसरों के शोषण का शिकार होना पड़ता है। दस्तावेज बनवाने के लिए फाइलों में अवरोध, रिश्वत की मांग और दबाव की बातें आम हो चली हैं।

इस मामले में भी महिला के साथ जो हुआ वह सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार और महिला उत्पीड़न की हदों को पार कर गया है। इससे यह भी साफ होता है कि कितनी जरूरत है एक सशक्त शिकायत प्रणाली और जवाबदेही की।


महिलाओं को जागरूक और सशक्त बनाना क्यों जरूरी है?

ऐसे कुप्रवृत्त अधिकारियों के सामने महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाना बेहद जरूरी हो जाता है। जागरूकता और सशक्तिकरण से ही महिलाओं को इस तरह के उत्पीड़न से बचाया जा सकता है।

महिलाओं को सरकारी कार्यालयों में अपने हक के प्रति जागरूक होना चाहिए और किसी भी प्रकार के उत्पीड़न, बदसलूकी या भ्रष्टाचार के खिलाफ तुरंत शिकायत करनी चाहिए। इसके लिए सरकार और सामाजिक संस्थाओं को भी प्रयास तेज करने होंगे।


नगर निगम और प्रशासन की जवाबदेही: एक बारगी सोचने का विषय

नगर निगम जैसी संस्थाएं सार्वजनिक सेवा का प्रतीक हैं। ऐसे में इनका दायित्व बनता है कि वे नागरिकों को पूरी सुरक्षा और सम्मान प्रदान करें। पीसीएस अफसर जैसे जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग जब इस भरोसे को तोड़ते हैं, तो प्रशासन की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल उठता है।

इस घटना से यह भी पता चलता है कि केवल शिकायत लेने भर से काम नहीं चलेगा। प्रशासनिक स्तर पर कठोर कदम, प्रशिक्षित कर्मी और पारदर्शिता आवश्यक है ताकि हर नागरिक को बिना डर के सेवा मिल सके।


नगर निगम कार्यालय में PCS अफसर की शर्मनाक हरकत ने प्रशासन की विश्वसनीयता को ठेस पहुंचाई है। महिलाओं के साथ उत्पीड़न की इन घटनाओं को रोकने के लिए त्वरित और कठोर कार्रवाई अनिवार्य है। दोषी अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के साथ ही ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए पूरे सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी। महिलाओं को सुरक्षित माहौल प्रदान करना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है।

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