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Muzaffarnagar संगोष्ठी: ग्रामीण पत्रकारिता बनी विकास की रीढ़, मंत्री अनिल कुमार ने कहा- समस्याओं के समाधान की पहली सीढ़ी पत्रकार

Muzaffarnagar के जिला सहकारी बैंक के सभागार में शनिवार को ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के तत्वावधान में आयोजित एक भव्य संगोष्ठी ने पूरे जिले का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। विषय था – “ग्रामीण पत्रकारिता एक जोखिम भरा कार्य”। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के केबिनेट मंत्री अनिल कुमार ने ग्रामीण पत्रकारिता को भारत के विकास की रीढ़ बताते हुए कहा कि “जब तक गांव की समस्याओं को पत्रकार अपनी कलम से सामने नहीं लाते, तब तक समाधान की कोई ठोस शुरुआत नहीं होती।”


पत्रकारिता का दायरा अब गांव-गांव तक पहुंचा

मंत्री अनिल कुमार ने कहा कि पहले पत्रकारिता का दायरा सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित था, लेकिन अब इंटरनेट और नई तकनीक के जरिए खबरें गांव-गांव तक पहुंच रही हैं। उन्होंने इस बदलते दौर में पत्रकारों से जिम्मेदारी निभाने की अपील करते हुए कहा कि “आज इंटरनेट मीडिया और यूट्यूब चैनलों की बाढ़ है। ऐसे में खबरों को प्रमाणित करके ही प्रसारित करना समय की सबसे बड़ी जरूरत है।”


“पत्रकार समाज का आईना हैं” – ठाकुर रामनाथ सिंह

विशिष्ट अतिथि और जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन ठाकुर रामनाथ सिंह ने पत्रकारों को समाज का आईना बताया। उन्होंने कहा कि पत्रकार जनता की छोटी-बड़ी समस्याओं को शासन और प्रशासन तक पहुंचाने का काम करते हैं। लेकिन यह राह आसान नहीं है, इसमें कई तरह की चुनौतियां और खतरे भी सामने आते हैं।


संघर्षशील पत्रकारिता में साहस जरूरी: ओमप्रकाश द्विवेदी

संगोष्ठी में प्रदेश उपाध्यक्ष ओमप्रकाश द्विवेदी ने भी विचार रखे। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को अपने काम में कठिनाइयों का सामना तो करना ही पड़ेगा, लेकिन सच्ची पत्रकारिता वही है, जिसमें साहस और निष्पक्षता हो। उन्होंने पत्रकारों को नसीहत दी कि “कभी भी खबर लिखते समय पक्षपात न करें, क्योंकि पत्रकारिता का असली धर्म सच्चाई और निष्पक्षता है।”


पत्रकारों को सशक्त बनाना समय की मांग: डॉ. नरेश पाल सिंह

प्रदेश महामंत्री डॉ. नरेश पाल सिंह ने पत्रकारों की आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की आमदनी अक्सर इतनी नहीं होती कि वे आराम से आजीविका चला सकें। कई पत्रकारों को अपने कारोबार के साथ पत्रकारिता करनी पड़ती है। ऐसे में पत्रकारों को सशक्त करना समय की मांग है।


“ग्रामीण पत्रकारिता है सच्ची समाजसेवा” – रवि भूषण गौतम

श्रीराम कॉलेज के पूर्व पत्रकारिता विभागाध्यक्ष रवि भूषण गौतम ने ग्रामीण पत्रकारिता को सच्ची समाजसेवा बताते हुए कहा कि गांव की गलियों, खेतों और पंचायतों की आवाज बनना आसान काम नहीं है। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जहां पत्रकार को समाज के हर तबके से सीधे संवाद करना पड़ता है।


सरकार का बड़ा आश्वासन: बनेगी स्थाई पत्रकार समिति

इस मौके पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक दिलीप कुमार गुप्ता ने पत्रकारों को एक बड़ा आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि अगले दो सप्ताह में मंडल के तीनों जिलों में जिला स्तरीय पत्रकार स्थाई समिति का गठन कराया जाएगा। इस कदम से पत्रकारों को अपनी समस्याओं को सामने रखने और समाधान पाने का एक स्थाई मंच मिलेगा।


अन्य जिलों के पत्रकारों की सक्रिय भागीदारी

संगोष्ठी में सहारनपुर के जिलाध्यक्ष आलोक तनेजा, शामली के जिलाध्यक्ष इंद्रपाल पांचाल, और मुजफ्फरनगर जिलाध्यक्ष संजय राठी ने भी अपने विचार रखे। संचालन रोहिताश कुमार वर्मा ने किया। इस मौके पर खतौली, बुढ़ाना, पुरकाजी, मीरापुर, जानसठ, मोरना, भोपा, ककरौली, चरथावल, सिसौली और शाहपुर क्षेत्र से आए पत्रकारों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।


पत्रकारिता में बढ़ते जोखिम और चुनौतियां

ग्रामीण पत्रकार अक्सर उन इलाकों में काम करते हैं जहां न तो सुरक्षा होती है और न ही पर्याप्त संसाधन। वे प्रशासनिक भ्रष्टाचार, शिक्षा की दुर्दशा, बिजली-पानी की समस्या और ग्रामीण अपराध जैसे मुद्दों को उजागर करते हैं। ऐसे में कई बार उन्हें राजनीतिक दबाव, सामाजिक विरोध और यहां तक कि जान का खतरा भी झेलना पड़ता है।


ग्रामीण पत्रकारिता का भविष्य और उम्मीदें

मुजफ्फरनगर की इस संगोष्ठी से एक बात साफ हुई कि ग्रामीण पत्रकारिता आज भी लोकतंत्र का अहम स्तंभ है। लेकिन इसे सुरक्षित और सशक्त बनाने की जिम्मेदारी सरकार और समाज दोनों की है। जब तक ग्रामीण पत्रकारों को पर्याप्त सुविधाएं और सुरक्षा नहीं मिलेगी, तब तक गांव की सच्ची तस्वीर सामने नहीं आ पाएगी।


मुजफ्फरनगर की इस संगोष्ठी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि ग्रामीण पत्रकारिता सिर्फ खबर लिखने का काम नहीं, बल्कि यह समाज की असली धड़कन है। जब तक गांव-गांव की आवाज़ें अखबार और डिजिटल प्लेटफॉर्म तक नहीं पहुंचेंगी, तब तक लोकतंत्र अधूरा रहेगा। यह सम्मेलन न सिर्फ पत्रकारों के हौसले को बढ़ाता है, बल्कि उनकी समस्याओं के समाधान का नया रास्ता भी खोलता है।

 

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